Dainik Athah

लोक संवर्धन पर्व के दूसरे संस्करण में बनारसी ब्रोकेड, जरदोजी और लकड़ी के उत्पादों की लगेगी प्रदर्शनी

  • यूपी के ब्रोकेड और जरदोजी का दिल्ली में दिखेगा जलवा
  • नई दिल्ली में आयोजित होने वाले इस पर्व में देश के विभिन्न भागों से 90 शिल्पी लेंगे भाग
  • अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा 27 जनवरी से 2 फरवरी तक आयोजित होगा पर्व
  • देश के विभिन्न भागों से पाक कला विशेषज्ञ लेंगे हिस्सा

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
देश की राजधानी नई दिल्ली में लोक संवर्धन पर्व का दूसरा संस्करण 27 जनवरी से शुरू होगा। 2 फरवरी तक चलने वाले इस पर्व में उत्तर प्रदेश की विशेष कला और शिल्प का जादू देखने को मिलेगा। इस आयोजन में उत्तर प्रदेश के बनारस ब्रोकेड, लकड़ी के सामान और जरी युक्त कपड़ों (जरदोजी) को विशेष रूप से प्रदर्शित किया जाएगा। यह पर्व न केवल राज्य की विशिष्ट कलाओं को मंच प्रदान करेगा, बल्कि देशभर से आए लोगों को इन शिल्प कलाओं से रूबरू होने का अवसर भी देगा।

भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित स्टेट एम्पोरिया कॉम्प्लेक्स में आयोजित होने वाले लोक संवर्धन पर्व के दूसरे संस्करण में देश के विभिन्न भागों से 90 शिल्?पी भाग लेंगे और अपनी कला शिल्प वस्?तुएं प्रदर्शित करेंगे। इस मंच ने कारीगरों को अपनी स्वदेशी कला, शिल्प और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान कर रहा है। यह आयोजन न केवल अल्पसंख्यक समुदायों की परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए बल्कि कारीगरों के लिए एक अभिनव और उद्यमशील वातावरण को बढ़ावा देने के लिए भी डिजाइन किया गया है। उत्पादों के विपणन, निर्यात तथा आॅनलाइन व्यापार, डिजाइन, जीएसटी और बिक्री आदि जैसे क्षेत्रों में उनके कौशल को बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने हस्तशिल्प के लिए निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) की मदद से दैनिक कार्यशालाएं आयोजित करेगा। इससे उनकी प्रतिभा को सशक्त बनाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

शिल्प की अनमोल विरासत है बनारस ब्रोकेड
लोक संवर्धन पर्व में बनारसी ब्रोकेड की साड़ियां और अन्य परिधान प्रदर्शित किए जाएंगे, जो भारतीय परंपरा और आधुनिकता का मेल दिखाएंगे। बनारस ब्रोकेड, जिसे बनारसी साड़ी और वस्त्रों के लिए जाना जाता है, उत्तर प्रदेश की पहचान है। बनारसी ब्रोकेड अपनी जटिल कढ़ाई, रेशमी धागों की बुनाई और पारंपरिक डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है। इन कपड़ों पर सोने और चांदी की जरी से की गई बारीक कारीगरी इन्हें विश्वभर में खास बनाती है। सदियों पुरानी यह कला बनारस के कारीगरों की मेहनत और कौशल का जीवंत उदाहरण है।

उत्तर प्रदेश की शान और ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है जरदोजी कला
लोक संवर्धन पर्व में जरदोजी के नमूनों की प्रदर्शनी उन लोगों के लिए खास होगी, जो पारंपरिक भारतीय परिधान में रुचि रखते हैं। जरदोजी कला उत्तर प्रदेश की शान और ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। जरी के काम से सजी जरदोजी कढ़ाई न केवल कपड़ों को राजसी लुक देती है, बल्कि यह शिल्प कला मुगलकालीन विरासत की झलक भी दिखाती है। बनारस, लखनऊ और आगरा जैसे शहरों के कारीगर इस कला में माहिर हैं। जरदोजी का इस्तेमाल साड़ी, लहंगे, दुपट्टे और अन्य वस्त्रों को सजाने के लिए किया जाता है।

लकड़ी के उत्पाद में दिखेगी यूपी के शिल्प की रचनात्मकता
उत्तर प्रदेश में लकड़ी के शिल्प का भी विशेष महत्व है। सहारनपुर के नक्काशीदार फर्नीचर और बनारस के लकड़ी के खिलौने इस क्षेत्र की शिल्पकला का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस आयोजन में लकड़ी के हस्तनिर्मित उत्पाद जैसे फर्नीचर, सजावटी सामान और दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी प्रदर्शित की जाएंगी। ये उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल और लंबे समय तक चलने वाले होते हैं, जो शिल्पकारों की रचनात्मकता का प्रमाण हैं।

इसके अलावा 16 पाक कला विशेषज्ञ कार्यक्रम में पहुंचने वाले आगंतुकों को देश के विविध स्वादिष्?ट व्?यंजन चखने का अवसर प्रदान करेंगे। इनमें लखनवी जायका, गुजराती रसोई, पारसी व्यंजन, पंजाबी तड़का, स्ट्रीट ट्रीट्स, नवाबी दावत, जैसे सुस्?वादु भोज्?य पदार्थ शामिल होंगे।

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