Dainik Athah

आईआईएसएसएम का 34वां वार्षिक ग्लोबल कॉन्क्लेव 2024 आज से

दुनियाभर के विशेषज्ञ करेंगे ज्वलंत मुद्दों पर मंथन

अथाह ब्यूरो
नई दिल्ली।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ सिक्योरिटी एंड सेफ्टी मैनेजमेंट (आईआईएसएसएम) की ओर से दिल्ली के द्वारिका स्थित होटल ताज विवांता में 12 और 13 दिसम्बर को 34वें वार्षिक वैश्विक कॉन्क्लेव 2024 का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष का कॉन्क्लेव 21वीं सदी की कुछ सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों पर चर्चा करेगा। इनमें जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन, वैश्विक सुरक्षा और सामाजिक समानता शामिल है। ये जटिल मुद्दे समन्वित कार्रवाई और अभिनव रणनीतियों की मांग करते हैं, जिससे यह कार्यक्रम संवाद और समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन जाता है। यह जानकारी आईआईएसएसएम के कार्यकारी अध्यक्ष, पूर्व सांसद डॉ आर के सिन्हा ने यहाँ कान्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में दी।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष के कॉन्क्लेव की थीम है कुल हानि की रोकथाम – जोखिम से लचीलापन। यह दूरदर्शी थीम समुदायों को सशक्त बनाने, लचीली प्रणालियों का निर्माण करने और एक सुरक्षित, अधिक न्यायसंगत दुनिया को बढ़ावा देते हुए जोखिमों को कम करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। इस सम्मेलन में दुनियाभर के आपदा प्रबंधन जुड़े विषय विशेषज्ञ दो दिनों तक मंथन करेंगे। इसमें कई प्रतिष्ठित संगठन और संस्थान शामिल हो रहे हैं जिनमें संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण (यूएनडीआरआर), यूनिसेफ, क्राई, एनडीएमए, सिटी यूनिवर्सिटीआॅफ न्यूयॉर्क (सीयूएनवाई), जीईटीआई, यूएनडीआरआर दक्षिण कोरिया, सिंगापुर सुरक्षा संघ, अफ्रीकी देशों और अन्य अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय निकायों के प्रतिनिधि प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त, केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, सार्वजनिक उपक्रमों, विश्व बैंक और अन्य प्रमुख संस्थानों के प्रतिनिधि इसमें योगदान देंगे।
डॉ सिन्हा ने बताया कि सम्मेलन का उद्घाटन सुबह नौ बजे केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ करेंगे, जबकि शाम के सत्र को केंद्रीय कोयला और खनन राज्यमंत्री सतीश चंद्र दूबे संबोधित करेंगे। दूसरे दिन समापन समारोह में हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और एमएसएमई के केंद्रीय मंत्री श्री जीतन राम मांझी शामिल होंगे। यह आयोजन संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ है। खास तौर पर जलवायु परिवर्तन से होनेवाले नुकसान को कम करना, आपदा जोखिम प्रबंधन, कौशल विकास, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और उन्नत प्रौद्योगिकियों जैसे विविध विषयों पर कॉन्क्लेव में विस्तार से चर्चा की जाएगी।
डॉ. सिन्हा ने बताया कि प्रशिक्षित सुरक्षा और सुरक्षा संगठनों को अपनी क्षमता, उपकरण और तकनीक को बढ़ाकर अनुकूलन करना चाहिए। संकटों में सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों के रूप में, वे आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और एआई, आईटी स्वचालन, क्लाउड सुरक्षा और साइबर अपराध जैसी प्रगति से उभरते खतरों का सामना करते हैं।
उनका कहना है कि यह कॉन्क्लेव एक सुरक्षित भविष्य के लिए फिर से रणनीति बनाने के लिए कार्रवाई का आह्वान है।
गौरतलब है कि तीन दशकों से अधिक समय से आईआईएसएसएम ने सुरक्षा और संरक्षा में महत्वपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए उद्योग, शिक्षा और सरकार के सबसे प्रतिभाशाली दिमागों को एकजुट किया है। साथ ही साथ आईआईएसएसएम इस विषय पर जानकारी बढ़ाने के लिए एक मासिक पत्रिका ह्यसुरक्षित संसारह्ण का विमोचन भी उद्घाटन सत्र में किया जाएगा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को आईआईएसएसएम के अध्यक्ष असम सरकार के पूर्व पुलिस महानिदेशक जी एम श्रीवास्तव, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ संतोष कुमार, सिटी यूनिवर्सिटी आॅफ न्यूयार्क की डॉ शकीला मर्चेंट, रिटायर्ड आईएएस दिलीप कोटिया और सिक्योरिटी टुडे के प्रधान संपादक जी बी सिंह ने भी संबोधित किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *