Dainik Athah

कोरोना काल में जान गवाने वाले 382 डॉक्टरों को मिले शहीदों का दर्जा : IMA

अथाह ब्यूरो नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में महामारी की शुरुआत से लोगों की सेवा में जुटे डॉक्टर भी इससे बच नहीं पाए हैं। कई डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों का संक्रमण की वजह से निधन हो गया है। सरकारी डॉक्टरों के लिए केंद्र सरकार ने मुआवजे का ऐलान किया है। Indian Medical Association (IMA) के अध्यक्ष डॉ राजन शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर प्राइवेट डॉक्टरों के परिवारों को भी मुआवजा दिए जाने और शहीदों का दर्जा की मांग की है।

IMA अध्यक्ष डॉ शर्मा ने अपने पत्र में लिखा कि हमारे आंकड़े बताते हैं अब तक 2006 डॉक्टर संक्रमित हो चुके हैं और 382 की मौत हो चुकी है। IMA ने बताया कि मरने वाले डॉक्टरों में से 188 जनरल फिजिशियन थे, जो सबसे पहले लोगों से संपर्क में आते हैं।

IMA अध्यक्ष डॉ शर्मा ने पत्र में लिखा- ये डॉक्टर महामारी में घर पर रह सकते थे, लेकिन ये देश की सेवा के लिए आगे आए। सरकारी डॉक्टरों को जो मुआवजा दिया जा रहा है, इन शहीदों के परिवार भी उसके हकदार हैं। इस महामारी में जितने भी डॉक्टरों की मौत हुई है, उन्हें इंडियन आर्म्ड फोर्सेज के शहीदों के बराबर का दर्जा मिले। मृत डॉक्टरों के पति/पत्नी को क्वालिफिकेशन के मुताबिक सरकारी नौकरी दी जाए।

मुआवजा पहुंच नहीं रहा – पत्र में कहा गया कि जो भी मुआवजा तय किया गया है, वो कई लाभार्थी तक पहुंच नहीं पा रहा है। IMA अध्यक्ष ने कहा कि इसे ठीक से एडमिनिस्टर करने के लिए एक व्यवस्था की जरूरत है। खत में कहा गया, “महामारी से लड़ रहे सैनिकों को समर्थन देने के लिए शुरू की गई राष्ट्रीय स्कीम को सरकारी नौकरों के धन-संबंधी फायदे में बदलने नहीं दिया जा सकता। “

‘हेल्थकेयर मैनपावर है कीमती ‘- IMA ने अपने पत्र में कहा कि हेल्थकेयर मैनपावर कीमती है और देशभर में एक जैसी कार्यशैली लागू करने की जरूरत है। IMA ने कहा, “अलग-अलग जिलों में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की तैनाती में अंतर देखने को मिला है। डॉक्टरों को बिना किसी क्वॉरंटीन पीरियड के 24*7 तैनात करना और वो भी PPE किट में सुरक्षित दफ्तरों में बैठकर 24*7 कोरोना वायरस पर नियंत्रण करने जैसा नहीं है।”

IMA ने कहा कि देश इस महामारी से कैसे निकलेगा, वो इस बात पर निर्भर करेगा कि देश अपने मानव संसाधन का इस्तेमाल कैसे करता है। पत्र में कहा गया, “केस फैटेलिटी रेट (CFR) सफलता का मापदंड होगा, न कि कुल संक्रमण के मामले। CFR में सिर्फ डॉक्टर ही अंतर ला सकते हैं। ” 

IMA का कहना है कि मौजूद प्रशासनिक व्यवस्था में सभी सेक्टर के मेडिकल प्रोफेशनल्स के लिए दिक्कतें हैं और महामारी की चुनौती से निपटने के लिए सभी सेक्टर के डॉक्टरों का सशक्तिकरण जरूरी है।

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