Dainik Athah

दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर स्टेशनों के पार्किंग स्थलों में एक साथ खड़े हो सकेंगे 8 हजार से अधिक वाहन

  • सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एनसीआरटीसी, आरआरटीएस स्टेशनों पर प्रदान करेगी व्यापक पार्किंग सुविधा

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद
। एनसीआरटीसी सम्पूर्ण दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पर नमो भारत ट्रेन के यात्रियों के लिए व्यापक पार्किंग की सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में अग्रसर है। खास बात यह है कि आरआरटीएस स्टेशनों पर तैयार किए जा रहे पार्किंग स्थलों में आठ हजार से अधिक वाहनों को एक साथ खड़ा किया जा सकेगा।
नमो भारत ट्रेन सेवाएं एनसीआर में रीजनल केन्द्रों को उच्च गति से कनेक्ट कर रही हैं। आरआरटीएस स्टेशनों को रणनीतिक रूप से 5 से 10 किमी की औसत दूरी पर विकसित किया जा रहा है। सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एनसीआरटीसी निर्बाध फर्स्ट /लास्ट माइल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए विभिन्न पहल कर रही है। एनसीआरटीसी ने इस दिशा में यात्रियों की सुविधा के लिए स्टेशन पार्किंग क्षेत्रों में पर्याप्त स्थान प्रदान कर रही है, ताकि यात्री अपने निजी वाहनों को पार्किंग में खड़ा करके नमो भारत ट्रेनों की आरामदायक, सुरक्षित और विश्वसनीय सवारी का आनंद ले सकें। इससे न केवल दिल्ली-मेरठ मार्ग पर निजी वाहनों का भार काफी कम होगा, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं को भी रोकने में सहयोग मिलेगा। इसके साथ ही वायु प्रदूषण को भी कम करने में मदद मिलेगी।

अनुमान है कि सम्पूर्ण दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर तैयार होने के बाद सार्वजनिक परिवहन के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे सार्वजनिक परिवहन उपयोग की मौजूदा 37% की हिस्सेदरी बढ़कर 63% तक हो जाएगी। एनसीआरटीसी यात्रियों को लास्ट माइल कनेक्टिविटी के विभिन्न विकल्प प्रदान करने पर भी काम कर रही है, जिसके लिए हाल ही में सभी 25 स्टेशनों पर विभिन्न प्रकार की फीडर सेवाएं प्रदान करने के लिए अभिरुचि की अभिव्यक्ति आमंत्रित की गई है।
आरआरटीएस कॉरिडोर पर तैयार किए जा रहे पार्किंग स्थलों में 1,600 से अधिक चौपहिया और 6,500 से अधिक दुपहिया वाहनों के खड़ा करने की सुविधा होगी। इन पार्किंग स्थलों पर सिर्फ पिक और ड्रॉप के लिए आने वाले वाहनों के लिए शुरूआती 10 मिनट तक कोई शुल्क नहीं है। 10 मिनट के बाद और 6 घंटों तक साइकिल के लिए 5 रुपए, दुपहिया वाहनों के लिए 10 रुपए और चौपहिया वाहनों के लिए 25 रुपए। 6 से 12 घंटे के लिए साइकिल के लिए 5 रुपये, दुपहिया वाहनों के लिए 25 रुपये और कारों के लिए 50 रुपये और 12 घंटे के बाद आरआरटीएस संचालन के घंटे समाप्त होने तक, साइकिल के लिए 10 रुपये, दुपहिया वाहनों के लिए 30 रुपये और कारों के लिए 100 रुपये। नॉन आॅपरेशनल घंटों के दौरान नाइट पार्किंग का चार्ज साइकिल के लिए 20 रुपये, दुपहिया वाहनों के लिए 60 रुपये और कारों के लिए 200 रुपये होगा।
दिल्ली से मेरठ तक पूरे आरआरटीएस कॉरिडोर पर 25 स्टेशन हैं। इन स्टेशनों पर अपेक्षित फुटफाल को ध्यान में रखते हुए पार्किंग स्थान विकसित किए जा रहे हैं। आरआरटीएस स्टेशनों पर सबसे बड़ी पार्किंग मेरठ साउथ स्टेशन में बनाई जा चुकी है, जहां करीब 300 कारें और 900 दुपहिया वाहन पार्क किए जा सकते हैं। वहीं दूसरी सबसे बड़ी पार्किंग दिल्ली के सराय काले खां स्टेशन पर विकसित की जा रही है, जहां करीब 275 कारें और 900 दुपहिया वाहन पार्क किए जा सकेंगे।
इस कॉरिडोर का 34 किलोमीटर का हिस्सा पहले से ही 8 आरआरटीएस स्टेशनों के साथ जनता के लिए संचालित है, जहां यात्रियों को पार्किंग की सुविधा प्रदान की गई है। इन पार्किंग स्थलों में आॅटो रिक्शा पार्क करने की सुविधा भी उपलब्ध है। स्टेशनों पर पिक-अप और ड्रॉप-आॅफ सुविधा के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं। स्टेशनों को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि मुख्य सड़क से आने वाले वाहन आसानी से स्टेशन पर यात्रियों को ले और छोड़ सकें।
इसके साथ ही दिव्यांग यात्रियों की आवाजाही को ध्यान में रखते हुए उनके वाहनों की पार्किंग के लिए अलग से जगह निर्धारित की गई है और स्टेशन में आसान प्रवेश के लिए रैंप भी बनाए गए हैं, ताकि वे नमो भारत ट्रेन में यात्रा करने की सुविधा का लाभ उठा सकें।
एनसीआरटीसी अपने पार्किंग स्थलों में नमो भारत के यात्रियों और लास्ट माइल सेवा प्रदाताओं, दोनों के लिए बैटरी स्वैपिंग स्टेशन स्थापित करने की भी योजना बना रही है। बैटरी स्वैपिंग स्टेशन न केवल इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देंगे, बल्कि लोगों के लिए लास्ट माइल कनेक्टिविटी को भी बढ़ाने में मदद करेंगे।
एनसीआरटीसी शुरू से ही ज्यादा से ज्यादा लोगों को पार्किंग की सुविधा और लास्ट-माइल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभा रही है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि स्टेशनों से दूर रहने वाले लोग बिना किसी परेशानी के आरआरटीएस स्टेशनों तक आसानी से पहुंच सकेंगे। इन सुविधाओं से एक अधिक सुविधाजनक और ईको फ्रेंडली परिवहन प्रणाली बनेगी, जिससे न केवल प्रदूषण कम होगा, बल्कि लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में भी मदद मिलेगी।


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