Dainik Athah

पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत आज अपनी विरासत पर गौरव की अनुभूति कर रहा है- योगी

महाकुम्भ अपनी आस्था और आधुनिकता के नए समागम के रूप में वैश्विक का पटल पर नई छाप छोड़ेगा- मुख्यमंत्री

प्रयागराज महाकुम्भ भव्य, दिव्य और डिजिटल कुम्भ के रूप में जाना जाएगा- सीएम

स्वच्छता, सुरक्षा और आधुनिकता के मॉडल के साथ आस्था और आधुनिकता का एक नया समागम भी होगा- सीएम

10000 एकड़ भू भाग पर आयोजित महाकुम्भ में व्यवस्थाएं पूरी मुस्तैदी से संपन्न हो रही हैं- योगी

2024 में काशी में 16 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने काशी विश्वनाथ के दर्शन किए- योगी आदित्यनाथ

अयोध्या में जनवरी 2024 से सितंबर तक श्रद्धालुओं की संख्या 13 करोड़ 55 लाख से अधिक रही- सीएम योगी

विदेशी आक्रांताओं की विरासत पर गौरव की अनुभूति करने वाले नहीं समझ पाएंगे महाकुम्भ- योगी


अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के निवासियों का सौभाग्य है कि उन्हें भारत की आध्यात्मिक विरासत को महाकुम्भ के माध्यम से प्रस्तुत करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित होने वाले महाकुम्भ में भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान मिलेगी। मुख्यमंत्री योगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि उनके मार्गदर्शन में भारत अपनी प्राचीन विरासत पर गर्व कर रहा है। मुख्यमंत्री एक मीडिया समूह द्वारा आयोजित ‘डिवाइन उत्तर प्रदेश: द मस्ट विजिट सेक्रेड जर्नी’ कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकुम्भ भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का परिचायक है। यह आयोजन देश और दुनिया के लोगों को अपनी प्राचीन परंपराओं पर गर्व करने और अपनी सांस्कृतिक जड़ों को समझने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य न केवल धार्मिक आस्था को प्रोत्साहित करना है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन भी प्रदान करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें संतों के सानिध्य में इस आयोजन को सफल और सुविधाजनक बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही हैं।

आधुनिकता और आध्यात्मिकता का समागम है महाकुम्भ 2025
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि इस बार का महाकुम्भ एक भव्य, दिव्य और डिजिटल आयोजन होगा। 10,000 एकड़ क्षेत्रफल में आयोजित यह महाकुम्भ स्वच्छता, सुरक्षा और आधुनिकता का आदर्श प्रस्तुत करेगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए डिजिटल टूरिस्ट मैप, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े सुरक्षा तंत्र और स्मार्टफोन के माध्यम से शौचालयों की स्वच्छता का आकलन करने की व्यवस्था की गई है।

देश और प्रदेश के आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है महाकुम्भ- योगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकुम्भ जैसे आयोजनों का प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि 2019 में आयोजित कुम्भ के दौरान उत्तर प्रदेश की आर्थिक वृद्धि में 1.2 लाख करोड़ रुपये का योगदान हुआ था। इस बार 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, जिससे प्रदेश को 2 लाख करोड़ रुपये तक की आर्थिक वृद्धि होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु जब प्रदेश में आते हैं, तो परिवहन, आवास, भोजन और अन्य सेवाओं पर खर्च करते हैं, जिससे स्थानीय व्यवसाय और रोजगार को बढ़ावा मिलता है। सीएम योगी ने जानकारी देते हुए कहा कि 2024 में काशी में 16 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने काशी विश्वनाथ के दर्शन किए वहीं अयोध्या में जनवरी 2024 से सितंबर तक श्रद्धालुओं की संख्या 13 करोड़ 55 लाख से अधिक रही है।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का माध्यम है महाकुम्भ
मुख्यमंत्री ने प्रयागराज की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का जिक्र करते हुए कहा कि महाकुम्भ का आयोजन सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के संरक्षण का भी एक माध्यम है। प्रयागराज में अक्षय वट कॉरिडोर, सरस्वती कूप कॉरिडोर, पातालपुरी कॉरिडोर और महर्षि भारद्वाज कॉरिडोर का निर्माण किया गया है। इसके साथ ही भगवान राम और निषाद राज के मिलन स्थल श्रृंगवेरपुर में भव्य कॉरिडोर और प्रतिमा स्थापित की गई है।

