जसवंत सिंह ने संभाले थे सरकार में तीन अहम विभाग – वित्त, रक्षा, विदेश तीनो में छोडी छाप
अथाह ब्यूरो, नई दिल्ली। अटल सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह का रविवार सुबह 6.55 बजे निधन हो गया। इनकी उम्र 82 वर्ष थी। दिल्ली के आर्मी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। 25 जून को उन्हें दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका मल्टी ऑर्गन डिस्फंक्शन सिंड्रोम का इलाज चल रहा था यानी अंगों ने ठीक से काम करना बंद कर दिया था। राजनीति में आने से पहले जसवंत सेना में थे। वे मेजर के पद से रिटायर हुए थे।
जसवंत सिंह का जीवन- जसवंत सिंह जसोल राजस्थान (जन्म -3जनवरी 1938-27 सितंबर 2020) भारत के एक वरिष्ठ राजनीतिज्ञ हैं। वे मई 16, 1996 से 1 जून 1996 के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्तमंत्री रह चुके हैं।
5 दिसम्बर 1998 से 1 जुलाई 2002 के दौरान वे वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री बने। फिर साल 2002 में यशवंत सिन्हा की जगह वे एकबार फिर वित्तमंत्री बने और इस पद पर मई 2004 तक रहे। वित्तमंत्री के रूप में उन्होंने बाजार-हितकारी सुधारों को बढ़ावा दिया, 15वीं लोकसभा में वे दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए।
राजस्थान में बाड़मेर जिले के जसोल गांव के निवासी है और 1960 के दशक में वे भारतीय सेना में अधिकारी रहे पंद्रह साल की उम्र में वे भारतीय सेना में शामिल हुए थे, जोधपुर के पूर्व महाराजा गज सिंह के करीबी माने जाते हैं।
जसवंत सिंह मेयो कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी,खडकवास्ला के छात्र रह चुके हैं। 2001 में उन्हें “सर्वश्रेष्ठ सांसद” का सम्मान मिला। 19अगस्त 2009 को भारत विभाजन पर उनकी किताब जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडेपेंडेंस में नेहरू-पटेल की आलोचना और जिन्ना की प्रशंसा के लिए उन्हें उनके राजनीतिक दल भाजपा से निष्कासित कर दिया गया और फिर वापस लिया गया।
1999 में हाईजैक प्लेन छुड़ाने में अहम भूमिका – 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर IC-814 को हाईजैक करके अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। यात्रियों को बचाने के लिए भारत सरकार को तीन आतंकी छोड़ने पड़े थे। जिन आतंकियों को छोड़ा गया था, उनमें मुश्ताक अहमद जरगर, उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर शामिल था। इन आतंकियों को लेकर जसवंत ही कंधार गए थे।
1998 में परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका ने भारत पर सख्त प्रतिबंध लगाए थे। तब जसवंत ने ही अमेरिका से बातचीत की थी। 1999 में करगिल युद्ध के दौरान भी उनकी भूमिका अहम रही।