- भाजपा के नये प्रदेश अध्यक्ष को लेकर लगातार चल रहा मंथन का दौर
- जिलाध्यक्षों की तरह प्रदेश संगठन महामंत्री निभायेंगे प्रदेश अध्यक्ष के मामले में बड़ी भूमिका

अथाह ब्यूरो
लखनऊ। प्रदेश के अधिकांश जिलाध्यक्षों की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी ने नये प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर मंथन तेज कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष पद पर जो भी बैठेगा वह संघ के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पसंद का भी होगा। इसमें प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह भी बड़ी भूमिका निभायेंगे। इसके लिए तैयारियां जोरों पर है।
बता दें कि भाजपा ने पिछले दिनों प्रदेश में अधिकांश जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी है, बावजूद इसके पश्चिम के भी करीब आधा दर्जन जिलों को नये अध्यक्ष का इंतजार है। इसी बीच पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर भी मंथन करना शुरू कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष के लिए पार्टी प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही यह भी देख रही है कि वह राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ की भी पसंद हो। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि भाजपा नेतृत्व न तो संघ को और न ही मुख्यमंत्री को नाराज करने का कोई जोखिम उठाने को तैयार है।
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि पार्टी नेतृत्व की नजर 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों पर है। प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2029 में होने वाले लोकसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना जायेगा। यहीं कारण है कि नेतृत्व इस मामले में किसी भी प्रकार का रिस्क लेने को तैयार नहीं है। संघ की नाराजगी नेतृत्व लोकसभा चुनाव में देख चुका है जब पार्टी अध्यक्ष के एक बयान ने संघ के स्वंय सेवकों में गुस्सा भर दिया था। इसका परिणाम यह रहा कि भाजपा अपने बल पर सरकार बनाने के मामले में पिछड़ गई और उसे सहयोगी दलों पर आश्रित होना पड़ा। यहीं कारण है कि वह कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहता जिससे मुख्यमंत्री योगी नाराज हो या फिर संघ खफा हो।
इसका उदाहरण जिलाध्यक्षों की घोषणा में भी देखा जा सकता है। संघ की सलाह को इस दौरान भरपूर तव्वजो दी गई। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री योगी से भी मुहर लगवाई गई।
संघ और मुख्यमंत्री के साथ ही एक और महत्वपूर्ण नाम है वह भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह का। धर्मपाल सिंह प्रदेश अध्यक्ष के मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जिस प्रकार उन्होंने जिलाध्यक्षों के चुनाव में भूमिका निभाई उससे संघ नेतृत्व भी उनके काम से खुश है। धर्मपाल सिंह ने जिस प्रकार संघ की सलाह को महत्व दिया है वह भी बड़ा काम था, अन्यथा संघ की सलाह को दर किनार करने में कोई कसर बाकि नहीं रहती। अब देखना होगा कि यह तिकड़ी क्या गुल खिलाती है।