Dainik Athah

प्रयागराज में कुंभ महापर्व का शुभारंभ मकर संक्रांति से

शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु  अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद की प्रस्तुति – मकरे च  दिवानाथे वृषभ राशिगते गुरौ। प्रयागे कुंभयोगो वै माघमासे विद्युच्छये।।*इसका भावार्थ यह है कि निरयण गति से गमन करता हुआ सूर्य जब मकर राशि में और गुरु वृषभ राशि में होते हैं। तब माघ मास की अमावस्या के दिन तीर्थ राज प्रयाग में गंगा जी के तट पर कुंभ महापर्व का योग बनता है।इस वर्ष यहमहायोग संवत 2081 माघ कृष्ण प्रतिपदा 14 जनवरी सन् 2025 मंगलवार को आरंभ होकर माघ शुक्ल पूर्णिमा बुधवार 12 फरवरी 2025 तक यह कुंभ का महापर्व चलेगा।वैसे तो प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। करोड़ों लोगों को ठहरने की स्नान की व्यवस्था हो रही है।*कुंभ महापर्व का महत्व,*प्रयाग में कुंभ योग में स्नान करने का बड़ा महत्व है। कार्तिक मास में 1000 बार गंगा स्नान करने, माघ मास में सौ बार गंगा स्नान करने से जो फल मिलता है वही फल प्रयागराज में किसी कुंभ महापर्व में एक बार स्नान से मिल जाता है। कुंभ पर्व के अवसर पर प्रयागराज त्रिवेणी में स्नान करने वाला  मनुष्य दान, यज्ञ आदि सत्कर्म से सभी पापों को नष्ट कर देता है। 

कुंभ महापर्व के प्रमुख स्नान और तिथियां

मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 माघ कृष्ण प्रतिपदा मंगलवार में प्रातः 10:16 से पुष्य नक्षत्र का पुण्य योग  है जिसमें प्रथम राजसी स्नान का योग बनेगा। इस अवसर पर साधु ,संन्यासी, योगी  सन्त,महात्मा, महामंडलेश्वर अपने अपने अनुयायियों के साथ राजसी (शाही)स्नान करेंगे।

17 जनवरी 2025 शुक्रवार संकष्टी  चतुर्थी पर त्रिवेणी घाट पर सामान्य लोगों का स्नान होगा।स्नान करने के बाद गुड़,शक्कर, रेवड़ी ,गजक , छोले चावल, पूरी आदि  दान किए जाते हैं। इसका अपना बहुत ही महत्व है।

25 जनवरी 2025 शनिवार को षटतिला एकादशी का त्रिवेणी घाट का सामान्य लोगों का स्नान होगा। इसमें भी ऊनी वस्त्र ,कंबल ,रेवड़ी मूंगफली आदि का दान करने से कई गुना फल मिलता है।।द्वितीय राजसी(शाही) स्नान मौनी अमावस्या अर्थात 29 जनवरी 2025 त्रिवेणी घाट पर होगा ।इस दिन मकर राशि में सूर्य चंद्रमा होने से मौनी अमावस्या का पावन योग बनता  है। भविष्य पुराण में ऐसा कहा गया कि मौनी अमावस्या माघ मास में कुंभ पर्व के दिन श्रद्धा पूर्वक जो नर नारी , साधु सन्यासी योगी  बैरागी गंगा जमुना सरस्वती के पावन संगम त्रिवेणी घाट प्रयागराज में स्नान करते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। 2 फरवरी 2025 रविवार को बसंत पंचमी है उस दिन तीसरा शाही स्नान होगा।। चतुर्थी पंचमी एक साथ होने और रविवार का  पड़ने से  पुण्य की प्राप्ति होती है ।जया एकादशी 8 फरवरी 2025 को सामान्य लोगों का स्नान होगा।

कुम्भ पर्व की पौराणिक कथा
एक बार देवताओं और राक्षसों ने मिलकर अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन किया, जिसमें सबसे पहले विष निकला जिसे भगवान शंकर ने धारण किया, उसके बाद अन्य वस्तुएं निकलती गईं अंत में भगवान धनवन्तरि अमृत कलश लेकर निकले, इस दौरान अमृत को पाने के लिए राक्षस दौड़े तो उस झगडे के दौरान अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन तथा नासिक में गिर गईं, देवताओं ने भगवान विष्णु की मदद से अमृत पान किया और अमर हो गये। तब से इन स्थानों पर कुम्भ पर्व मनाने का प्रचलन हुआ।

एक दूसरी कथा के अनुसार एक बार प्रजापति कश्यप की पत्नियाँ वनिता तथा कद्रु के मध्य सूर्य रथ के अश्वों के रंग को लेकर विवाद हो गया। वनिता का कहना था कि अश्व श्वेत रंग के है जबकि कद्रु का कहना था कि अश्व काले रंग के हैं। तय हुआ कि अश्वों को साक्षात् देखा जाए और जो जीत जाए वह हारने वाली को अपनी दासी बनाकर रखे। जीतने की आकांक्षा से कद्रु ने अपने सर्पपुत्रों को अश्वों के शरीर पर लिपट जाने की आज्ञा दी। फलतः अश्व काले दिखाई देने लगे और वनिता कद्रु की दासी बन गयी। दासत्व से मुक्ति के लिए कद्रु ने नागलोक से अमृतकलश लाकर देने की शर्त रखी वनिता का पुत्र गरुड नागलोक से अमृतकलश लेकर अपने पिता प्रजापति काश्यप के पास गन्धमादन पर्वत की ओर उड़ चला। नागराज वासुकी ने गरूड से अमृतकलश छीनने के चार प्रयास किये। इस प्रयास में जिन चार स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक तथा उज्जैन में अमृत छलका उन पर कुम्भपर्व आयोजित होते हैं।इस वर्ष माघ मकर संक्रांति के साथ प्रारम्भ होकर मकरान्ते के साथ ही समाप्ति 2 फरवरी 2025 बुधवार को समाप्त ही जायेगा। ऐसा संयोग 12 साल बीतने के बाद बनता है ।चान्द्र सौर मास एक साथ चल रहे हैं। 

कुंभमहापर्व में स्नानादि के लिए निश्चित की गई तिथियां

13 जनवरी 2025 सोमवार पौषी पूर्णिमा माघ स्नान प्रारम्भ14 जनवरी 2025 मंगलवार मकरसंक्रांति, प्रथम शाही स्नान17 जनवरी 2025 शुक्रवार गणेश चतुर्थी, सामान्य स्नान25 जनवरी 2025, शनिवार षट्तिला एकादशी व्रत, सामान्य स्नान29 जनवरी 2025 ,बुधवार मौनी अमावस्या, द्वितीय शाही स्नान2 फरवरी 2025 रविवार वसन्त पंचमी, तृतीय शाही स्नान
4 फरवरी 2025 मंगलवार भानुसप्तमी, सामान्य स्नान
8 फरवरी 2025 शनिवार, जया एकादशी व्रत, सामान्य स्नान
12 फरवरी 2025 बुधवार माघी पूर्णिमा, सामान्य स्नान
26 फरवरी 2025 बुधवार महाशिवरात्रि सामान्य स्नान।– पंडित शिवकुमार शर्मा ,ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कन्सलटैंट गाजियाबाद।

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