Dainik Athah

उपाध्यक्ष अतुल वत्स के प्रयास से प्राधिकरण हो सकता है मालामाल

  • 200 करोड़ की भूमि के अधिग्रहण में जीडीए अधिकारियों ने नहीं ली रुचि
  • चार महीने से नियोजन विभाग दबाए बैठा है कार्रवाई के दस्तावेज


अथाह संवाददाता, गाजियाबाद। लैंड बैंक की कमी से जूझ रहे गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष की भूमि तलाश की कोशिशें रंग लाने लगी हैं। उपाध्यक्ष अतुल वत्स की पहल पर शुरू हुए सर्च आॅपरेशन के दौरान प्राधिकरण दस्ते ने इंदिरापुरम और मधुबन बापूधाम इलाके में करोड़ों रुपए मूल्य की बेशकीमती भूमि तलाश ली है। लेकिन इसके बावजूद वैशाली, स्वर्ण जयंतीपुरम और चिकंबरपुर में जीडीए की अरबों रुपए की भूमि पर लोगों ने अवैध कब्जा किया हुआ है। जीडीए की अरबों रुपए की इस बेशकीमती जमीन पर कब्जा करने वाले लोगों पर प्राधिकरण स्तर से आज तक कोई कार्रवाई इसलिए नहीं हो सकी क्योंकि अवैध कब्जा धारकों की प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों व कर्मचारियों से न सिर्फ सांठगांठ है बल्कि यह लोग संगठित रूप से प्राधिकरण को चूना लगाने का काम भी कर रहे हैं। उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने जबसे अवैध निर्माणकतार्ओं व प्राधिकरण के संलिप्त अभियंताओं व अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोला है तबसे यह उम्मीद भी बलवती हुई है कि प्राधिकरण की भूमि पर कब्जा करने वालों की भी नकेल कसी जाएगी।
गौरतलब है कि दैनिक अथाह द्वारा समय-समय पर प्राधिकरण की भूमि पर अवैध कब्जे की पड़ताल की जाती रही है। जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। मसलन दैनिक अथाह के संज्ञान में आया था कि स्वर्ण जयंतीपुरम योजना में प्राधिकरण की भूमि पर सहकारी आवास समिति के पदाधिकारियों ने जबरन कब्जा किया हुआ है। इसकी पुष्टि समिति के प्रवेश द्वार पर लगे बोर्ड से भी होती थी। जिसमें तहसीलदार की ओर से स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि सहकारी आवास समिति ने प्राधिकरण द्वारा अर्जित भूमि अवैध रूप से कब्जा रखी है। दैनिक अथाह ने 4 जनवरी 2024 के अंक में खुलासा किया था कि राष्ट्रीयकृत बैंक कर्मी एवं मित्रगण सहकारी आवास समिति लिमिटेड ने सदरपुर गांव अंतर्गत स्वर्ण जयंतीपुरम योजना के लिए अर्जित प्राधिकरण की भूमि पर किस तरह कब्जा किया हुआ है। लेकिन चार महीने बाद भी इस प्रकरण की प्राधिकरण स्तर से कोई जांच नहीं की गई। जबकि तत्कालीन उपाध्यक्ष व जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए थे। उपाध्यक्ष के संज्ञान लेने के बाद जोन 3 के प्रभारी अधिशासी अभियंता ने जीडीए के मुख्य नगर नियोजन को 8 जनवरी 2024 को पत्र लिखकर इस आवासीय सोसाइटी का स्वीकृत तलपट मानचित्र, खसरा खतौनी आदि दस्तावेज उपलब्ध कराने की बाबत पत्र लिखा था। जिसमें स्पष्ट किया गया था कि ‘ब्लॉक ई में रिक्त भूखंडों की पैमाइश करते हुए उक्त भूखंडों के सृजन का कार्य कराया जाना है। क्योंकि उक्त भूखंड प्रश्नगत बैंक कॉलोनी के समीप स्थित है। जिससे भविष्य में भूमि विवाद उत्पन्न न, हो इसलिए बैंक कॉलोनी के दस्तावेज जांच के लिए उपलब्ध कराए जाएं।’ लेकिन चार माह बाद भी नियोजन अनुभाग ने अपनी भूमि की न तो सुध ही ली न ही अभियंत्रण अनुभाग जोन-3 के प्रभारी को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध करवाए। देखना यह है कि अब जबकि उपाध्यक्ष स्तर पर प्राधिकरण की भूमि की शिनाख्त की जा रही है तो राष्ट्रीयकृत बैंक कर्मी एवं मित्रगण सहकारी आवास समिति लिमिटेड की पैमाइश का क्या नतीजा निकला है?
इसके अलावा एक अन्य प्रकरण में सदरपुर गांव की खसरा संख्या 370 की हजारों मीटर भूमि पर अवैध कब्जे की शिकायत भी मुख्यमंत्री के जनहित पोर्टल पर पड़ी हुई है। यह भूमि भी प्राधिकरण की मधुबन बापूधाम योजना कै लिए अधिग्रहित की गई थी। इस भूमि की कीमत करीब 50 करोड़ रुपए बताई जाती है। इसके अलावा वैशाली योजना में भी प्राधिकरण की लगभग 100 करोड़ रुपए की भूमि पर एक बिल्डर ने अवैध कब्जा कर रखा है। दैनिक अथाह का अनुमान है कि उपाध्यक्ष अतुल वत्स यदि इन तीन प्रकरणों का संज्ञान ले लें तो प्राधिकरण की करीब 200 करोड़ रुपए की भूमि पर काबिज हो सकते हैं।


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