अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। श्री दिगंबर जैन मंशापूर्ण महावीर क्षेत्र गंग नहर मुरादनगर में चल रहे श्री सिद्ध चक्र महामंडल विधान के द्वितीय दिवस जिनेंद्र भगवान की आराधना 16 अर्घ के माध्यम से की सिद्धों की आराधना विधान में परम पूज्य संस्कार प्रणेता ज्ञानयोगी आचार्य 108 सौरभ सागर महाराज जी का मंगल सानिध्य प्राप्त हो रहा है।
आचार्य श्री ने विधान की महिमा को बताया कि:- इस विधान में सिद्ध परमेष्ठी की आठ दिन तक आराधना की जाती है। सर्वप्रथम यह विधान मैना सुन्दरी ने किया एवं सिद्ध परमेष्ठी की आराधना कर अपने पति श्रीपाल सहित सात सौ कोढियों को कोढ़ से मुक्ति दिलाई थी। आचार्य श्री ने यह भी बताया कि सिद्ध भगवन्तो की आराधना करने से सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह भी बताया कि हमें अपने भाग्य पर निर्भर नहीं होना चाहिए।
पुरुषार्थ जरूर करना चाहिए। जो हमारे भाग्य में नहीं होता, वह भी पुरुषार्थ से हमको प्राप्त हो जाता है। इसलिए पुरुषार्थ जरूर करना चाहिए। विधान की महिमा को विस्तार से बताते हुए आचार्यश्री ने कहा कि सिद्ध भगवन्तो की आराधना विशेषकर साल में फाल्गुन में, आषाढ़ में और कार्तिक माह में की जाती है। विधान में संगीतमय ध्वनियों के साथ श्रावक-श्रविकाओं ने भक्ति, श्रद्धापूर्वक सिद्धों की आराधना की। विधान में अलग-अलग राज्यों एवं नगरों से पधारे काफी श्रावक-श्राविका भाग लेकर पूजा- आराधना कर रहे हैं।