Dainik Athah

मनुष्य पर्याय मिलना अत्यंत दुर्लभ, जैन कुल मिलना उससे भी बड़ा सौभाग्य: आचार्य सौरभ सागर महाराज

  • सिद्ध चक्र महामंडल विधान के अंतर्गत की गई कर्म दहन की आराधना


अथाह संवाददाता, मुरादनगर। जैन धर्म में सर्वाधिक मान्य एवं सबसे बड़ा विधान श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान का भव्य आयोजन प्रथम बार जीवन आशा हॉस्पिटल के पास में स्थापना दिवस के अवसर पर श्री मंशापूर्ण महावीर क्षेत्र गंग नहर मुरादनगर जिला गाजियाबाद में किया जा रहा है, जिस विधान को करने का सौभाग्य अमित कुमार जैन मेडिकल वाले देहरादून को प्राप्त हुआ है
इस विधान में देशभर के अनेक स्थानों से पधारे गुरु भक्त सम्मिलित होकर के सिद्ध प्रभु की महा आराधना कर रहे हैं। पंडित संदीप जैन सजल ने बताया कि विधान के पांच में दिन मंडप पर 256 अर्घ चढ़ाते हुए कर्मों से मुक्ति की भावना भाई।
संजय जैन गाजियाबाद में बताया कि जीवन आशा हॉस्पिटल अपनी स्थापना के पांच वर्ष 20 मई को पूर्ण कर रहा है, इस अवसर पर और भी मानव समाज हित हेतु चिकित्सीय सुविधाओं का लोकार्पण किया जाएगा।

इस मौके पर पूज्य आचार्य श्री सौरभ सागर गुरुदेव ने विधान पूजन में धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 84 लाख योनियों में भ्रमण करने के बाद मनुष्य पर्याय (जन्म) मिलना अत्यंत दुर्लभ है। मनुष्य पर्याय मिलने के बाद जैन कुल मिलना उससे भी बड़ा सौभाग्य है, जैन कल मिलने के बाद देव शास्त्र और गुरुओं की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने कहा कि जितने भी श्रद्धालु गण आज सिद्ध चक्र महामंडल विधान में बैठे हैं वह अत्यंत सौभाग्यशाली हैं जो अपने कर्मों की निर्जरा के लिए इस प्रकार के इस महा अनुष्ठान को कर रहे हैं।

मैना सुंदरी ने भी आज से हजारों साल पहले यह महामंडल विधान करके अतिशय को प्रकट किया और अपने पति सहित 700 कुष्ठ रोगियों का कोढ़ रोग दूर किया था। इस मौके पर देश के विभिन्न प्रांतों से आये सैकड़ों भक्तगण उपस्थित थे।


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