Dainik Athah

Namami Gange से बिहार में बहेगी विकास की बयार

ब्रजेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार

“Namami Gange”
गंगा हमारे लिए केवल नदी नहीं, सभ्यता, संस्कृति और श्रद्धा का घोतक है। गंगा हमारे लिए मां स्वरूप है। हमने कई दशकों से अपनी इस अध्यात्मिक शक्ति स्वरूप को संवारने, संजोने और संभालने में कमी कर दी, जिसके कारण मां गंगा हमसे दूर होती दिख रही थीं, लेकिन जिस तरह धरती के उद्धार के लिए गंगा अवतरण का प्रयास भागीरथ ने किया था, उसी तरह अब गंगा को निर्मल करने का संकल्प नए भारत की जरूरत है। इसी संकल्प को जमीनी हकीकत बनाने का भागीरथ प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू कर दिया है। इसकी झलक हमें 2014 में देखने को मिली, जब न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय के बीच प्रधानमंत्री ने कहा था, “अगर हम गंगा नदी को साफ करने में सक्षम हो गए तो यह देश की 40 फीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी। अतः गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा भी है।”

इस सोच को कार्यान्वित करने के लिए मोदी सरकार ने गंगा को फिर से निर्मल और शुद्ध करने के लिए ‘नमामि गंगे’ (Namami Gange)नामक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन का शुभारंभ किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए पर 2019-2020 तक 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की केंद्र की प्रस्तावित कार्ययोजना को मंजूरी दी। बड़ी बात यह रही कि इस बहुउद्देशीय योजना को 100% केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ एक केंद्रीय योजना का रूप दिया गया। गंगा संरक्षण की चुनौती बहु-क्षेत्रीय और बहु-आयामी है। इसमें कई हितधारकों की भूमिका निहित है। विभिन्न मंत्रालयों के साथ केंद्र-राज्य के बीच समन्वय को बेहतर बनाया गया, जिसके बाद कार्ययोजना की तैयारी में सभी की भूमिका तय की गई। केंद्र और राज्य स्तर पर निगरानी तंत्र को मजबूत करने के जो प्रयास हुए, वह अब फलीभूत हो रहे हैं।

गंगा का प्रवाह मुख्यत: उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में है। यहां गंगाजल को निर्मल, शुद्ध और आचमन लायक बनाने में सफलता मिली है। सरकारी और गैर सरकारी मशीनरी के सामुदायिक भागीदारी में इजाफा होने से यह संभव हो सका है, जिसके सकारात्मक परिणाम सबके सामने हैं। बलिया से गंगा का बिहार में आगमन होता है, जो डॉल्टेन गंज तक रहता है। इसके बाद गंगा झारंखड को सुख प्रदान करने के लिए अग्रसर हो जाती है। जिन राज्यों में गंगा की उन्मुक्त धारा प्रवाहित हो रही है, वहां नमामि गंगे (Namami Gange)योजना ने आर्थिक संबल दिया है। इसकी बानगी कुछ दिनों पहले बिहार में देखने को मिली।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे (Namami Gange)योजना को आधार बनाकर अब तक 6 हजार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं को स्वीकृति दी है। कारण यह है कि बिहार के तमाम जिलों का गंगा से बहुत ही गहरा नाता रहा है। राज्य के 20 बड़े और महत्वपूर्ण शहर गंगा के किनारे ही बसे हुए हैं। गंगा की स्वच्छता, गंगाजल की स्वच्छता का सीधा प्रभाव इन शहरों में रहने वाले करोड़ों लोगों पर पड़ता है, जिसकी गंभीरता और महत्ता समझ और गंगा की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए ही बिहार में 6 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की 50 से ज्यादा परियोजनाओं पर काम चल रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रयास रहा है कि गंगा के किनारे बसे जितने भी शहर हैं, वहां बड़े-बड़े गंदे नालों का पानी सीधे गंगा में गिरने से रोका जा सके। इसके लिए अनेकों वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट्स लगाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में पीएम मोदी ने पटना के बेऊर और करम-लीचक के लिए योजनाएं स्वीकृत की हैं। इससे क्षेत्र के लाखों लोगों को लाभ होगा। बड़ी बात यह है कि गंगा के किनारे जो गांव बसे गांव हैं, उन्हें ‘गंगा ग्राम’ के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। इन गांवों में लाखों शौचालय के निर्माण के बाद अब कचरा प्रबंधन और जैविक खेती जैसे काम के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मुंगेर और जमालपुर में पानी की कमी को दूर करने वाली जलापूर्ति परियोजनाओं और मुजफ्फरपुर में नमामि गंगे (Namami Gange) के तहत रिवर फ्रंट डेवलपमेंट स्कीम का भी पीएम ने शिलान्यास कर नमामि गंगे (Namami Gange)की महत्व को राष्ट्र के सामने रखने का प्रयास किया है। रिवर फ्रंट का निर्माण हो जाने से घाटों का मनोरम दृश्य के साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा, जो मुजफ्फरपुरवासियों के लिए भविष्य में आकर्षण का केंद्र साबित होगा।

कई सालों तक बिहार के विकास से राजनीतिक सूचिता की दूरी बनी रही, जिसके कारण बिहार अन्य राज्यों के विकास के अपेक्षा पीछे होता चला गया। कई बड़ी योजनाएं घोटाले की भेंट चढ़ गईं, लेकिन बीते डेढ़ दशक से बिहार ने हर क्षेत्र में विकास किया है। अब एक तरफ लोगों में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है तो खुद के प्रति आत्मविश्वास। बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कोरोना के इस संकट काल में भी बिहार के लोगों ने धैर्य का आलींगन कर, जिम्मेदारी को सर्वोपरी मानते हुए निरंतर काम किया है। कुछ महीनों में बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में 57 लाख से ज्यादा परिवारों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा गया है। इसमें बहुत बड़ी भूमिका प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान ने भी निभाई है। बिहार लौटे हजारों श्रमिक साथियों ने करके दिखाया। कोरोना की वजह से दूसरे राज्यों से बिहार लौटे लोगों ने अपने मेहनत के बल पर यह नया कारनामा कर दिखाया, जो पूरे देश के लिए उदाहरण बना।

बिहार में कई दशकों तक शासन पर स्वार्थनीति हावी रही। वोटबैंक का तंत्र सिस्टम को दबाता रहा, जिसका असर प्रताड़ित, वंचित और शोषितों पर सीधे तौर पर दिखा। बिहार के लोगों ने इस दर्द को दशकों तक सहन किया है। पानी और सीवरेज जैसी मूल ज़रूरतों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया, जिसका दंश बिहार की माताओं-बहनों, गरीब, दलित, पिछड़ों-अति पिछड़ों ने दशकों तक झेला। नमामि गंगे (Namami Gange) योजना से भी बिहार को मूलभूत जरूरत को पूरा करने में सहयोग मिला। प्रधानमंत्री मोदी की संकल्प और सुशासन बाबू की कर्म शक्ति से बिहार ने बीते 15 वर्षों में उत्तरोत्तर विकास किया है। इसके कारण बिहार के लोगों में जिजीविषा बढ़ी है, आत्मविश्वास बढ़ा है। यह कहना ठीक होगा कि आत्मनिर्भर बिहार ही आत्मनिर्भर भारत का आधार है। जिसका श्रेय हमें पतित पावनी को देना होगा…हर हर गंगे…नमामि गंगे।

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