Dainik Athah

संघ की नसीहत के बाद भाजपा के नये राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए चर्चाएं तेज

  • महाराष्ट विधानसभा चुनाव और उप चुनावों की तैयारियों के बीच ही
  • संघ चाहता है चुनावों से पहले हो भाजपा के नये राष्टÑीय अध्यक्ष की घोषणा
  • पुरानी टीम को चुनावों की कमान देने के पक्ष में नहीं संघ नेतृत्व

अशोक ओझा
नयी दिल्ली।
एक तरफ महाराष्टÑ विधानसभा चुनाव और दूसरी तरफ देशभर में विधानसभा एवं लोकसभा की करीब 50 सीटों के लिए उप चुनाव। इसी बीच भाजपा में पार्टी के नये राष्ट्रीय  अध्यक्ष को लेकर भी कवायद तेजी से चल रही है। यह कवायद शुरू हुई है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नसीहत के बाद। संघ ने भाजपा नेतृत्व को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि इन चुनावों से पहले नया राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त हो। यदि संघ की नसीहत पर अमल नहीं हुआ तो यह भी संभव है कि लोकसभा चुनावों की भांति संघ के स्वयं सेवक अपने घर बैठ जायें तथा चुनाव की कमान न संभाले।

बता दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान संघ के स्वयं सेवकों ने कोई विशेष रूची नहीं ली। बताया जाता है कि संघ की सलाह पर भाजपा नेतृत्व ने ध्यान नहीं दिया तो संघ ने भी चुप्पी साध ली। इसका नतीजा यह हुआ कि भाजपा अपने बूते बहुमत प्राप्त करने से वंचित रह गई और केंद्र में भाजपा के बजाय राजग की सरकार बनीं। इसके साथ ही भाजपा को जनता दल यू के साथ ही चंद्र बाबू नायबू की तेलगूदेशम पार्टी के कंधों का सहारा लेना पड़ा। चुनावों के दौरान जब भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संघ को लेकर बयान दिया कि अब भाजपा को किसी की जरूरत नहीं है वह आत्म निर्भर हो गई है। इसके भी दूरगामी नतीजे देखने को मिले।

लोकसभा चुनावों के बाद भाजपा नेतृत्व एवं संघ के बीच पड़ी दरार को पाटने का प्रयास भी किया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि उस हरियाणा में जहां कांग्रेस की सरकार बनना तय माना जा रहा था वहां पर संघ के सक्रिय होने के बाद एवं कमान संभालने के बाद हाशिये पर नजर आ रही भाजपा पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने में सफल हो गई। जबकि पहले यह माना जा रहा था कि कांग्रेस को भाजपा से दोगुना सीटें हासिल होगी।

उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि अब जबकि दीपावली के बाद महाराष्टÑ में विधानसभा चुनावों के साथ ही देशभर में करीब 50 से ज्यादा लोकसभा एवं विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं ऐसे में संघ ने भी भाजपा को स्पष्ट बता दिया है कि चुनावों से पहले हर हाल में राष्ट्रीय  अध्यक्ष को बदला जाये। इसके साथ ही संघ इन चुनावों से पहले पार्टी में बड़ा बदलाव देखना चाहता है। सूत्र बताते हैं कि संघ ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि उसकी सलाह के अनुसार राष्ट्रीय  नेतृत्व में परिवर्तन नहीं होता है तो लोकसभा चुनाव की तरह संघ स्वयं सेवक चुनावों से दूर रहेंगे।

संघ की इस चेतावनी के बाद भाजपा में फिर से नये अध्यक्ष को लेकर गोपनीय रूप से मंथन तेज हो गया है। संघ की शर्त यह भी है कि नया अध्यक्ष संघ की सहमति से बने और वह किसी की जेब का अथवा किसी के इशारों पर चलने वाला नहीं होना चाहिये। यह भी भाजपा के लिए परेशानी वाली बात है। सूत्र बताते हैं कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ के बताये नाम पर सहमत नहीं होते हैं तो कोई ऐसा नाम भी सामने आ सकता है जो चौंकाने वाला हो सकता है। यह नाम संघ के साथ ही प्रधानमंत्री की भी पसंद होगा। अर्थात बीच का रास्ता निकाला जा सकता है।


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