अथाह संवाददाता
वाराणसी। राष्ट्रीय संगत पंगत के संस्थापक अध्यक्ष, पूर्व सांसद डॉ आरके सिन्हा ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद का कथा उपन्यास की समृद्धि में अहम योगदान रहा है। वह समाज के अमूल्य धरोहर थे। इसलिए उन्हें भारत रत्न सम्मान से नवाजा जाना चाहिए। इसके लिए वह राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उचित फोरम पर मांग करेंगे। डॉ सिन्हा मंगलवार को मुंशी प्रेमचंद के पैतृक गांव लमही में प्रेमचंद की 88 वीं पुण्यतिथि पर आयोजित समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। समारोह का आयोजन काशी वाराणसी विरासत फाउंडेशन ने किया था।
डॉ सिन्हा ने कहा कि प्रेमचंद ने अपनी कहानियों और उपन्यासों में अपने समय के समाज का सच लिखा था। इसीलिए उनकी कृतियाँ कालजयी हैं। देश ही नहीं दुनियाभर में उनके प्रशंसक मौजूद हैं। उन्हें इंडियन शेक्सपियर कहा जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि प्रेमचंद शेक्सपियर से बड़े रचनाकार थे। उनके पाठकों की संख्या शेक्सपियर से कई गुणा अधिक है। उन्होंने कहा कि मुंशी प्रेमचंद समरस समाज बनाने के हिमायती थे। उनके लेखन से अंग्रेजों की ताकतवर हुकूमत डर जाती थी। तभी उन्हें बार-बार प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता था। दुर्भाग्यपूर्ण है कि नई पीढ़ी प्रेमचंद को भूलती जा रही है।
डॉ सिन्हा ने कहा कि वह यहां चेतगंज में उपेक्षित पड़ी प्रेमचंद की लिखी पाण्डुलिपियों को प्रकाशित कराएंगे। उन्होंने बीएचयू में पांच करोड़ से बनी प्रेमचंद शोध संस्थान में तालाबंदी और उपेक्षा को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे भावी पीढ़ी साहित्य में मुंशी प्रेमचंद के योगदान की जानकारी से वंचित रह जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद का लेखन पहले उर्दू में होता था। उन्हें हिंदी का लेखक आचार्य शिवपूजन सहाय ने बनाया।
इससे पहले अपने स्वागत भाषण में मुंशी प्रेमचंद के प्रपौत्र दुर्गा प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि 2016 में राज्यसभा के सांसद रहते डॉ आरके सिन्हा ने ही लमही के स्मारक को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कराया था। जबकि इसका निर्माण 2005 में मुलायम सिंह यादव ने कराया था। चूंकि सिन्हा काशी वाराणसी विरासत फाउंडेशन के अध्यक्ष हैं। इसलिए उन्हें इस विरासत को बचाने की पहल करनी चाहिए।
फाउंडेशन के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. राममोहन पाठक ने कहा कि पत्रकारिता में साहित्य का लोप होना चिन्ता की बात है। साहित्य और पत्रकारिता एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। पत्रकारिता साहित्य को लोगों तक पहुंचाने का माध्यम है। हमें काशी के साहित्य को बचाने की जरूरत है। समारोह को जीएसटी कमिश्नर डॉ शमशेर जमदग्नि, रिटायर्ड जस्टिस चंद्रभाल सुकुमार, विजय नारायण, योगेन्द्र शर्मा और पुराने समाजवादी नेता विजय शंकर पाण्डेय ने भी संबोधित किया। आकाशवाणी की लोकगायिका सरोज वर्मा ने ‘नमन है मेरा उस माटी को, बारम्बार प्रणाम; जहां पर जन्मे प्रेमचंद जी, लमही जिसका नाम; सुनो भाइयों, सुनो री बहनों, इसे धरती की शान बनाना है … बोलो मुंशी जी की जय … बोलो प्रेमचंद की जय’ गाकर आगत अतिथियों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
जारी रहेगी संगत पंगत की रथयात्रा
इससे पहले एक होटल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ सिन्हा ने कहा कि संगत पंगत की रथयात्रा देशभर में जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि समाज में सबसे बड़ी समस्या भ्रम की है। समाज में नकारात्मकता और भ्रम फैलाया जा रहा है। लोगों को इससे बचने की जरूरत है। मैं लोगों के बीच जा रहा हूँ। उनकी समस्या सुनकर समाधान का प्रयास करता हूँ।