Dainik Athah

24 मार्च को मनाया जाएगा होली का त्यौहार,25 मार्च को खेला जाएगा रंग

होलिका दहन के समय रखें सावधानियां

किस राशि वालों को कौन सा रंग लगाना रहेगा अनुकूल

होली पर नहीं है चंद्र ग्रहण,अफवाहों से दूर रहें

इस ‌वर्ष  फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 24 मार्च को है। वैसे तो उदयकालीन पूर्णिमा 25 मार्च को है लेकिन 24 मार्च को प्रातः काल 9:55 से पूर्णिमा आ जाएगी और पूर्णिमा के सभी कृत्य व्रत, सत्यनारायण कथा आदि एवं होली के सभी कार्य उसी दिन होंगे। पूर्णिमा प्रातः 9:55 बजे आएगी जो अगले दिन मध्याह्न 12:29 बजे तक रहेगी।प्रातः काल रविवार को 7:33 बजे तक पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में छत्र बन रहा है। उसके पश्चात उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र मित्र योग बनाएगा। सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा।होलिका दहन से पहले रात्रि 8: 28 बजे से रवि योग भी आ जाएगा। छत्र योग , मित्र योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग इस बार होलिका पर्व को विशिष्ट बना रहे हैं । लेकिन होली के दिन इस बार प्रातः 9:55 बजे से रात्रि 11:12 तक भद्रा रहेगी। इसलिए होलिका दहन 23:12 बजे के बाद होगा। क्योंकि शास्त्र में लिखा हुआ है कि*भद्रायां  द्वे न कर्तव्यं फाल्गुनी श्रावणी च।**नृपं हन्ति श्रावणी, ग्रामं दहति फाल्गुनी*।रक्षाबंधन और होलिका दहन भद्रा के समय नहीं करना चाहिए ।यदि फाल्गुनी अर्थात होलिका दहन भद्रा में किया जाता है तो गांव ,नगर के लिए अशुभ होता है । रक्षाबंधन भद्रा में होता है तो राजा के लिए हानिकारक होता है । *होली पूजन के प्रमुख मुहूर्त*।होली के दिन माताएं अपने संतानों की  लंबी आयु और स्वास्थ्य की कामना के लिए होली का पूजन करती हैं। कहा जाता है कि जैसे भगवान विष्णु होलिका के षड्यंत्र से प्रहलाद की रक्षा की थी ,इसी प्रकार  होली के दिन  होली पूजन करने से पुत्र संतान के कष्टों का निवारण होता है। उनकी लंबी आयु होती है।1.होलिका पूजन के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त प्रातः  8:58 बजे से 10:52 बजे तक वृषभ लग्न ( स्थिर लग्न)।2. उसके पश्चात 11:36 बजे से 12:24 बजे तक अभिजीत मुहूर्त बहुत श्रेष्ठ है।3.  3: 26 बजे के बाद 5:00 बजे तक स्थिर लग्न  (सिंह लग्न) में होलिका पूजन के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त है।होलिका दहन के समय सभी व्यक्ति अपने ग्राम अथवा मोहल्ले में इकट्ठे हो करके होलिका दहन  करें तथा जलती हुई होलिका की परिक्रमा करें तथा पूरे वर्ष घर में एक सुख शांति के प्रार्थना करें ।नवीन फसल के आगमन की प्रसन्नता के लिए प्रभु से प्रार्थना करें तो बहुत अच्छा होता है।गांव में बहुत से लोग जौ और गेहूं की बाली को भूनकर प्रसाद के रूप में खाते हैं यह स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है और घर में अन्न जल की प्रचुरता के लिए अच्छा होता है। *होलिका दहन किसे नही देखना चाहिए* 1. किसी नवविवाहित महिलाओं के लिए होलिका दहन देखना अशुभ माना जाता है। इसलिए शादी के बाद पहली होली  को नव वधू अपने पीहर में रहने की परम्परा है।2. बहू को सास के साथ होलिका दहन की पूजा अथवा परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। इसे बड़ा दोष माना गया है। अलग-अलग समय पर जाकर  होलिका दहन की पूजा या परिक्रमा कर सकते हैं।3. गर्भवती महिलाओं के लिए होलिका दहन की पूजा करना या फिर उसे जलते हुए देखना अच्छा नहीं माना जाता है। इससे गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।4. नवजात शिशु को होलिका दहन वाली जगह पर जाना वर्जित है. इससे लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।5. होली  के दिन अथवा होलिका दहन के समय एक बात विशेष ध्यान रखें कि इस दिन तंत्र-मंत्र क्रियाएं ,अभिचार क्रियाएं होती हैं। इसलिए नवजात शिशु , गर्भवती महिलाएं व छोटे बच्चों को अकेले चौराहे पर नहीं भेजें आदि ।25 मार्च को दुल्हैंडी का उत्सव मनाया जाएगा। बाल, युवा व वृद्ध सभी हर्षोल्लाह के साथ पारंपरिक तरीके से एक दूसरे पर गुलाल रंग आदि से होली खेलेंगे।ज्योतिष के अनुसार किस राशि को कौन से रंग लगाने शुभ या अशुभ  होते हैं।1.मेष और वृश्चिक राशि वालों के लिए काले रंग, नीले रंग  का प्रयोग करना वर्जित है। लाल, पीला ,गुलाबी रंग का गुलाल लगाएं।2. वृषभ और तुला राशि वालों के लाल गुलाल अथवा रंग अशुभ माना गया है इसलिए हरा, पीला नीला गुलाल या रंग का प्रयोग कर सकते हैं।3. मिथुन और कन्या राशि वालों के लिए लाल रंग लगाना अच्छा नहीं होता है। इन राशि वालों को हरा, काला, नीला, पीला रंग गुलाल शुभ होता है।4. कर्क और सिंह राशि वालों के लिए काले रंग को छोड़कर सभी रंग शुभ है।5. धनु और मीन राशि के लिए पीला गुलाबी लाल रंग अच्छे हैं। इन्हें काले रंग के प्रयोग से बचना चाहिए।6. मकर और कुंभ राशि वालों के लिए काला ,नीला ,हरा , पीला रंग यहां गुलाल  अच्छा होता है।       इन्हें लाल रंग से बचना चाहिए।इस बार होली का के समय कोई चंद्र ग्रहण नहीं है उपच्छायी योग है जो ग्रहण नहीं होता है। सोशल मीडिया पर कई लोग उसकी अफवाह उड़ा रहे हैं। अफवाहों से हमें सावधान रहना चाहिए। कोई ग्रहण विचार, कोई सूतक  पूर्णिमा पर नहीं है।


आचार्य शिवकुमार शर्मा ,ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु कंसलटेंट गाजियाबाद

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