Dainik Athah

सात साल में दोगुने से अधिक बढ़ी तिलहन की उपज

  • वर्ष 2027 तक योगी सरकार तिलहन के मामले में यूपी को आत्मनिर्भर बनाने को प्रतिबद्ध
  • किसानों को बेहतर उपज वाले उन्नत किस्म के निःशुल्क बीज मुहैया करवा रही सरकार

अथाह ब्यूरो 

लखनऊ। योगी सरकार के लगातार प्रोत्साहन से सात साल में तिलहन की उपज में दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017-2018 में तिलहन की उपज 13.62 मिट्रिक टन थी, जो 2023-2024 में बढ़कर 28.15 मिट्रिक टन हो गई। इस साल (2024-205) के आंकड़े आने पर इसमें और बढ़त संभव है।यह सब मुमकिन हुआ योगी सरकार तिलहन के उत्पादन में वृद्धि की प्रतिबद्धता के चलते। साथ ही इसमें केंद्र सरकार का भी लगातार सहयोग रहा। तिलहन के मामले में 2026-2027 तक उत्तर प्रदेश आत्मनिर्भर हो जाए, यह योगी सरकार का लक्ष्य है।

इसके लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इन फसलों की खरीद के साथ सरकार हर साल मिनी किट के रूप में किसानों को बेहतर उपज वाले उन्नत किस्म के निःशुल्क बीज भी मुहैया करवा रही है। इस क्रम में पिछले साल 10797.2 कुंतल बीज किसानों को दिए गए थे। इस साल 111315.6 कुंतल बीज मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया है।प्रगतिशील किसानों के यहां इन बीजों का खेतों में डिमांस्ट्रेशन (प्रदर्शन) और किसान पाठशालाओं के जरिए विशेषज्ञों द्वारा खेती के उन्नत तौर-तरीकों की जानकारी भी सरकार लगातार मुहैया करा रही है। किसानों को यह भी बताया जा रहा है कि इसमें परंपरागत खेती की तुलना में लागत कम, लाभ अधिक है। यही नहीं, रबी के सीजन में जो किसान दशहरे के बाद सरसों की बोआई कर चुके होंगे, उनको मार्च में फसल की कटाई के बाद रबी और खरीफ के बीच जायद की एक अतिरिक्त फसल लेने का भी मौका मिल जाता है। खासकर उड़द और मूंग की। इससे अतिरिक्त आय तो होती ही है, दलहनी फसल होने के कारण जमीन में प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन फिक्सेशन का लाभ खरीफ की फसल में अलग से होता है। 

किसान देखकर सीखें, इसके लिए डिमांस्ट्रेशन पर  जोरकिसान देखकर तिलहन की फसलों की उन्नत खेती के बाबत सीखें, इसके लिए प्रगतिशील किसानों के फील्ड में प्रदर्शन भी हो रहे हैं। साथ ही किसान पाठशाला में भी एक्सपर्ट किसानों को रोग एवं कीट प्रतिरोधी उन्नत प्रजाति, खेत की तैयारी से लेकर बोआई के तरीके, फसल संरक्षण के उपाय एवं भंडारण के बारे में बताएंगे। ताकि रकबे के साथ उसी अनुपात में उत्पादन भी बढ़े।

114.58 करोड़ रुपये खर्च करेगी सरकारइस पूरे कार्यक्रम पर सरकार चार साल में तिलहन का रकबा और उत्पादन बढ़ाने पर 114.58 करोड़ रुपये खर्च करेगी। सरकार को उम्मीद है कि इससे तिलहनी फसलों का आच्छादन 20.51 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 22.63 लाख हेक्टेयर हो जाएगा।- दूसरे कार्यकाल के तुरंत बाद ही योगी के निर्देश पर शुरू हो गया था कामअपने दूसरे कार्यकाल के तुरंत बाद (अप्रैल 2022) सीएम योगी ने एक समीक्षा बैठक में निर्देश दिया था कि अगले पांच साल में प्रदेश को दलहन और तिलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुकम्मल योजना तैयार करें। तभी से इस पर काम भी शुरू हो गया था। इसके लिए प्रमाणित एवं आधारीय बीजों का आवंटन बढ़ा दिया गया था। किसानों को रबी-ख़रीफ की मुख्य फसलों के साथ दलहन एवं तिलहन के इंटरक्रॉपिंग, बार्डर लाइन सोईंग और असमतल भूमि पर सूक्ष्म सिंचाई के साधनों के जरिये दलहन एवं तिलहन की फसलों की बोआई के लिए जागरूक किया गया। अब सरकार इस बाबत एक मुकम्मल कार्ययोजना लेकर आई है।मांग की तुलना में तिलहन का उत्पादनफिलहाल खाद्य तेलों की आवश्यकता के सापेक्ष 30-35 फीसदी उत्पादन ही हो रहा है। प्रदेश में जब भी तिलहन की मांग और आपूर्ति थोड़ी गड़बड़ होती है तो अधिक आबादी के कारण भारत से ही सर्वाधिक मांग निकलती है। इस मांग के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निर्यातक देश भाव चढ़ा देते हैं। आबादी एवं खपत के नाते उत्तर प्रदेश इससे खासा प्रभावित होता है। बढ़े हुए दाम मीडिया की सुर्खियां बनते हैं। मांग एवं आपूर्ति में समानता होने पर ऐसा नहीं हो सकेगा।

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