महाकुम्भ के आयोजन में पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकुम्भ के आयोजन में पर्यावरण संरक्षण का विशेष ध्यान रखा गया है। गंगा और यमुना नदी में किसी भी प्रकार के सीवर या कचरे का निर्वहन नहीं किया जाएगा। इसके लिए अत्याधुनिक एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और बायो-रिमिडिएशन पद्धतियों का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही 1.5 लाख से अधिक शौचालयों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि वे पूरी तरह से स्वच्छ और पर्यावरण अनुकूल हों। मुख्यमंत्री योगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि उनके मार्गदर्शन में भारत अपनी प्राचीन विरासत पर गर्व कर रहा है। उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम, अयोध्या, और प्रयागराज के विकास कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री मोदी की दूरदृष्टि का परिणाम है कि आज ये स्थान वैश्विक स्तर पर आकर्षण के केंद्र बन गए हैं।

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए किए गए हैं विस्तृत प्रबंध
महाकुम्भ के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 25 सेक्टरों में विभाजित क्षेत्र में 30 पेंटून ब्रिज, 5000 एकड़ में पार्किंग की व्यवस्था और 8000 से अधिक बसें संचालित की जाएंगी। इसके अलावा, बैटरी संचालित वाहन और सटल बस सेवा भी उपलब्ध होगी। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाकुम्भ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन दुनिया के सबसे बड़े अस्थायी शहर के रूप में स्थापित होगा, जहां हर समय 50 लाख से 1 करोड़ श्रद्धालु मौजूद रहेंगे।

विदेशी आक्रांताओं की विरासत पर गौरव की अनुभूति करने वाले नहीं समझ पाएंगे महाकुम्भ- योगी
सीएम योगी ने कहा कि मुझे लगता है यह उन लोगों को समझ में ही नहीं आएगा, जिनको अभी तक पता ही नहीं है की नदी को चैनेलाइज करके नदी की आयु को बढ़ाई जाती है ना कि उसकी प्राकृतिक प्रभाव को अवरुद्ध किया जाता है। सीएम योगी ने कहा कि यह वह लोग हैं जो अपनी विरासत को भारत के विरासत के साथ जोड़ने की जगह विदेशी आक्रांताओं की विरासत के साथ जुड़ने पर गौरव की अनुभूति करते हैं और उसी का अनुसरण भी करते हैं। इसीलिए उनको कुम्भ का आयोजन अच्छा नहीं लगता है उनको अयोध्या का विकास अच्छा नहीं लगता है। उनको काशी की कायाकल्प अच्छी नहीं लगती। मथुरा वृंदावन का सौंदर्य उन्हें जो पूरी दुनिया को आकर्षित कर रहा है उन्हें अच्छा नहीं लगता। उनको बांटना अच्छा लगता है, वह जाति के नाम पर बाटेंगे, क्षेत्र के नाम पर बाटेंगे, भाषा के नाम पर बाटेंगे और अन्य मुद्दों के आधार पर बांट करके फिर उसे राजनीतिक रोटी सेंकने का काम करेंगे। उन लोगों से उम्मीद नहीं की जा सकती है
मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकुम्भ का उद्देश्य लोगों में नई आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करना और उन्हें अपने देश और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का बोध कराना है। उन्होंने कहा कि इस आयोजन से न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश जाएगा कि आध्यात्मिकता और आधुनिकता का समन्वय कैसे किया जा सकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुम्भ को प्रदेश और देश के लिए एक अद्वितीय अवसर बताते हुए कहा कि यह आयोजन भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर मजबूती से प्रस्तुत करेगा। उन्होंने सभी से अपील की कि वे इस भव्य आयोजन का हिस्सा बनें और इसकी सफलता में योगदान दें।


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