गाजियाबाद।इस वर्ष श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 7 अगस्त दिन बुधवार को हरियाली तीज का उत्सव मनाया जाएगा। बुधवार को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होने से स्थिर योग बनता है।स्थिर योग में हरियाली तीज का उत्सव बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। लोक परंपराओं के अनुसार हरियाली तीज सौभाग्यशाली महिलाएं, युवतियां सभी बड़े हर्ष व उल्लास से मनाती हैं। इस दिन महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं। नवविवाहिता महिलाएं सोलह सिंगार करके मां पार्वती की पूजा करती हैं ।इस त्यौहार को मां स्वर्ण गौरी का पर्व भी कहते हैं।स्वर्ण गौरी मां पार्वती का ही रूप है। जिसमें सौभाग्यवती महिलाएं इनकी पूजा करके अपने पति की दीर्घायु का आशीर्वाद लेती है। विवाह योग्य युवतियां सुन्दर और सुयोग्य पति की की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती है। लड़कियां, महिलाएं युवतियां सभी इस दिन झूला झूलती हैं और श्रावण के गीतों का आनंद लेती हैं। वैसे तो आजकल झूलों का अभाव सा हो गया है किंतु गांवों में अथवा सोसाइटी में इसकी विशेष व्यवस्था करके तीजोत्सव मनाते हैं।इस दिन भारतीय परंपरा के अनुसार विवाहित कन्याओं के यहां सिंधारा भेजने की परंपरा है। इसमें घेवर आदि मिष्ठान ,श्रृंगार की वस्तुएं, साड़ियां आदि वस्तुएं रख कर लड़की की ससुराल में भेजते हैं। कहीं-कहीं लड़के वाले भी लड़की वाले के यहां सिंधारा भेजते हैं। इसलिए इसको सिंधारा चीज कहते हैं ।इस आनंद उत्सव में महिलाएं प्रसन्न होकर अपने घरों में सोलह श्रृंगार करती हैं और स्वर्ण गोरी, मां पार्वती की पूजा करके झूला झूलती हैं।। हरियाली तीज को मधुश्रवा तीज भी कहते हैं । विवाहित महिलाएं अपने पति के साथ सुख सौभाग्य प्राप्त करती हुई आनंद की कामना और घर में समृद्धि की कामना से इस त्यौहार को मनाती है।
पंडित शिवकुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कन्सलटैंट, गाजियाबाद