- भाजपा संगठन चुनाव: जिलाध्यक्ष- महानगर अध्यक्षों के लिए घमासान
- दावेदारों से बचते घूम रहे हैं जन प्रतिनिधि
- कई जनप्रतिनिधि जेब में रहने वाले को बनाना चाहते हैं जिला- महानगरअध्यक्ष
- शनिवार तक जन प्रतिनिधियों को देनी है अपनी राय
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। भारतीय जनता पार्टी के संगठन चुनाव में जिलाध्यक्षों एवं महानगर अध्यक्ष पदों के लिए नामांकन होने के बाद अब सभी की नजरें इस पर लगी है कि किसका भाग्योदय होता है। अब सभी की नजरें अपने अपने जिलों के जन प्रतिनिधियों पर लगी है। हालांकि जन प्रतिनिधि दावेदारों से बचते नजर आ रहे हैं।
बता दें कि गाजियाबाद जिलाध्यक्ष पद के लिए नामांकन सात जनवरी को हो गये, वहीं गाजियाबाद महानगर अध्यक्ष के लिए नामांकन गुरूवार को हुए। भाजपा नेतृत्व की इच्छा थी कि नामांकन ऐसा हो जिससे यह लगे कि पर्व अथवा उत्सव मनाया जा रहा हो। संगठन नेतृत्व की उम्मीदों के अनुरूप प्रदेश में जहां जहां नामांकन हुए वहां पर उत्सव जैसा माहौल ही नजर आया। यहीं कारण था कि हर जिला और महानगर अध्यक्ष के लिए बंपर नामांकन हुए हैं। इसका मुख्य कारण यह बताया गया कि सभी को लग रहा है कि इस बार क्या पता उसकी भी लॉटरी लग जाये। यहीं कारण है कि बंपर नामांकन हुए हैं।
यदि देखा जाये तो गाजियाबाद जिले में 35 तो महानगर में 62 नामांकन हुए हैं। हालांकि नामांकन करने वालों में अधिकांश ऐसे हैं जिन्होंने केवल नाम के लिए नामांकन किये हैं। वहीं बड़ी संख्या में ऐसे कार्यकर्ता भी है जिन्होंने यह सोच कर नामांकन किया कि जिलाध्यक्ष नहीं बन सके तो क्या नामांकन करने के कारण जिले की टीम में तो शामिल हो ही सकते हैं। जबकि नामांकन के बहाने कइयों की नजर क्षेत्र एवं प्रदेश टीम अथवा मोर्चों की टीम पर है।
गाजियाबाद जिलाध्यक्ष के लिए नामांकन प्रदेश उपाध्यक्ष, पूर्व मंत्री एवं विधायक तथा जिला चुनाव अधिकारी अनुपमा जायसवाल के समक्ष किये गये। लेकिन नामांकन के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष ममता त्यागी एवं प्रदेश मंत्री बसंत त्यागी ही उनसे मिलने पहुंचे। विधायक कोई नहीं पहुंच सका था। ऐसे में अनुपमा जायसवाल ने कहा बंद लिफाफे अथवा व्हाटसअप के जरिये जन प्रतिनिधि अपनी राय जिलाध्यक्ष पर दे सकते हैं।
गाजियाबाद महानगर अध्यक्ष पद के लिए पूर्व मंत्री एवं वर्तमान विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह ने जन प्रतिनिधियों खासकर विधायकों, पूर्व विधायकों एवं महापौर से अलग अलग बात की। लेकिन कोई राय किसी ने नहीं दी। खुद सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा जन प्रतिनिधि अपनी राय जल्द भेज देंगे। ऐसे में यह निश्चित है कि जन प्रतिनिधि बंद लिफाफे अथवा व्हाटसअप के जरिये अपनी राय चुनाव अधिकारी को देंगे।
जन प्रतिनिधियों की गणेश परिक्रमा
जन प्रतिनिधियों की राय चुनाव में महत्वपूर्ण है। ऐसे में दावेदारों ने जन प्रतिनिधियों की गणेश चरिक्रमा शुरू कर दी है। लेकिन जन प्रतिनिधि हर दावेदार से मिलने से बच रहे हैं। इसके साथ ही वे यह भी देख रहे हैं कि उनके लिए कौन अध्यक्ष ठीक रहेगा और कौन खराब। वे हर नफा नुकसान का आंकलन कर रहे हैं।
जन प्रतिनिधियों में एक राय होना कठिन कार्य
सूत्रों के अनुसार जिला हो या महानगर अध्यक्ष दोनों ही पदों लेकर जन प्रतिनिधि एकजुट नहीं है। कहीं पर इस मामले में दो से तीन गुट है तो कहीं पर हर जन प्रतिनिधि का अपना खुद का उम्मीदवार है।