आचार्य शिवकुमार शर्मा के अनुसार इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त दिन सोमवार को मनाया जाएगा ।इससे बार रक्षाबंधन पूरे दिन मनाया जाएगा। कुछ लोग भद्रा का विचार जोर-शोर से प्रचार प्रसार कर रहे हैं जो कि बिल्कुल निराधार है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार भद्रा के समय चन्द्रमा मेष, वृषभ, मिथुन, वृश्चिक राशि में स्थित तो भद्रा का निवास स्वर्ग में होता है। यदि चन्द्रमा कन्या, तुला, धनु, मकर राशि में हो तो भद्रा पाताल में निवास करती है और कर्क, सिंह, कुंभ, मीन राशि का चन्द्रमा हो तो भद्रा का भूलोक पर निवास रहता है।19 अगस्त को भद्रा प्रातः 3:04 से आरंभ हो जाएगी और दोपहर 13: 29 बजे तक रहेगी। किंतु पूर्णिमा को चंद्रमा शाम को 5:56 बजे तक मकर राशि में है ।और मकर राशि में जब चंद्रमा होते हैं तो उपरोक्त शास्त्रीय वचन के अनुसार भद्रा का निवास पाताल में होता है । स्वर्ग और पाताल में जब भद्रा होती है तो पृथ्वी पर उसका कोई प्रभाव नहीं होता है। इसलिए पूरे दिन रक्षाबंधन मनाया जाएगा। दूसरी बात यदि एक परसेंट मान लेते हैं भद्रा है तो शास्त्र में नियम है कि पहली पांच घटी तक भद्रा का मुख होता है ।उसे छोड़कर के रक्षाबंधन कर सकते हैं। क्योंकि भद्रा प्रात 3:04 बजे से आरंभ होगी । पांच घटी अर्थात लगभग दो -सवा दो घंटे प्रातः 5:15 बजे तक ही बीत जाएंगे उसके बाद में शुभ है। रक्षाबंधन के शुभ मुहूर्त।वैसे तो 19 अगस्त को शाम 6:55 तक किसी भी समय राखी बांध सकते हैं ।लेकिन कुछ विशिष्ट मुहूर्त इस प्रकार हैंप्रातः 5:40 से 7: 30 बजे तक सिंह लग्न (स्थिर लग्न )रहेगा, जो बहुत ही शुभ है । 7:30 बजे से 9:00 बजे तक राहुकाल है इसका त्याग करना चाहिए।उसके पश्चात 11:36 से 12:24 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। यह सर्वोत्तम समय माना गया है। उसके तुरंत बाद 12:38 बजे से 14: 56 बजे तक वृश्चिक लग्न (स्थिर लग्न) भी शुभ है। उसके पश्चात शाम 5:00 से 6:42 बजे तक मकर लग्न (स्थिर लग्न) शुभ है शाम को 6:55 से कुंभ में चंद्रमा जाएंगे ।उसकी पश्चात रक्षाबंधन नहीं करना चाहिए ।
कैसे करें रक्षाबंधन रक्षाबंधन करते समय बहनें सबसे पहले भाई के मस्तक पर रोली या चंदन और अक्षत से तिलक करें। उसके बाद सीधे हाथ की कलाई पर रक्षासूत्र बांधे ।बहिन भाई को मिष्ठान खिलाएं और भाई भी बहन को मिष्ठान खिलाएं। भाई अपनी बहन को उपहार स्वरूप कुछ मुद्रा अथवा वस्तु प्रदान करें। राखी बांधते समय इस मंत्र का पाठ करना चाहिए *येन बद्धो बलि: राजा दानवेंद्रो महाबल:। तेन त्वां प्रति बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
आचार्य शिवकुमार शर्मा ।अध्यक्ष- शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट