Dainik Athah

अब यशोदा हॉस्पिटल नेहरू नगर में प्लाज्मा थेरेपी से होगा कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज

ग़ाज़ियाबाद। यशोदा हॉस्पिटल के वरिष्ठ पल्मोलॉजिस्ट डॉ ब्रजेश प्रजापत ने बताया पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने पर रिसर्च चल रहा है। डॉक्टर और वैज्ञानिक तमाम तरीकों से मरीजों को ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच प्लाज्मा थेरपी से कुछ उम्मीद की किरण जगी है, जो कुछ मरीजों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रही है। उन्होंने बताया कि अब यशोदा में नवीनतम तकनीक से कोरोना के मरीजों का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज होगा।
– क्या होता है प्लाज्मा थेरेपी
इसमें एक तरह से एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इसे प्लाज्मा थेरपी के अलावा एंटीबॉडी थेरपी भी कहा जाता है। किसी खास वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तभी बनता है, जब इंसान उससे पीड़ित होता है। जो मरीज कोरोना वायरस से पीड़ित होता है, जब वह ठीक हो जाता है तो उसके शरीर में कोविड के खिलाफ एंटीबॉडी बनती हैं, इसी एंटीबॉडी के बूते पर मरीज ठीक होता है।जब कोई मरीज बीमार रहता है तो उसमें एंटीबॉडी तुरंत नहीं बनतीं। उसके शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनने में देरी की वजह से वह सीरियस हो जाता है। ऐसे में जो मरीज अभी-अभी इस वायरस से ठीक हुआ है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बनी होती हैं, वही एंटीबॉडी उसके शरीर से निकालकर दूसरे बीमार मरीज में डाल दी जाती हैं। वहां जैसे ही एंटीबॉडी जाती है, मरीज पर इसका असर होता है और वायरस कमजोर होने लगता है। इससे मरीज के ठीक होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।
 -क्या है प्रोसीजर
जो मरीज ठीक हो जाते हैं, उनके शरीर से ऐस्पेरेसिस तकनीक से खून निकाला जाता है, इसमें खून से प्लाज्मा जैसे अवयवों को निकालकर बाकी खून को फिर से उसी रोगी के शरीर में वापस डाल दिया जाता है। डॉक्टरों के मुताबिक, एंटीबॉडी खून के प्लाज्मा में मौजूद होता है, डोनर के शरीर से लगभग 600 मिलीलीटर प्लाज्मा लिया जाता है, इसका लगभग तीन से चार मरीजों में इस्तेमाल हो सकता है।
इससे जो गंभीर व सीरियस कोविड के मरीज हैं, उनमें ट्रांसफ्यूजन कर दिया जाता है। जिससे मरीज के अंदर इस वायरस के खिलाफ बना बनाया एंटीबॉडी पहुंच जाता है, जिसके एक्टिव होते ही वायरस कमजोर होने लगता है। एक ठीक हुए मरीज के ब्लड डोनेशन से कम से कम तीन मरीजों में इसका प्लाज्मा इस्तेमाल किया जा सकता है।
 – कौन हो सकते हैं प्लाज्मा डोनर
.कोरोना संक्रमण से पूरी तरह ठीक होने वाले मरीज।. वायरस के संक्रमण से ठीक होने के बाद 14 दिन तक जिसमें दोबारा लक्षण न दिखे। .थ्रोट-नेजल स्वैब की रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद डोनेट कर सकता है।

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