नौतपा काल की गणना से ही वर्षा काल में वर्षा का निर्धारण होता है ज्योतिषीय गणना के अनुसार जब सूर्यदेव रोहिणी नक्षत्र में आते हैं । तो नौतपा काल आरंभ हो जाता है। इस बार नौतपा कल 25 मई प्रातः 3:16 बजे से से आरंभ हो रहा है। सूर्य एक नक्षत्र में अधिकतम 15 दिन रहते है । 8 जून को अर्धरात्रि के बाद 1:06 बजे सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे। इस 15 दिन के अवधि में से पहले 9 दिन सूर्य प्रचंड किरणे बिखेरते हैं।
यह अवधि ही ग्रीष्म ऋतु की सबसे प्रचंड मानी जाती है। इस अवधि में ही समुद्र में मानसून का चक्र आरंभ होता है जो विभिन्न दिशाओं में, विभिन्न देशों में जाकर बरसात का आरंभ करता है।
यदि नौतपा काल मे नौ दिन तक प्रचंड गर्मी पड़ती है तो समझो कि चातुर्मास में वर्षा बहुत अच्छी होती है। धन-धान्य फलता फूलता है।
यदि नौतपा काल में आंधी ,तूफान या वर्षा आ जाए ।उसे नौतपा काल का गलना कहते हैं। अर्थात चातुर्मास में वर्षा का क्रम बिगड़ने की संभावना रहती है अतिवृष्टि ,अनावृष्टि अथवा सूखा पड़ने के अधिक लक्षण होते हैं। रोहिणी नक्षत्र चंद्रमा का नक्षत्र है। चंद्रमा आर्द्र होता है। इसलिए इस अवधि में प्रचंड गर्मी से सूर्य जलवाष्प को तेजी के साथ सोखता है और आकाश में बादल ,मानसून का कारक बनता है। इस बार 15 मई से और 2 जून तक सूर्य प्रचंड गर्मी से पृथ्वी को तपाएंगे। ऐसा संभावना व्यक्त की जा रही है। फलस्वरूप वर्षा काल बहुत अच्छा रहेगा, पर्याप्त वर्षा होगी। फसलें पर्याप्त होगी । किसानों के लिए यह शुभ सूचना होती है।
शास्त्रों के अनुसार इन प्रचंड गर्मी के दिनों में हमें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि हमारे शरीर में जल की मात्रा 70% से अधिक है इसलिए इन दिनों पर्याप्त जलीय वस्तुएं ग्रहण करें ।साथ-साथ योग्य पात्रों व गरीबों को जल ,शरबत, खरबूजा, तरबूज, घड़ा, पंखा दान करने से बहुत पुण्य मिलता है ।
आचार्य शिवकुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट, गाजियाबाद