Dainik Athah

DRDO:ऐंटी-रेडिएशन मिसाइल RUDRAM का परिक्षण सफल, अलग-अलग परिस्थितियों में बदल सकती है रेंज

अथाह ब्यूरो, नई दिल्‍ली|
भारतीय वायुसेना के लिए बनी ‘रूद्रम'(RUDRAM) ऐंटी-रेडिएशन मिसाइल का टेस्‍ट सफल रहा है। डिफेंस रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के साइंटिस्‍ट्स ने सुखोई-30 फाइटर जेट से यह मिसाइल छोड़ी। DRDO ने बयान में कहा क‍ि ‘रूद्रम'(Rudram -1) अपने टारगेट को हिट करने में पूरी तरह कामयाब रही। इस मिसाइल की रेंज अलग-अलग परिस्थितियों में बदल सकती है। यह मिसाइल दुश्‍मन के हवाई ठिकानों को ध्‍वस्‍त करने के लिए बनाई गई है। इससे दुश्‍मन के सर्विलांस रडार, ट्रैकिंग और कम्‍युनिकेशन सिस्‍टम को आसानी से टारगेट किया जा सकता है।

देश में बनी अपनी तरह की पहली मिसाइल
बेड़े में शामिल होने के बाद वायुसेना के बाद अपनी तरह की यह पहली मिसाइल होगी। नई पीढ़ी की ऐंटी-रेडिएशन मिसाइल (NGARM)(Rudram -1 ) की रेंज 100 से 150 किलोमीटर के बीच है। यह डीआरडीओ की बनाई पहली जमीन से हवा में मार बने वाली मिसाइल है। DRDO ने इससे पहले रूस के साथ मिलकर इसी कैटेगरी में ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइल बनाई है। NGARM(Rudram -1) का वजन 140 किलो होता है और इसमें सॉलिट रॉकेट मोटर लगा है। फिलहाल इसे सुखोई Su-30MKI के साथ टेस्‍ट किया जा रहा है। मगर आगे इसे मिराज 2000, जगुआर, एचएएल तेजस और एचएएल तेजस मार्क 2 के साथ भी जोड़ा जा सकता है।

Rudram_3

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर DRDO को दी बधाई

चीन के साथ तनाव के बीच लगातार हो रहे टेस्‍ट
लाइन ऑफ एक्‍चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव के बीच भारत लगातार मिसाइलों के टेस्‍ट कर रहा है। अप्रैल-मई के बाद से भारत ने चार मिसाइलों के टेस्‍ट किया है। इनमें से एक ‘निर्भय’ मिसाइल को एलएएसी पर तैनात किया गया है।

Rudram_1

3 अक्‍टूबर: शौर्य’ मिसाइल का सफल टेस्‍ट हुआ। यह मिसाइल पनडुब्‍बी से छोड़ी जाने वाली BA-05 मिसाइल का जमीनी रूप है। मिसाइल 50 किलोमीटर की ऊंचाई पर मैच 7 या 2.4 किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से चलती है। रफ्तार इतनी तेज है कि सीमा पार बैठे दुश्‍मन के रडार को इसे डिटेक्‍ट, ट्रैक करने और इंटरसेप्‍ट करने के लिए 400 सेकेंड्स से भी कम का वक्‍त मिलेगा।

23 सितंबर: MBT अर्जुन टैंक से लेजर-गाइडेड ऐंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (AGTM) का टेस्‍ट फायर किया गया। मिसाइल ने 3 किलोमीटर दूर टारगेट पर एकदम सटीक वार किया और उसे ध्‍वस्‍त कर दिया।

RUDRAM

7 सितंबर: हाइपरसोनिक स्‍क्रैमजेट टेक्‍नोलॉजी का प्रदर्शन किया गया। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश बन गया जिसने खुद की हाइपरसोनिक टेक्‍नोलॉजी विकसित कर ली। बालासोर में हाइपरसोनिक टेक्‍नॉलजी डिमॉन्‍स्‍ट्रेटर वीइकल (HSTDV) टेस्‍ट को अंजाम दिया। यह हवा में आवाज की गति से छह गुना ज्‍यादा स्पीड से दूरी तय करता है। यानी दुश्‍मन देश के एयर डिफेंस सिस्‍टम को इसकी भनक तक नहीं लगेगी।

22 जुलाई: थर्ड जेनेरेशन ऐंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ‘ध्रुवास्त्र’ का टेस्‍ट हुआ। यह ‘नाग हेलीना’ (HELINA) का हेलीकॉप्टर संस्करण है। इसके जरिए आसमान से सीधे दाग कर दुश्मन के बंकर, बख्तरबंद गाड़ियों और टैंकों को तबाह किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *