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उप चुनाव में भाजपा का मुकाबला बसपा से, अन्य तीसरे और चौथे की लड़ाई लड़ रहे: संजीव शर्मा

  • गाजियाबाद शहर विधानसभा उप चुनाव में भाजपा प्रत्याशी संजीव शर्मा से दैनिक अथाह की सीधी बात
  • गाजियाबाद शहर का 60 फीसद हिस्सा अब लाइन पार नहीं, लाइन पार दूसरा क्षेत्र है: भाजपा प्रत्याशी
  • क्रासिंग की सड़क का चौड़ीकरण, क्षेत्र के लोगों को गंगा जल की उपलब्धता, दुधेश्वरनाथ मंदिर कॉरिडोर मुख्य मुद्दे: संजीव शर्मा

गाजियाबाद शहर विधानसभा के उप चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा। इस चुनाव में भाजपा ने पार्टी के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। उनका मानना है कि उनका मुख्य मुकाबला बसपा से है। इसके साथ ही विधानसभा क्षेत्र की समस्याएं हल करवाना उनकी प्राथमिकता में है। विभिन्न मुद्दों पर संजीव शर्मा से दैनिक अथाह के संपादक अशोक ओझा एवं ब्यूरो चीफ तोषिक कर्दम ने बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश:

क्या कारण है कि भाजपा ने संजीव शर्मा को प्रत्याशी बनाया?

मैं पिछले 17 वर्ष से भाजपा में विभिन्न पदों पर काम करने के साथ ही युवा मोर्चा अध्यक्ष का दायित्व भी संभाला और दो बार से लगातार अर्थात पिछले पांच वर्ष से पार्टी का महानगर अध्यक्ष हूं। पार्टी ने मेरे ऊपर भरोसा जताया इसके लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व एवं सभी देवतुल्य कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करता हूं।

गाजियाबाद शहर विधानसभा में समस्याओं की भरमार है, गंगा जल की आपूर्ति, सड़कों का खराब होना, सफाई व्यवस्था मुख्य मुद्दे हैं?

इनमें से अधिकांश समस्याएं नगर निगम से संबंधित है। महानगर अध्यक्ष रहते हुए मैंने 500 में से 400 बूथों पर प्रवास किया है। क्षेत्र की हर समस्या से वाकिफ हूं। इसके साथ ही हर समस्या का समाधान कराने का प्रयास करता रहा हूं इसमें चाहे आरओबी की सड़क हो, क्रासिंग की सड़क के चौड़ीकरण का प्रयास हो। 23 नवंबर को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद अगले 15 दिन में अने विकास कार्यों का शिलान्यास होगा।

सपा- कांग्रेस के इंडिया गठबंधन ने इस सीट पर जाटव समाज से सिंहराज जाटव, बसपा से वैश्य पीएन गर्ग, आज समाज पार्टी से जाट समाज से सत्यपाल चौधरी हैं। आपका मुकाबला किससे है?

सपा- कांग्रेस का इंडिया गठबंधन के साथ ही अन्य प्रत्याशी दूसरे से चौथे नंबर की लड़ाई लड़ रहे हैं। सपा प्रत्याशी सामाजिक समीकरण के हिसाब से फिट नहीं बैठ रहे। पिछले दस दिन से वे सुस्त नजर आ रहे हैं तथा अपना प्रचार भी ठीक से नहीं कर रहे। वहीं, बसपा कैडर आधारित पार्टी है और उसका मजबूत वोट बैंक है। इसी कारण लगता है कि भाजपा का चुनाव बसपा से होगा।

2022 में सपा प्रत्याशी तो दूसरे स्थान पर रहा था?

उस समय अनेक कारण थे। संविधान के साथ छेड़छाड़ को मुद्दा बनाया गया था, जबकि भाजपा संविधान को मानने वाली पार्टी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर पर संविधान को रखकर संसद भवन गये थे। यदि देखा जाये तो संविधान से सबसे अधिक छेड़छाड़ करीब 80 बार कांग्रेस ने किया। जनता को एक बार बहकाया जा सकता है, बार बार नहीं। बसपा के लोग अभी तक लखनऊ के बहन कुमारी मायावती के साथ हुए गैस्ट हाऊस कांड को भी नहीं भूले हैं। जाटव समाज या बसपा का कैडर वोट सपा को जायेगा ऐसा नहीं लगता।

भाजपा ने जातीय समीकरण देखकर मंत्रियों को गाजियाबाद विधानसभा में प्रभार सौंपा है?

देखिये मंत्री सुनील शर्मा एवं नरेंद्र कश्यप गाजियाबाद से है, कपिल देव अग्रवाल मुजफ्फरनगर से, ब्रजेश सिंह देवबंद से है। सभी अपने अपने समाज के बड़ नेता है। भाजपा जातीयता में विश्वास नहीं रखती। भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। देखिये सतीश महाना और सुरेश खन्ना जिन क्षेत्रों से वहां पंजाबी समाज नहीं है, लेकिन ये आठ आठ बार से जीत रहे हैं। सभी पार्टियां जाति को देखकर टिकट देती है, लेकिन भाजपा नहीं। भाजपा कार्यकर्ता को देखकर टिकट देती है।

राजीव गुंबर को क्या पंजाबी समाज की नाराजगी दूर करने के लिए लगाया गया है?

पंजाबी समाज नाराज कहां है। भाजपा में टिकट मांगने तक संघर्ष होता है। टिकट तय होने के बाद सभी कार्यकर्ता कमल का फूल हाथ में लेकर और खुद प्रत्याशी बनकर मैदान में उतरते हैं। पंजाबी समाज का भरपूर समर्थन मिल रहा है। समाज की बैठकों से इसका पता चलता है। मुझे ेकहीं नहीं लग रहा कि पंजाबी समाज नाराज है।

विधायक चुने जाने के बाद आपका मुख्य ध्यान किन किन समस्याओं की तरफ रहेगा?

गंगा जल पूरे विधानसभा में पहुंचाना, दूधेश्वर नाथ मंदिर कॉरिडोर के लिए काम शुरू करवाना, महामाया स्टेडियम का जीर्णोद्धार, क्रासिंग की सड़क का चौड़ीकरण, सड़कों की मरम्मत प्राथमिकता होगी। दो साल बाद फिर चुनाव में जाना होगा इस कारण क्षेत्र की हर समस्या का समाधान करवाऊंगा। विधानसभा क्षेत्र के लिए मुख्यमंत्री जी से विशेष पैकेज भी लेकर आयेंगे।

गाजियाबाद में अब तक कोई भी विधायक क्षेत्र में नहीं रहे, सभी दूसरे क्षेत्रों में निवास करते हैं, क्या कारण है आपने अपना निवास लाइन पार क्षेत्र में बनाया?

मैं ंसंगठन का व्यक्ति हूं, कार्यकर्ता और जनता के बीच रहना चाहता हूं। शहर विधानसभा क्षेत्र के 60 फीसद मतदाता लाइन पार में है। इस क्षेत्र की गाजियाबाद, दिल्ली और नोएडा के लिए सबसे अच्छी कनेक्टिविटी है। यहां रहंूगा तो लोगों की समस्याएं सुनकर उनका समाधान करूंगा। मेरा निवास इसी क्षेत्र में और कार्यालय गाजियाबाद शहर में रहेगा। मेरा उद्देश्य क्षेत्र में रहकर गाजियाबाद के लोगों की सेवा करना है। क्षेत्र के मतदाताओं का पूरा प्यार मिल रहा है जिस कारण भरोसा है कि इस उप चुनाव में जीत का कीर्तिमान बनेगा।


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