कार्तिक पूर्णिमा पर मोक्षदायिनी गंगा में स्नान व दीपदान करने से मिलता है मोक्ष- आचार्य शिवकुमार शर्मा
हिंदू धर्म में गंगा स्नान का बहुत ही महत्व है ।वर्ष में जितने भी उत्सव होते हैं, जिनमें गंगा स्नान का महत्व और बढ़ जाता है ।कहा जाता है कि गंगा स्नान करने से व्यक्तियों के मनुष्यों के पितरों का तर्पण हो जाता है और वे देवलोक प्राप्त करते हैं। इसी प्रकार प्रत्येक मास की पूर्णिमा को विशेष कर कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान का बहुत ही महत्व है ।कहते हैं कि इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति को समस्त सुख भोगकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व आ रहा है। इस दिन पितरों के नाम से गंगाजल से जलांजलि देने का महत्व है। और उनके निमित्त दीपदान करके स्वर्ग के मार्ग को प्रशस्त करता है।कहा जाता है कि इस दिन दीपदान करने से पितरों को प्रकाश की ओर ले जाता है और स्वर्ग और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।कार्तिक पूर्णिमा को वाराणसी में एवं अन्य तीर्थ घाटों पर देव दिवाली का आयोजन होता है। पुराणों में उल्लेख है कि भगवान शिव ने जब राक्षस त्रिपुर का वध किया था। तो उसी प्रसन्नता में देवता स्वर्ग लोक से काशी में आकर के गंगा तट पर भगवान शिव को स्तुति करने के लिए दीपदान किया था। तब से ही भगवान शिव का नाम त्रिपुरारी पड़ा। देवताओं ने काशी में गंगा तट पर भगवान शिव को स्तुति के लिए देव दिवाली मनाई थी । और ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो देव दिवाली मनाते हैं अर्थात गंगा तट पर अथवा अपने-अपने घर पर, द्वार पर, चौराहे पर ,मंदिर में इस दिन दीपक जलाने से अर्थात दीपदान करने से देवता और भगवान विष्णु प्रसन्न होते है,उन पर भगवान विष्णु व लक्ष्मी की कृपा होती है और वह अनंत कालों तक मोक्ष और स्वर्ग में सुख भोगते हैं।इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु स्तोत्र, लक्ष्मी पूजा का बहुत ही महत्व है। यदि कोई भक्तगण गंगा जी नहीं जा सकते,वे अपने घर में ही अपने स्नान के जल में थोड़ा गंगाजल मिले जल से स्नान करके इस पर्व को मनायेंकार्तिक पूर्णिमा को स्नान करने के बाद निर्धन, असहाय ,विद्वान व्यक्तियों ,ब्राह्मणों को भोजन व वस्त्र आदि दान करने का बड़ा महत्व है।पंडित शिवकुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट , गाजियाबाद।