- विधानसभा चुनाव नतीजे: हरियाणा में भाजपा, जम्मू-कश्मीर में नेंका-कांग्रेस की वापसी
- कश्मीर में उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा भाजपा का प्रदर्शन
अथाह ब्यूरो
नयी दिल्ली। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के मंगलवार को आए नतीजों में मतदाताओं ने आश्चर्यचकित करते हुए दोनों ही स्थानों पर विजेताओं को निर्णायक बढ़त प्रदान की है। इसके तहत हरियाणा में भाजपा सबसे बड़े दल के तौर पर जीत की ‘हैट्रिक’ लगाने में सफल हो गई तो वहीं, जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन सरकार बनाता दिख रहा है। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भाजपा के दिल्ली स्थित राष्टÑीय कार्यालय पर जश्न मनाया जा रहा है।
एक राज्य, एक केंद्र शासित प्रदेश की सत्ता दांव पर थी और तीन मुख्य दावेदार मैदान में थे। जून में लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल एक बार फिर धराशायी हो गये और नतीजे भाजपा के लिए मिले-जुले रहे। कांग्रेस के लिए यह झटका साबित हुए, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस – कांग्रेस गठबंधन को मिला है। जम्मू-कश्मीर में नेकां के नेतृत्व में गठबंधन सत्ता में वापसी कर रहा है।
90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में भाजपा ने 48 सीट पर जीत के साथ तीसरी बार सत्ता में वापसी कर ली है, जबकि सुबह के शुरूआती रुझानों में वह कांग्रेस से पीछे थी। हालांकि, भाजपा जम्मू-कश्मीर की 90 में से महज 29 सीट पर जीत दर्ज करने में सफल रही है।
इस साल के अंत में महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ये नतीजे जहां भाजपा के लिए मनोबल बढ़ाने वाले हैं, वहीं कांग्रेस के लिए ये भारी निराशा वाले प्रतीत होते हैं। कांग्रेस लोकसभा के नतीजों से मिली बढ़त को बरकार रखने की उम्मीद कर रही थी। हरियाणा में सुबह के रुझानों में हालांकि वह आगे थी और उत्साही नेताओं ने मिठाइयां भी बांटनी शुरू कर दी थी। हरियाणा में अपने शीर्ष नेतृत्व में कथित कलह से जूझ रही कांग्रेस को सत्ता में आने की उम्मीद थी, लेकिन वह राज्य में महज 37 सीट पर जीत रही है जो पिछली बार की तुलना में छह अधिक है, लेकिन सरकार बनाने के लिए जरूरी 46 सीट से काफी कम है।
कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग के समक्ष हरियाणा में मतगणना के आंकड़ों को अद्यतन करने में कथित बिना कारण देरी का मुद्दा उठाया और आग्रह किया कि वह अधिकारियों को सटीक आंकड़े अद्यतन करने का निर्देश दे ताकि झूठी खबरों और दुर्भावनापूर्ण बयानों का तुरंत मुकाबला किया जा सके। कांग्रेस के चर्चित विजेताओं में पहलवानी से राजनीति में आईं विनेश फोगट भी शामिल हैं, जो ओलंपिक पदक वजन की वजह से जीत नहीं पाई थीं। उन्होंने जुलाना सीट 6,015 मतों के अंतर से जीती। हालांकि, उनके लिए भी मुकाबला काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा।
भाजपा के पास निवर्तमान विधानसभा में 41 सीट थीं और इस चुनाव में वह 49 सीट पर जीत दर्ज करती नजर आ रही है और अपने दम पर सरकार बनाने की स्थिति में है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपने पूर्व पार्टी सहयोगी अशोक तंवर पर कटाक्ष करते हुए कहा, मुझे हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने का पूरा भरोसा है। 45 मिनट से भी कम समय में अशोक तंवर भाजपा की रैली से राहुल गांधी के साथ चले गए… इससे पता चलता है कि भाजपा सरकार ने किस तरह के बुनियादी ढांचे और सड़कों का विकास किया है।
भाजपा के सत्ता में आने के साथ ही पार्टी नेता अनिल विज भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हो गये। अंबाला कैंट से सुबह पिछड़ने के बाद जीत की ओर अग्रसर अनिल विज ने कहा, हमारी पार्टी में व्यक्ति इन चीजों की घोषणा नहीं करता। इससे पहले मैंने केवल यह स्पष्ट किया था कि मैं इसके (मुख्यमंत्री नामित किये जाने के) खिलाफ नहीं हूं। फैसला आलाकमान करेगा।
दिलचस्प बात यह है कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में संख्याएं लगभग एक जैसी ही हैं – दोनों राज्यों की विधानसभाएं 90 सदस्यीय हैं, हरियाणा में भाजपा 49 सीट के साथ आगे चल रही है या जीत रही है, जबकि जम्मू-कश्मीर में नेकां-कांग्रेस 49 सीट के साथ सत्ता के करीब पहुंच रहे हैं। नेशनल कॉफ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर में बड़ी सफलता हासिल की। इस केंद्र शासित प्रदेश में 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव कराए गए। तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के साथ ही राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के नाम रहा, जिन्हें इस साल हुए संसदीय चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन विधानसभा चुनाव में उन्होंने घाटी में दोनों सीट बडगाम और गांदरबल से जीत दर्ज की है। उमर अब्दुल्ला 2009-14 तक मुख्यमंत्री रहने के बाद एक बार फिर इस पद की जिम्मेदारी लेने को तैयार हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि पिछले पांच वर्षों से जो नेशनल कॉन्फ्रेंस को खत्म करने की कोशिश कर रहे थे, वे आज विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद खत्म हो गए हैं। हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है…। नेकां सरकार बनाने की तैयारी कर रही है। इस बीच, गठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा किसे बनाया जाएगा, इसके बारे में पूछने पर नेकां अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने पत्रकारों से कहा, उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री होंगे।