भारत इतना मजबूत हो कि कोई देश
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि अमेरिका जाने में कोई बुराई नहीं है। अमेरिका से लेकिन प्रधानमंत्री ऐसा व्यापार लाएं जिससे हमारे लोगों में खुशहाली हो। हम अपना बाजार अमेरिका को न दे दें। पिछली बार प्रधानमंत्री जी अमेरिका हीरा लेकर गए थे, इस बार कम से कम सोने की चेन लेकर जाते।
यादव शुक्रवार को वाराणसी में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम सब चाहते है कि भारत मजबूत हो। यदि हमारे देश के नौजवान कानून तोड़कर गए तो यह किसकी नाकामयाबी हैं। वे मजबूरी में देश छोड़कर घर परिवार से दूर विदेश जा रहे है क्योंकि वहां बेहतर अवसर मिलेगा। जीवन अच्छा रहेगा। उन्होंने कहा पंजाब, गुजरात में विदेश भेजने के नाम पर दलाल पैसा वसूलते हैं। सबसे ज्यादा भारत से जाने वालों में गुजरात के लोगों की सूची होगी। भारत इतना मजबूत हो कि कोई देश हथकड़ी-बेड़ी लगाकर हमारे नागरिकों को न भेजे। अमृतकाल में अमृतसर में हथकड़ी-बेड़ी लगाकर उन्हें उतारना भारत को नीचा दिखाने की कोशिश है। हमारा यही निवेदन और अपील होगी सरकार से कोई भी हिन्दुस्तानी हथकड़ी-बेड़ियों से वापस न आएं। भाजपाई तमाम योजनाओं को सफल बता रहे है। मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप, इंडिया डिजिटल इंडिया को सफल बता रहे हैं तो फिर लोग पलायन क्यों कर रहे हैं। भारत छोड़कर क्यों जा रहे है?
अखिलेश यादव ने कहा कि दावा तो यह है कि भारत दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था से दूसरे-तीसरे नम्बर पर पहुंच जाएगा। भारत सरकार का अब तक का सबसे बड़ा बजट पेश हुआ है। नौकरी, रोजगार, किसान की आय और भारत का रोडमैप तैयार करने का दावा किया गया। लेकिन बजट आने के बाद जो मायूसी छाई है, जो आंकड़े सामने नजर आए उससे न तो विकसित भारत बनने जा रहा है, नहीं इससे कोई अर्थव्यवस्था बढ़ने जा रही है। नौकरी रोजगार, और मैन्यूफैक्चरिंग के दावे असफल रहे है। उन्होंने कहा कि जिस बजट ने न नौकरी दी हो, किसानों की आय दुगनी न की हो, जिससे व्यापार न बढ़ा हो, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को फायदा न हुआ हो, उस बजट ने सिर्फ मायूसी दी है और निराश किया है। इस सरकार ने जनता को धोखा दिया है। वक्फ बिल लाकर वे जनता का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी से बांट रहे है। यह उनका पुराना तरीका है।
यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने कहा कि विकसित भारत बनेगा, कहा वाराणसी को क्योटो बनाएंगे। भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर कैसा होना था? कुंभ में अगर 100 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद से तैयारी होती तो लोगों को असुविधा नहीं होती। महाकुंभ में आकर लोग बड़े पैमाने पर परेशान हुए। लोगों की जानें गई है। भगदड़ में ही नहीं जो श्रद्धालु आए उनकी भी जाने गई हैं। सरकार नहीं बता पा रही है कि मौत के आंकड़े क्या है? सरकार वस्तुत: यह जानकारी छुपा रही है। कुंभ के आयोजन ने यह साबित कर दिया है कि जो विकसित भारत का रोडमैप है, वह आधा-अधूरा है। कुंभ में जो आते है पुण्य के लिए श्रद्धा से आते है। सदियों से यह चलता आया है। भाजपा सरकार ने कुंभ पर जितना पैसा खर्च किया है और बड़े-बड़े दावे किए हैं उससे तो यही लगता है कि कुंभ की पौराणिकता तथा महाराजा हर्षवर्धन का कुंभ के आयोजन में कोई योगदान ही नहीं था।
अखिलेश यादव ने कहा कि अभी मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा जीत तो गई परन्तु एक में आप गड़बड़कर सकते हो लेकिन 403 में भाजपा की चार सौ बीसी नहीं चलेगी। एक में लड़कर तो बेईमानी कर सकते हो। उपचुनाव में बीएलओ हटाए गए, कुछ खास जातियों के पुलिस वाले रखे गए, कुछ प्रिसाइडिंग अफसर बूथ में बैठकर टारगेट पूरा कर रहे थे। इस बेईमानी से लोकतंत्र कैसे बचेगा।