- यूपी की दस विधानसभा सीटों के उप चुनाव के लिए भाजपा- इंडिया गठबंधन की प्रतिष्ठा दांव पर
- भाजपा 50 फीसद से अधिक सीटों पर बढ़त की तैयारी में
- हर हाल में भाजपा और इंडिया पांच से अधिक सीटें जीतकर मनौवैज्ञानिक बढ़त बनाना चाहेगा
अशोक ओझा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा की दस सीटों के लिए होने वाले उप चुनाव के लिए केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ ही इंडिया गठबंधन ने भी अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। तैयारियों के लिहाज से देखा जाये तो भाजपा कहीं आगे है, जबकि कांग्रेस और सपा में सीटों के बंटवारे का फार्मूला भी तय नहीं हो पाया है। इन उप चुनावों में भाजपा और इंडिया गठबंधन आधी से ज्यादा सीटें जीतकर विरोधियों पर मनौवैज्ञानिक बढ़त बनाना चाहेंगे। अभी तक की स्थिति में भाजपा इंडिया गठबंधन पर भारी नजर आ रही है।
2024 के लोकसभा चुनाव खत्म हो गए, लेकिन चुनावी नतीजों ने केंद्र एवं उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा को ऐसा जख्म दिया है जिसे भरने में लंबा वक्त लग जाएगा। वहीं अखिलेश यादव और उनका गठबंधन बेहद उत्साहित है, ऐसे में दस विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव भाजपा और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए बेहद अहम है। हालांकि, अभी उपचुनाव की तारीख की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन दोनों गठबंधनों ने चुनाव के लिए अपनी कमर कसनी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए इन 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में जीत उनके साथ ही भाजपा संगठन के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर इन सीटों पर भाजपा चुनाव हारती है तो फिर मुख्यमंत्री के साथ ही संगठन पर सवाल उठने शुरू हो जाएंगे। वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव लोकसभा की जीत को दोहराकर भाजपा पर दबाव बनाना चाहेंगे।
विधानसभा उप चुनाव के लिए सबसे पहले सीएम योगी ने तैयारी शुरू कर दी है। योगी ने उपचुनाव की कमान अपने हाथ में ले ली है, हालात को भांपते हुए योगी ने उपचुनाव में उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव प्रबंधन और चुनावी रणनीति की एक समानांतर प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने अपने 15 मंत्रियों को दस विधानसभा सीटों पर ड्यूटी लगा दी है।
इन सीटों पर होगा उप चुनाव
करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, फूलपुर, मझवा और सीसामऊ सीटों पर उपचुनाव होना है।
यदि देखा जाये तो गाजियाबाद सीट पिछले दो चुनावों से भाजपा के कब्जे में है। इस सीट से वर्तमान सांसद अतुल गर्ग लगातार दो बार चुनाव जीते हैं। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा बड़े अंतर से इस सीट पर आगे थी। इस कारण माना जा रहा है कि गाजियाबाद सीट उप चुनाव में भी भाजपा जीत लेगी, लेकिन बदली परिस्थितियों में भाजपा को इस सीट को भी हल्के में नहीं लेना होगा। वहीं, मझवा सीट भी भाजपा विधायक के इस्तीफ से खाली हुई है। भाजपा इसबार अयोध्या की मिल्कीपुर सीट को हर हाल में जीतना चाहेगी। इस सीट को जीतकर वह पूरे देश में संदेश देना चाहती है। अयोध्या से सांसद अवधेश प्रसाद लगातार नौ बार से इस सीट से विधायक है जिस कारण भाजपा के लिए सीट जीतना आसान नहीं होगा। यदि मीरापुर सीट को देखा जाये तो इस सीट पर रालोद का कब्जा था। चंदन चौहान के सांसद बनने से यह सीट रिक्त हुई है। यह सीट रालोद के खाते में जायेगी, लेकिन रालोद को सीट बचाने के लिए लोहे के चने चबाने होंगे। प्रयागराज के फूलपुर की है। वहां से बहुत कम अंतर से विधायक बनें प्रवीण पटेल अब सांसद है, भाजपा इस सीट को भी अपने पास रखना चाहेगी। अलीगढ़ की खैर सीट से विधायक अनूप प्रधान वाल्मीकि के सांसद बनने पर यह सीट भी रिक्त हुई है। भाजपा का पलड़ा यहां पर भारी है।
करहल- करहल से अखिलेश यादव विधायक थे, अब कन्नौज से सांसद हैं। यहां पर अखिलेश अपने भतीजे तेजप्रताप को लड़ाने की तैयारी में हैं। कानुपर की सीसामऊ सीट से सपा के इरफान सोलंकी के सजायाफ्ता होने से खाली हुई है, यह समाजवादी पार्टी की मजबूत सीटों में से एक है, जहां इस बार सपा इरफान सोलंकी के परिवार से किसी को टिकट दे सकती है। यहां इरफान के साथ लोगों की सहानुभूति रही तो भाजपा के लिए मुश्किल हो सकती है। मुरादाबाद की कुदरकी सीट संभल लोकसभा के अंतर्गत आती है, लेकिन मुस्लिम बहुल होने की वजह से यह सीट समाजवादी पार्टी की गढ़ मानी जाती है। अंबेडकर नगर की कटहरी सीट से सपा के वरिष्ठ नेता और विधायक लालजी वर्मा विधायक थे। यह सीट भी भाजपा के लिए मुश्किल सीटों में है।
फूलपुर- फूलपुर विधानसभा से 2022 में बीजेपी जीती थी, जहां से प्रवीण पटेल विधायक निर्वाचित हुए थे, लेकिन इस बार भाजपा ने प्रवीण पटेल को फूलपुर से सांसदी तो जिता ली, लेकिन प्रवीण पटेल फूलपुर की विधानसभा से हार गए।