Dainik Athah

क्या 50- 50 की मांग पर सहमत हो पायेंगे अखिलेश यादव

  • उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव
  • कांग्रेस ने सपा पर दबाव बनाना शुरू किया, लेकिन अखिलेश अपनी मर्जी से देंगे कांग्रेस को सीटें
  • गाजियाबाद सीट का कांग्रेस के खाते में जाना तय

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
अगले कुछ माह बाद उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं। लेकिन अब तक कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में सीटों का बंटवारा भी तय नहीं हो सका है। इस स्थिति में दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में संशय की स्थिति बन रही है।
बता दें कि प्रदेश के नौ विधायकों के सांसद चुने जाने के बाद नौ सीटें खाली हो गई। जबकि सपा के इरफान सोलंकी को अयोग्य घोषित किये जाने के कारण उनकी सीट भी रिक्त हो गई। जिससे प्रदेश में दस विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होना है। केंद्र व प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पिछले दो माह से चुनावी तैयारियों में जुटी है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन सभी दस सीटों पर जीत की रणनीति बना रहे हैं। उन्होंने हर विधानसभा क्षेत्र में तीन- तीन मंत्रियों के साथ ही एक एक बड़े नेता जिनमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री संगठन के साथ ही दोनों उप मुख्यमंत्रियों को दो दो विधानसभा आवंटित कर जीत की जिम्मेदारी सौंपी है। सीएम योगी हर हाल में ये दस सीटें जीतकर इंडिया गठबंधन और देश को संदेश देना चाहते हैं।

वहीं दूसरी तरफ यदि बात करें इंडिया गठबंधन की तो सपा और कांग्रेस ने पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है, लेकिन सीट बंटवारे का फार्मूला तय नहीं हो पाया है। स्थिति यह है कि जिन 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होना है उनमें से पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने पांच सीटों (सीसामऊ, करहल, कुंदरकी व कटेहरी तथा मिल्कीपुर) पर जीत दर्ज की थी। वहीं फूलपुर, खैर, गाजियाबाद व मझवां तथा मीरापुर की सीटों को लेकर कांग्रेस ने सपा पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार सपा सैद्धांतिक रूप से सहमत है कि गाजियाबाद शहर सीट कांग्रेस को दे दी जाये, इसके साथ ही खैर व मीरापुर सीट भी कांग्रेस के खाते में जाने के संकेत है, लेकिन दो सीटों पर मुख्य रूप से पेंच फंसा है। इसको लेकर अभी तक दोनों दलों के नेताओं के बीच वार्ता भी नहीं हुई है, हालांकि कांग्रेस ने अधिकांश सीटों पर पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है।

सपा के नेता भी अंदरखाने यह स्वीकार कर रहे हैं कि गाजियाबाद सीट ही ऐसी है जहां कांग्रेस का लड़ना तय है। इसी हिसाब से दोनों दल तैयारियों में जुटे हैं, लेकिन सीटों का फार्मूला जब तक तय न हो जाये कुछ भी कहना कठिन है। यहीं कारण है कि कांग्रेस के प्रत्याशी लगातार भाग दौड़ में लगे हैं, परंतु उन्हें इंतजार करने के लिए दिल्ली दरबार से कहा जा रहा है। इंडिया गठबंधन के नेताओं का मानना है कि जितनी देरी होगी उतना ही सत्तारूढ़ पार्टी को लाभ मिलेगा। वहीं आसपा और बसपा ने प्रत्याशियों की घोषणा भी शुरू कर दी है। गाजियाबाद सीट पर आसपा ने सत्यपाल चौधरी को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। अब तो दोनों ही दलों का कहना है कि सपा और कांग्रेस नेतृत्व को सीट बंटवारा घोषित कर देना चाहिये और जल्द ही प्रत्याशी भी घोषित हो।


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