Dainik Athah

मोदीनगर क्षेत्र में हजारों की आबादी 30 घंटों तक डूबी रही अंधेरे में, पानी को भी तरसे

  • पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को ये क्या हो गया
  • क्या करता रहा बिजली विभाग सर्दी के पूरे मौसम में, आंधी ने खोल दी पोल
  • दर्जनों कालोनियों के साथ दो दर्जन से ज्यादा गांव भी रहे प्रभावित

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद/ मोदीनगर
। एक आंधी ने पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की पोल खोल कर रख दी है। हालात यह है कि मोदीनगर में 30 घंटे से ज्यादा समय तक बिजली आपूर्ति ठप रही, इसी कारण लोगों को बूंद बूंद पानी के लिए भी तरसना पड़ा।
प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार भाजपा सरकार बनने पर लोगों को उम्मीद थी कि बिजली- पानी की व्यवस्था बेहतर रहेगी, इसका कारण यह था कि योगी सरकार के पहले कार्यकाल में बिजली आपूर्ति की जो व्यवस्था थी उसकी लोगों ने सराहना की थी। लेकिन इस बार तो ऐसा लग रहा है कि बिजली की व्यवस्था आठ साल पूर्व जैसी हो गई। बुधवार को तेज आंधी आई, इसके बाद बरसात आई। इस दौरान पूरे प्रदेश में अनेक स्थानों पर बिजली आपूर्ति बाधित हुई, लेकिन मोदीनगर शहर का गदाना फीडर 30 घंटे बाद भी चालू नहीं हो सका। हापुड़ रोड पर पेड़ों के गिरने के कारण बिजली की लाइनें क्षतिग्रस्त हो गई।
यह पहली बार देखा गया कि एक फीडर को विभाग के अधिकारी और कर्मचारी 30 घंटे में भी चालू नहीं कर सके। बिजली न होने के कारण मोदीनगर की करीब एक दर्जन कालोनियों जिनमें मोदीपोन कालोनी, आलोक पार्क, कावेरी, शिव विहार, तिबड़ा रोड, बाग कालोनी, नेहरू कालोनी समेत करीब एक दर्जन कालोनियां अंधेरे में डूबी रही, इतना ही नहीं इसके साथ ही करीब एक दर्जन गांव भी अंधेरे में डूबे रहे।

सुबह आठ बजे से अधिकारी की एक ही रट एक घंटे में, दो घंटे में आ रही बिजली
बिजली विभाग के अधिकारियों की स्थिति यह है कि एसडीओ से लेकर मुख्य अभियंता तक सुबह आठ बजे से लेकर रात नौ बजे तक कभी आधे घंटे, कभी एक घंटे और कभी दो घंटे में बिजली आने का भरोसा देते रहे, लेकिन हर बार उनकी बात झूठ ही साबित हुई। यह दावे उपभोक्ताओं से ही नहीं जिलाधिकारी और एसडीएम तक से किये गये।

बिजली न आने से पेयजल आपूर्ति भी रही ठप
बिजली न आने के कारण इन क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति भी ठप रही। नगर पालिका ने जनरेटर के सहारे कुछ आपूर्ति की , लेकिन पहली और दूसरी मंजिल पर बगैर मोटर चलाये पानी नहीं चढ़ता, इस स्थिति में हजारों लोग पेयजल के लिए भी तरसते रहे।


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