Dainik Athah

दिल्ली एनसीआर में जानलेवा बन चुका ई-सिगरेट

  • हऌड ने फ्लेवर्ड वेप्स पर प्रतिबंध लगाने का दिया सुझाव

बृजेश सिंह, नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आधुनिक हुक्का बार में ई सिगरेट का उपयोग किए जाने को सेहत के लिए खतरनाक बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए सरकारों से कदम उठाये जाने का आह्वान किया है। दिल्ली जैसे भारतीय शहर जहां पहले से प्रदूषण के चलते श्वांस जनित समस्याएं तेजी से फैल रही हैं ई सिगरेट का इस्तेमाल काफी खतरनाक हो सकता है। ईसिगरेट में इस्तेमाल से निकोटिन की लत भी लग सकती है।
डब्ल्यूएचओ ने उस दावे को भी गलत बताया है जिसके अनुसार ई-सिगरेट के इस्तेमाल से धूम्रपान छोड़ने में मदद मिलती है, उलटे इससे इससे बच्चों और युवाओं में निकोटीन की लत लगने का खतरा अधिक है। हमारे देश में कानूनी रूप से ई सिगरेट पर भले ही प्रतिबंध लगा है लेकिन लोग धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल करते नजर आ जाएंगे। हर इलाके में हुक्का तथा ई सिगरेट की दुकाने मिल जाएंगी क्योंकि प्रतिबंध को लागू करने में सरकारी एजेंसियां काफी नरम रवैया रखती हैं। सकती है।
ई-सिगरेट में तम्बाकू की जगह जो सामान उपयोग किया जाता है वह काफी जहरीला होता है। इससे कैंसर भी हो सकता है। हृदय और फेफड़ों पर भी इसके काफी गंभीर असर देखा जा सकता है। यह याददाश्त को भी प्रभावित करता है। के विकारों का खतरा बढ़ा सकते हैं। वे मस्तिष्क के विकास को भी प्रभावित कर सकते हैं और युवा लोगों में सीखने संबंधी विकार पैदा कर सकते हैं। यह गर्भवती महिलाओं में भ्रूण पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
गुरुग्राम स्थित बिड़ला अस्पताल के डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर कहते हैं, ई-सिगरेट, अपने चिकने लुक और पारंपरिक सिगरेट का एक स्वस्थ विकल्प होने के दावों के बावजूद, कई हानिकारक प्रभावों के साथ आती है।

ई-सिगरेट के प्रमुख दुष्प्रभाव :

  1. निकोटीन निर्भरता: अधिकांश ई-सिगरेट में निकोटीन होता है,। निकोटीन निर्भरता से इसकी लत लग सकती है।
  2. निकोटीन विशेष किशोरों और वयस्कों के स्मृति, सीखने और एकाग्रता को प्रभावित करता है।
  3. फेफड़ों की क्षति झ्र इससे फेफड़ों में सूजन, घाव हो सकता है तथा कभी कभी इससे मौत तक हो जाती है। इससे खांसी, सांस लेने में तकलीफ, थकान और सीने में दर्द रहता हैं। अस्थमा वाले लोगों को यह ज्यादा नुकसान पहुंचाता है।
  4. हृदय रोग: ई-सिगरेट हृदय और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे दिल का दौरा, स्ट्रोक और अन्य हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है।
  5. मानसिक स्वास्थ्य: निकोटीन का उपयोग चिंता और अवसाद के लक्षणों को खराब कर सकता है।
    इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट, या ई-सिगरेट ने हानिकारक प्रभावों के कारण चिंताएं बढ़ा दी हैं। एक प्रमुख मुद्दा इन उपकरणों में उपयोग किए जाने वाले ई-तरल पदार्थों में हानिकारक रसायनों की उपस्थिति है। इसके अलावा, ई-सिगरेट के उपयोग के दीर्घकालिक प्रभाव की अभी भी जांच चल रही है। ई-सिगरेट फेफड़ों की सूजन की भी संभावना है जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है।

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