योगी सरकार की पहल से फाइलेरिया पीड़ितों का जीवन हुआ आसान
नियमित योगाभ्यास व व्यायाम से आसान बना फाइलेरिया मरीजों का जीवन
आईएडी सेंटर में मरीजों को सिखाया जा रहा योग व प्राणायाम के साथ देखभाल का तरीका
फाइलेरिया नेटवर्क और पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के कई मरीजों ने सही तरीके सीखकर जीवन को सहज बनाया
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। योगी सरकार ने वर्ष 2027 तक प्रदेश में फाइलेरिया को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत प्रदेश भर में विभिन्न अभियान चलाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं योगी सरकार ने योग के जरिये फाइलेरिया को मात देने में बड़ी सफलता हासिल की है। योगी सरकार की पहल का ही असर है कि फाइलेरिया से पीड़ितों का जीवन नियमित योगाभ्यास और व्यायाम से आसान बन चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग के मार्गदर्शन में सहयोगी संस्थाओं द्वारा लम्बे समय से समाज की मुख्य धारा से अलग-थलग पड़े फाइलेरिया मरीजों को मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, इंदिरानगर लखनऊ में इंस्टीट्यूट आॅफ एप्लाइड डमेर्टोलॉजी (आईएडी) सेंटर खोला गया है, जहां फाइलेरिया मरीजों को देखभाल के तरीके, योग व प्राणायाम सिखाया जाता है। फाइलेरिया नेटवर्क और पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के कई मरीजों ने देखभाल के सही तरीके सीखकर जीवन को सहज बनाया है।
योग और व्यायाम से सूजन हो रही कम
योग, व्यायाम और फाइलेरिया प्रभावित अंगों की सूजन के प्रबंधन के बीच के संबंध को समझाते हुए इंस्टीट्यूट आॅफ एप्लाइड डमेर्टोलॉजी के योग परामर्शदाता संदीप कुमार ने बताया कि उपचार प्रोटोकॉल में सूक्ष्म व्यायाम, आसन, प्राणायाम, मुद्रा और शवासन शामिल हैं। इलाज के साथ-साथ 14 दिनों तक नियमित योग और व्यायाम कराया जाता है। इसके बाद फॉलो-अप किया जाता है, तो मरीज कहते हैं कि अब तो अंधेरी सुरंग से प्रकाश की ओर आने जैसा महसूस होता है। इंस्टीट्यूट आॅफ एप्लाइड डमेर्टोलॉजी के कार्यकारी समन्वयक विभु राज कुमार पुष्टि करते हैं कि फाइलेरिया ग्रसित होने पर शरीर का लसिका तंत्र ठीक से काम नहीं करता और लसिका एकत्र होने से अंग में सूजन हो जाती है। ऐसी स्थिति में योग व व्यायाम का अभ्यास सूजन को कम करता है और लसिका तंत्र को सुचारू रूप से कार्य करने में मदद करता है। बता दें कि क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलने वाले इस संक्रमण को फाइलेरिया के रूप में दिखने में पांच से पंद्रह साल तक लग सकता है। इसका कोई कारगर इलाज भी नहीं है, इसलिए बचाव में ही सभी की सुरक्षा निहित है। फाइलेरिया उन्मूलन के दो प्रमुख बिंदुओं पर जोर दिया जाता है, पहला – सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए/आईडीए) राउंड) और दूसरा- रुग्णता और दिव्यांगता निवारण प्रबंधन (एमएमडीपी)। एमएमडीपी के तहत स्वास्थ्य विभाग ने सहयोगी संस्थाओं की मदद से फाइलेरिया मरीजों को प्रभावित हिस्सों को सही तरीके से धुलने, सफाई करने, सूजन कम करने और बीमारी को बढ़ने से रोकने के लिए योग और व्यायाम के बारे में प्रशिक्षित किया है। इससे मरीजों के प्रभावित हिस्सों की सूजन में कमी आई है, उन्हें यह भरोसा भी हुआ है कि थोड़े से प्रयास से वह जोखिम को टाल सकते हैं, अपने दैनिक कार्य खुद कर सकते हैं और सक्रिय जीवन जी सकते हैं।
योग से फाइलेरिया का असर हुआ कम, खुद कर रहे अपने दैनिक कार्य
लखनऊ के सीतापुर रोड के छठा मील निवासी 55 वर्षीय गंगा प्रसाद ने बताया कि उनके दोनों पैर पिछले 10-12 साल से फाइलेरिया से प्रभावित हैं। इस वजह से उनकी दुकान तक बंद हो गयी और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई। काफी इलाज कराया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। नेटवर्क से जुड़कर दिन में कम से कम दो बार व्यायाम करने, प्रभावित अंगों को धुलने, साफ करने के नियम के बारे में सीखा और आईएडी केंद्र पर उपचार भी प्राप्त किया। अब पैरों और पूरे शरीर में हल्का महसूस होता है और काफी आराम है। इसी तरह कानपुर की नेटवर्क सदस्य 34 वषीर्या सुधा देवी का कहना है कि प्रतिदिन व्यायाम करने से पैरों की सूजन लगभग खत्म हो गयी है। 11 महीने पहले सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी ने प्रशिक्षण के दौरान योग और व्यायाम का अभ्यास कराया था, तब से प्रतिदिन कर रही हूं। पैर की साफ-सफाई का भी ख्याल रखती हूं। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि पिछले साल तक पैर में जिस पायल को नहीं पहन पाती थी, उसे अब आसानी से पहन लेती हूं और घरेलू काम भी आसानी से कर लेती हूं।