अथाह संवाददाता
अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू), अलीगढ़ के दानदाता सदस्य और पूर्व छात्र प्रो. (डॉ.) जसीम मोहम्मद ने एक औपचारिक पत्र प्रेषित कर कुलपति प्रोफेसर नईमा खातून से अनुरोध किया है कि विश्वविद्यालय में हिंदू अध्ययन, जैन अध्ययन और बौद्ध अध्ययन के लिए नए अध्ययन केंद्र/ पीठ स्थापित किए जाएं।
एएमयू के कुलपति को प्रेषित अपने पत्र में प्रो. जसीम मोहम्मद ने एएमयू के शैक्षणिक परिवेश को व्यापक रूप से समावेशी बनाते हुए सर्वधर्म समभाव की भावना से योगदान देने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के निहित उद्देश्यों के साथ संदर्भित करने में इन केंद्रों के महत्त्व एवं उनकी उपादेयता पर बल दिया है। उन्होंने अपनी टिप्पणी में कहा- ‘इन अध्ययन केंद्रों को स्थापित करने से सभी समुदायों के बीच धार्मिक सद्भाव और आपसी सम्मान एवं सौहार्द विकसित होगा।’ प्रो. जसीम मोहम्मद ने एनईपी के विचारों को व्यक्त करते हुए कहा कि, “हमारा देश विविध धर्मों, परंपराओं, संस्कृतियों, मान्यताओं और दार्शनिक विचारों का केंद्र है, जहां उपर्युक्त सभी का हमारे देश की विरासत एवं व्यापक स्वरूप निर्माण में विशेष योगदान रहा है। हिंदू, जैन और बौद्ध अध्ययनों के लिए केंद्र/ पीठ स्थापित करने से इन महत्त्वपूर्ण परंपराओं के ज्ञान और समझ को बढ़ावा देने में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की बड़ी उल्लेखनीय भूमिका सुनिश्चित हो सकेगी।
एएमयू के पूर्व मीडिया सलाहकार प्रो. जसीम मोहम्मद ने एक प्रगतिशील समाज के लिए समाज में शांतिपूर्ण परिवेश और धार्मिक सद्भाव के महत्त्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, जब हम विभिन्न धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं के विषय में जानते और समझते हैं, तो हम समाज में आपसी समझ और सम्मान-सहमति के मजबूत सेतु का निर्माण हैं। उपर्युक्त नए केंद्र विद्यार्थियों को हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म की महान् शिक्षाओं और उनके मानवीय मूल्यों के विषय में शिक्षित कर, इस तरह के सद्भाव को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इनके अतिरिक्त उन्होंने इन पवित्र धर्मों के अध्ययन के परिणामस्वरूप प्राप्त होनेवाले शैक्षणिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों पर बल देते हुए कहा, हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मों ने भारतीय संस्कृति और विचारों को प्रसारित करने में बहुत बड़ा योगदान दिया है। इन पवित्र धर्मों के अध्ययन से छात्र दर्शन, साहित्य, कला और इतिहास के विषय में व्यापक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, जिसने सदियों से भारतीय समाज को आकार और दिशा देने का काम किया है।
प्रो. जसीम मोहम्मद का मानना है कि इन केंद्रों की स्थापना एएमयू को व्यापक रूप से समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने में अग्रणी बनाएगी, देश-विदेश के विभिन्न पृष्ठभूमि और समाज के छात्रों को आकर्षित करेगी और एक विविधवर्णी जीवंत शैक्षणिक समुदाय विकसित करने में सहायक होगी। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए विश्वविद्यालय- नेतृत्व और सभी इसी सदस्यों को पत्र भेजकर उनके अनुरोध पर विचार करने का आग्रह किया तथा कहा कि आपका नेतृत्व और आपकी दूरदर्शिता इस विचार को मूर्त रूप देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जिसके परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय और उसके विद्यार्थियों, दोनों को समान रूप से महत्त्व एवं लाभ प्राप्त होगा! इसके साथ ही विश्वविद्यालय की गरिमा को ऊँचाई पर ले जाने में सहायता भी मिलेगी।