रोहिणी नक्षत्र में आने से सूर्य की प्रचण्डता बढ़ती है। 9 दिन का नौतपा निर्धारित करता है वर्षा का योग शिव शंकर ज्योतिष वास्तु अनुसंधान केंद्र के आचार्य पंडित शिवकुमार शर्मा के अनुसार जब भी सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आते हैं , सूर्य की गर्मी प्रचंड रूप में होती है। जैसा कि हम जानते हैं कि सूर्य हर नक्षत्र में 15 दिन रहते हैं। सूर्य चंद्रमा के नक्षत्र रोहिणी में आने से सूर्य की प्रचण्डता बढ़ जाती है। इन्हीं 15 दिनों में से प्रथम नौ दिनों को नौतपा कहते हैं।
नौतपा से वर्षा के संकेतों को पहचाना जाता है। यह नौतपा 25 मई से 2 जून तक रहेगा। इस अवधि में सूर्य चंद्रमा के नक्षत्र रोहिणी में आता है और इस अवधि में सूर्य की प्रचंडता और चंद्रमा की आर्द्रता से मानसून उत्पन्न होता है और पूरे भारतवर्ष में वर्षा का कारण बनता है।यदि नौतपा काल के 9 दिनों में प्रचंड गर्मी बनी रहती है, तो संकेत माना जाता है कि वर्षा ऋतु में वर्षा की मात्रा पर्याप्त और अधिक होगी। फसलें अच्छी होगी ।यदि इन दिनों में पश्चिमी विक्षोभ या प्राकृतिक कारणों से आंधी ,तूफान या वर्षा हो जाती है तो नौतपा भंग हो जाता है और वर्षा अनियमित होती है। प्राकृतिक उपद्रव की संभावना होती है। भूमि स्खलन, बाढ़ , भूकंप आदि से जन धन की हानि के योग बनते हैं।

पंडित शिवकुमार शर्मा,ज्योतिष आचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट गाजियाबाद