ओम् के उच्चारण और गायत्री मंत्र के जाप से बचा जा सकता है इसके दुष्प्रभाव से
14 मई को सूर्य वृषभ राशि में आ गए हैं। जो उनकी शत्रु राशि है। बृहस्पति पहले से ही अपने शत्रु ग्रह शुक्र की राशि वृषभ में चल रहे हैं। और 19 मई को शुक्र भी अपनी वृष राशि में जाएंगे। यह त्रिग्रही योग प्रकृति में बहुत बड़े परिवर्तन का संकेत लेकर आने वाला है। इस योग को विनाशकारी योग कहा गया है ।सूर्य की प्रचंड किरणों से सम्पूर्ण सौरमंडल प्रभावित होगा। प्रचण्डकारी सूर्य की किरणें निकलने को सौर तूफान कहते हैं ।दूसरी बात इसका प्रभाव पूरे सौरमंडल में पड़ेगा चाहे ,कोई भी ग्रह हो ।क्योंकि हम पृथ्वी पर रहते हैं इसलिए पृथ्वी पर हमारे आकाश मंडल में मानव निर्मित उपग्रह तैर रहे हैं जो हमें नेट, ओला, विद्युतीय सेवाएं व सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं ।उन पर भी विशेष असर पड़ सकता है।शिव शंकर ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र गाजियाबाद के आचार्य शिवकुमार शर्मा के अनुसार इस समय त्रिग्रही योग में से दो ग्रह शत्रु राशि में है और प्रचंड नरसंहार या युद्ध के संकेत भी दे रहे है। दो परस्पर विरोधी विचारधाराओं के मध्य संघर्ष की संभावना है ।इसलिए हमें सावधान रहना चाहिए। आकाशीय तरंगो में निरंतर बदलाव देखने को मिलेगा। प्रकाश की इंद्रधनुषी छवि दिखाई देगी और फिर उन सब ऊर्जा से जो पृथ्वी कक्षा में गुरुत्वाकर्षण उत्पन्न होगा, उससे प्रकृति में बहुत ही भयंकर परिणाम हो सकते हैं। शोर तूफान के प्रभाव को कम करने के लिए हमें ओम् ध्वनि का उच्चारण ,गायत्री मंत्र का जाप, हवन आदि अवश्य करना चाहिए ताकि विपत्ति आने की दशा में हम सब सुरक्षित रह सके।सूर्य सिद्धांत पुस्तक में सूर्य की प्रचंड रोशनी और किरणों से प्रकृति में ओम का उच्चारण होता रहता है। नासा के वैज्ञानिकों ने भी उसकी ध्वनि को सुना है। उसी से ही ओम् की उत्पत्ति हुई है। हमारे ऋषि मुनियों ने उसे ओम् की शक्ति को पहचान करके ब्रह्मांड के नए-नए रहस्य खोजें।यदि ओम् का निरंतर उच्चारण किया जाए तो सूर्य की नकारात्मक ऊर्जा से बचा जा सकता है।
आचार्य शिवकुमार शर्मा ज्योतिष आचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट गाजियाबाद।
