चीनी सैनिकों का हिंसक आचरण पिछले सभी समझौतों का उल्लंघन है
अब बातचीत के सिर्फ तीन प्रमुख सिद्धांत
उन्होंने कहा कि सीमा विवाद एक गंभीर मुद्दा है और दोनों देश यहां शांति बनाए रखने पर सहमत हैं।
अथाह ब्यूरो नई दिल्ली। मानसून सत्र के दूसरे दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह(Rajnath Singh) ने लोकसभा में भारत और चीन के बीच जारी तनाव पर बयान दिया। उन्होंने लद्दाख की पूर्वी सीमाओं पर हाल में हुई गतिविधियों से अवगत करवाया और इस दौरान भारतीय सैनिकों द्वारा दिए गए बलिदान के बारे में बात की। उन्होंने भारतीय सैनिकों की वीरता के बारे में बात करते हुए कहा कि जिस तरह से हमारी सेना सुरक्षा कर रही है हमें उन पर गर्व है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि वे आश्वस्त कराना चाहते हैं हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।
रक्षा मंत्री के बयान की प्रमुख बाते –
राजनाथ सिंह(Rajnath Singh) ने कहा कि चूंकि हम मौजूदा स्थिति का बातचीत के जरिए समाधान चाहते हैं, हमने चीनी पक्ष के साथ राजनयिक और सैन्य व्यस्तता बनाए रखी है। इन बातचीत के तीन प्रमुख सिद्धांत हैं। i) दोनों पक्षों को LAC का सम्मान और कड़ाई से पालन करना चाहिए (ii) किसी भी पक्ष को अपनी तरफ से यथास्थिति का उल्लंघन करने का प्रयास नहीं करना चाहिए और (iii)दोनों पक्षों के बीच सभी समझौतों का पूर्णतया पालन होना चाहिए।
राजनाथ सिंह(Rajnath Singh) ने कहा कि दोनों देशों को एलएसी का सम्मान करना चाहिए। वर्ष 1993 एवं 1996 के समझौते में इस बात का जिक्र है कि LAC के पास, दोनों देश अपनी सेनाओं की संख्या कम से कम रखेंगे। भारतीय सेना ने इसे साफ तौर पर स्वीकार किया। एलएसी पर अभी भी चीन की सेना मौजूद है। अप्रैल में चीन में सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई। मई में चीन ने घुसपैठ करने की कोशिश की और 15 जून को गलवान में चीन ने हिंसा की।
रक्षा मंत्री(Defense Minister) ने कहा कि चीन ने सभी आर्म्ड नॉर्म्स का उल्लंघन किया है। चीनी सैनिकों का हिंसक आचरण पिछले सभी समझौतों का उल्लंघन है। मौजूदा स्थिति के अनुसार चीनी सेना ने एलएसी के अंदर बड़ी संख्या में जवानों और हथियारों को तैनात किया है और क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव के अनेक बिंदु हैं।
उन्होंने(Rajnath Singh) कहा कि भारत सीमा क्षेत्रों में मौजूद मुद्दों का हल शांतिपूर्ण बातचीत और समझदारी के जरिए किए जाने के प्रति प्रतिबद्ध है। इसे पाने के लिए मैंने 4 सितंबर को मॉस्को में चीनी पक्ष से मुलाकात की और इस मुद्दे पर गहराई से बात की। इस दौरान मैंने स्पष्ट तरीके से हमारी चिंताओं को चीनी पक्ष के समक्ष रखा। उन्होंने कहा, “मैंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब हमारे सैनिकों ने हमेशा सीमा प्रबंधन के प्रति एक जिम्मेदार रुख अपनाया था, लेकिन साथ ही भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हमारे दृढ़ संकल्प के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।”
इसके अलावा रक्षा मंत्री ने कहा कि हमने चीन को डिप्लोमैटिक और मिलिट्री चैनल्स के माध्यम से ये अवगत करा दिया कि इस तरह की गतिविधियां यथास्थिति को बदलने का प्रयास है। ये भी साफ कर दिया कि ये प्रयास किसी भी सूरत में हमें मंजूर नहीं है।
वहीं उन्होंने बताया कि एलएसी पर बढ़ रहे गतिरोध को देखते हुए दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों ने 6 जून, 2020 को मीटिंग की। बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि रेसीप्रोकल एक्शंस के जरिए डिसइंगेजमेंट किया जाए।
इसके अलावा रक्षा मंत्री ने सीमा पर भारतीय जवानों की वीरता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 15 जून को चीन द्वारा गलवान पर हिंसा की स्थिति बनी। हमारे बहादुर सिपाहियों ने अपनी जान का बलिदान दिया पर साथ ही चीनी पक्ष को भी भारी क्षति पहुंचाई और अपनी सीमा की सुरक्षा में कामयाब रहे। इस पूरी अवधि के दौरान हमारे बहादुर जवानों ने, जहां संयम की जरूरत थी वहां संयम रखा तथा जहां शौर्य की जरुरत थी, वहां शौर्य प्रदर्शित किया।
उन्होंने इस दौरान 29 और 30 अगस्त की रात को चीन की तरफ से की गई सैन्य कार्रवाई के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई पेंगोंग यथास्थिति को बदलने का प्रयास था, लेकिन एक बार फिर हमारी आर्म्स फोर्सेज की तरफ से उनके प्रयास विफल कर दिए गए।
उन्होंने कहा, “मैं आपको यह विश्वास दिलाना चाहता हूं कि हमारे आर्म्ड फोर्सेज के जवानों का जोश एवं हौसला बुलंद है। माननीय प्रधानमंत्री जी के बहादुर जवानों के बीच जाने के बाद हमारे कमांडर तथा जवानों में यह संदेश गया है कि देश के 130 करोड़ देशवासी जवानों के साथ हैं। उनके लिए बर्फीली ऊंचाइयों के अनुरूप विशेष प्रकार के गरम कपड़े, उनके रहने का टेंट तथा उनके सभी अस्त्र-शस्त्र एवं गोला बारूद की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। हमारे जवानों की यह प्रतिज्ञा सराहनीय है।”