- सीतापुर की महिलाएं चला रही हैं एफएसटीपी, स्वच्छता में दे रहीं अहम योगदान
- महिला स्वयं सहायता समूह की चार महिलाओं ने संभाला फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) का संचालन
- अमृत मिशन के तहत योगी सरकार की पहल से महिलाओं को मिला प्रशिक्षण और आत्मनिर्भरता
- समाज की धारणाओं को बदलकर महिलाएं कर रही हैं स्वच्छता क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव
- सीतापुर मॉडल पूरे देश के लिए बन सकता है उदाहरण, महिला सशक्तिकरण और स्वच्छता की अनूठी पहल

अथाह ब्यूरो
लखनऊ। योगी सरकार प्रदेश में महिला सशक्तिकरण और स्वच्छता को प्राथमिकता दे रही है। सीतापुर में अमृत मिशन के तहत महिला स्वयं सहायता समूह (रऌॠ) की चार साहसी महिलाओं को फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (ऋरळढ) के संचालन का दायित्व सौंपा गया है। ये महिलाएं न सिर्फ मशीनें चला रही हैं, बल्कि पूरी तकनीकी प्रक्रिया को भी संभाल रही हैं।
एफएसटीपी शहर से एकत्रित किए गए मल कीचड़ को वैज्ञानिक तरीके से शुद्ध कर पर्यावरण के अनुकूल निपटान सुनिश्चित करता है। परंपरागत रूप से पुरुष-प्रधान इस कार्य क्षेत्र में इन महिलाओं ने अपनी योग्यता और समर्पण से यह साबित कर दिया कि सही प्रशिक्षण और अवसर मिलने पर महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकती हैं।

महिलाओं ने थामी स्वच्छता की कमान
योगी सरकार के महिला सशक्तिकरण और स्वच्छता को जोड़ने के प्रयासों से ये महिलाएं अब एफएसटीपी की तकनीकी जिम्मेदारी संभाल रही हैं। इनके कार्यों में शामिल हैं:
. मल कीचड़ के प्रवाह की निगरानी और मशीनों का संचालन
. सही तरीके से ट्रीटमेंट सुनिश्चित करना और स्वच्छता मानकों का पालन
. पर्यावरण अनुकूल तरीके से सुरक्षित निपटान प्रक्रिया अपनाना
इनका हर प्रयास सीतापुर को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
जब हौसले ने बदली सोच, महिलाओं ने दिया समाज को जवाब
शुरूआत में समाज ने सवाल उठाए। क्या महिलाएं मशीनें संभाल पाएंगी? क्या वे इस क्षेत्र में टिक पाएंगी? लेकिन इन चार महिलाओं ने अपने समर्पण और मेहनत से सभी संदेहों को गलत साबित कर दिया। अब वे न केवल संयंत्र का संचालन कर रही हैं, बल्कि इसकी प्रक्रिया को समझकर उसमें सुधार भी कर रही हैं। योगी सरकार के समर्थन से इन्हें स्वच्छता क्षेत्र में सम्मानजनक स्थान मिला है। अब कई अन्य महिलाएं भी इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित हो रही हैं। इन महिलाओं की सफलता ने पूरे क्षेत्र की सोच को बदल दिया है और साबित कर दिया कि अगर सही अवसर मिले तो महिलाएं किसी भी चुनौती को पार कर सकती हैं।
सीतापुर मॉडल बन सकता है पूरे देश के लिए प्रेरणा
सीतापुर में महिला स्वयं सहायता समूहों की भागीदारी से स्वच्छता मिशन को नया आयाम मिला है। स्वच्छ भारत मिशन और अमृत मिशन के लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सकता है। अन्य शहरों में भी महिलाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। महिलाओं की भागीदारी से स्वच्छता को लेकर जागरूकता और सहभागिता बढ़ेगी।योगी सरकार के इस प्रयास ने दिखा दिया है कि स्वच्छता सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि इसमें हर नागरिक की भागीदारी जरूरी है।
आगे की राह: नया भविष्य गढ़ती महिलाएं
सीतापुर की अमृत मित्र महिलाएं केवल मशीनें नहीं चला रही हैं, बल्कि समाज की सोच बदल रही हैं और नए अवसरों के द्वार खोल रही हैं। इनकी सफलता बताती है कि मेहनत ही सबसे बड़ी पूंजी है। यह सिर्फ एक शहर की कहानी नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण और स्वच्छता का एक नया आंदोलन है। योगी सरकार की इस पहल से प्रदेश में महिला शक्ति को नई दिशा मिल रही है। जब भी आप सीतापुर की स्वच्छ गलियों में कदम रखें, तो यह याद रखें कि यह सिर्फ सफाई कर्मचारियों की मेहनत ही नहीं, बल्कि उन चार साहसी महिलाओं के संकल्प और योगी सरकार के समर्थन की कहानी है, जिसने बदलाव की नई लहर पैदा की है।