Dainik Athah

मरीजों के ईलाज में पोषण की भावना हो, शोषण की नहीं: जैन मुनि सौरभ सागर महाराज

  • जैन मुनि सौरभ सागर महाराज ने कहा संस्कार विरासत में मिलते हैं, लेकिन माता- पिता के पास समय ही नहीं

अथाह संवाददाता
मुरादनगर (गाजियाबाद)
। जैन मुनि आचार्य सौरभ सागर महाराज ने कहा कि संस्कार विरासत में मिलते हैं, लेकिन माता- पिता के पास बच्चों को संस्कार देने के लिए समय ही नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि मरीजों के ईलाज में पोषण की भावना हो, शोषण की नहीं होनी चाहिये।
जैन मुनि सोरभ सागर महाराज मंगलवार को मुरादनगर गंग नहर के किनारे स्थित सौरभ सागर सेवा संस्थान में संवाददाताओं से बात कर रहे थे। उन्होंने संस्कारों में कमी के कारण ही पारिवारिक विघटन, नैतिक मूल्यों का ह्रास, मानसिक और शारीरिक रोग बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग आर्थिक अभाव में अपना ईलाज भी नहीं करवा पाते हैं इसी कारण छह वर्ष पूर्व मंशापूर्ण महावीर क्षेत्र में सौरभ सागर सेवा संस्थान बनाकर दिव्यांगों के लिए निशुल्क अस्पताल खोला गया। इसका पांच हजार से अधिक दिव्यांग लाभ उठा चुके हैं।

सौरभ सागर महाराज ने कहा कि जनहित में अब अस्पताल में इमरजेंसी सेवाएं शुरू की जा रही है। इसके साथ ही अन्य सेवाएं भी शुरू की जायेगी। इसके पीछे मूल उद्देश्य यह है कि सेवा समाज के धर्म का मूल है, समय से पहले और सोच से बेहतर ईलाज जीवन आशा अस्पताल में लोगों को मिल सकेगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि खानपान की अशुद्धि से रोग बढ़ रहे हैं। इसके लिए आवश्यक है कि व्यसनों से दूर रहो। इस मौके पर जम्बू प्रसाद जैन, संजय जैन, अजय जैन आदि भी उपस्थित थे।


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