आरएसएस प्रतिनिधि सभा की बैठक में मणिपुर की स्थिति और देश में ‘उत्तर-दक्षिण विभाजन’ पैदा करने के प्रयासों पर होगी गहन चर्चा
अथाह ब्यूरो
बंगलुरू। राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में दक्षिण के राज्यों में भाषाई विवाद को लेकर संघ की बैठक में चर्चा होगी। उत्तर-दक्षिण में विभाजन पैदा करने के प्रयासों को लेकर संघ गंभीर है। इस विवाद को संघ उचित नहीं मानता।
भारत जैसे बहुभाषी देश में हिंदी को लेकर जारी भाषाई विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपना रुख साफ कर दिया है। बंगलुरू में आयोजित संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) की बैठक के बीच संयुक्त महासचिव सीआर मुकुंदा ने भाषा विवाद को राजनीति से प्रेरित करार दिया। उन्होंने कहा कि आरएसएस मातृभाषा को शिक्षा और दैनिक संचार का माध्यम मानता है।
राष्ट्रीय एकता को चुनौती देने वाली ताकतें चिंता का विषय
आरएसएस नेता ने इस दौरान डीएमके पर भी परोक्ष रूप से हमला किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय एकता को चुनौती देने वाली ताकतें चिंता का विषय हैं। पत्रकारों से बातचीत करते हुए मुकुंदा ने बैठक की रुपरेखा के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हम मणिपुर की स्थिति और देश में ‘उत्तर-दक्षिण विभाजन’ पैदा करने के प्रयासों सहित कुछ समकालीन और ज्वलंत मुद्दों पर गहन चर्चा करेंगे।
भाषा विवाद पर संघ नहीं पारित करेगा कोई प्रस्ताव
इस दौरान जब उनसे त्रिभाषा विवाद के बारे में प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि संघ इस पर कोई प्रस्ताव पारित नहीं करेगा। संगठन मातृभाषा को शिक्षा और दैनिक संचार का माध्यम बनाना पसंद करता है। वहीं, परिसीमन विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि सीटों की संख्या पर आरएसएस का कोई अधिकार नहीं है। एक संगठन के तौर पर हम उन ताकतों को लेकर चिंतित हैं जो राष्ट्रीय एकता को चुनौती दे रही हैं। खासतौर पर जो उत्तर-दक्षिण विभाजन को बढ़ा रही हैं, चाहे वह परिसीमन हो या भाषा। उन्होंने यह भी कहा कि बैठक में आरएसएस से जुड़े 32 संगठनों के प्रमुख शामिल होंगे।