Dainik Athah

दलित वोट कैसे छिटका भाजपा से, क्यों गया इंडिया गठबंधन को

  • भाजपा के राष्टÑीय संगठन महामंत्री ने अनुसूचित मोर्चा- प्रदेश सरकार के मंत्रियों के साथ की बैठक
  • असीम अरुण, बेबी रानी मौर्य, दिनेश खटीक समेत अन्य मंत्री शामिल रहे बैठक में
  • दलितों एवं अनुसूचित जाति के वोटों में बिखराव से चिंता

अशोक ओझा
लखनऊ।
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को कम सीटें मिलने और दलित मतदाताओं के पार्टी से छिटक कर इंडिया गठबंधन एवं कांग्रेस के पाले में जाने से भाजपा नेतृत्व चिंतित है। पार्टी अब हर मुद्दे पर समीक्षा कर रही है। पार्टी नेतृत्व संविधान और आरक्षण खत्म करने जैसे मुद्दों से ऊब चुकी है। पार्टी नेतृत्व का सवाल है कि आखिरकार समाज के जिन नेताओं को कुर्सी एवं सम्मान दिया गया उन्होंने कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए क्या किया।
बता दें कि दलित मतदाता प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही भाजपा से जुड़ने लगे थे। 2014 से शुरू हुआ जुड़ाव लगातार बढ़ रहा था। इतना ही नहीं दलितों नेतृत्व को आगे बढ़ाने में जहां भाजपा लगी थी, वहीं दूसरी तरफ राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ भी दलित समाज में विशेष रूप से काम कर रहा था। संघ हिंदुत्व के मुद्दे को धार देने की योजना से दलित समाज को जोड़ने में लगा हुआ था। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार दलित मतदाता भाजपा से छिटक कर अपनी पुरानी पार्टी कांग्रेस की तरफ लौटने लगा उसने भाजपा के साथ ही संघ नेतृत्व को चिंतित कर दिया। भाजपा को यह उम्मीद नहीं थी कि विपक्षी दलों के झूठ को दलित समाज दिल से लगा लेगा।

इसके साथ ही भाजपा नेतृत्व की चिंता इस बात को लेकर है कि पार्टी ने दलित समाज से आने वाले प्रमुख नेताओं को जहां मंत्री पद से नवाजा है, वहीं दूसरी तरफ संगठन एवं अन्य स्थानों पर भी दलित नेताओं को समाहित किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार समाज के जो जिलों के नेता है वे अपनी कालोनियों और मौहल्लों तक में भाजपा को वोट दिलवाने में सफल नहीं हो सके। इससे पार्टी की प्रति उनकी निष्ठा एवं साथ ही काम करने पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पार्टी का मानना है कि नेताओं को सबकुछ देने के बावजूद इन नेताओं ने किया क्या।

सूत्रों के अनुसार रविवार को राष्टÑीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष ने दलित समाज का उत्तर प्रदेश सरकार में प्रतिनिधित्व कर रहे करीब आधा दर्जन मंत्रियों के साथ ही अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एवं महामंत्रियों के साथ बैठक की। संतोष ने जब दलित मतों के भाजपा से छिटकने का कारण जानना चाहा तो वहीं घिसापिटा फार्मूला संविधान पर खतरे और आरक्षण समाप्त करने के कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के मुद्दे रखे गये। इस पर बीएल संतोष ने पूछा कि आप लोगों ने उनके झूठ को बेनकाब करने के लिए क्या किया। समाज में जाकर आप लोगों को स्थिति से अवगत कराना चाहिये था। बैठक में मंत्रियों एवं मोर्चा के पदाधिकारियों ने अनुसूचित जाति के लोगों को कम संख्या में टिकट मिलने का मुद्दा भी उठाया।

राष्टÑीय महामंत्री संगठन ने कहा कि समाज को पार्टी से जोड़ने के लिए रणनीति तैयार की जाये तथा जो भ्रमित हो गये थे उन्हें वापस पार्टी के साथ जोड़ा जाये। बैठक में मुख्य रूप से प्रदेश सरकार में मंत्री बेबी रानी मौर्य, असीम अरुण, दिनेश खटीक समेत करीब आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री उपस्थित थे। इसके साथ ही मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कनौजिया एवं प्रमुख पदाधिकारी भी उपस्थित थे।


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