मंथन : गाजियाबाद जिला प्रदेश में सर्वाधिक राजस्व अर्जित करने वाले जिलों में शामिल है। इसे उत्तर प्रदेश का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। इसी गाजियाबाद जिले में कोरोना संक्रमण की स्थिति भयावह होती जा रही है। हालत यह है कि हर दिन संक्रमितों की संख्या डेढ़ सौ के पार हो रही है लेकिन संक्रमित मरीजों की सुध लेने वाले कम होते जा रहे हैं।
हालत यह है कि यदि कोई संक्रमित पाया जाता है तो उसके पास अब कोई फोन कंट्रोल रूम से नहीं जाता। संक्रमित मरीज अस्पतालों के चक्कर लगाता है कि शायद कहीं पर उसे भर्ती कर लिया जाये। लेकिन निजी अस्पतालों में मरीजों को बता दिया जाता है कि यहां पर बैड खाली नहीं है।
इसके साथ ही सरकारी अस्पतालों में भी करीब करीब यही स्थिति है। पिछले दिनों एक कोरोना संक्रमित के लिए सिफारिश आती है तो उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती करने की सिफारिश की जाती है जिसके बाद उसे भर्ती कर लिया गया। लेकिन जिसकी कोई जान पहचान नहीं वह बेचारा भटकता रहता है। इस स्थिति में उसके परिवार के लोग भी डरे रहते हैं।
एक कमरे में संक्रमित को बंद कर होम आइसोलेशन की खानापूर्ति की जाती है। बताया जा रहा है कि कोरोना संक्रमित पाये जाने के बाद अब तो मरीज के पास कंट्रोल रूम से फोन भी नहीं किया जाता। यदि बाजारों की स्थिति देखनी हो तो किसी भी बाजार में चले जायें। कहीं पर भी कोविड 19 के नियमों का पालन होता नजर नहीं आ रहा है।
हां इतना अवश्य है कि हाइवे पर पुलिस यदाकदा चेकिंग करती मिल जाती है। कोरोना संक्रमण की भयावह होती स्थिति में सुधार तभी संभव है जब मास्क एवं फेस सिल्ड के नियमों का पालन कड़ाई से हो। इसके लिए संबंधित अधिकारियों को आगे आना होगा।
यदि संक्रमण पर काबू पाने के प्रयास नहीं हुए तो प्रदेश सरकार को सख्त होना पड़ेगा। सरकार की सख्ती में क्या होता है यह सभी को पता है