मंथन: गाजियाबाद जिले में सरकार दफ्तरों के औचक निरीक्षण लंबे समय बाद देखने को मिल रहा है। औचक निरीक्षण भी स्वयं जिले के कलेक्टर कर रहे हैं। अब तक उन्होंने जितने भी निरीक्षण किये उन सभी कार्यालयों में बड़ी संख्या में कर्मचारी व खुद विभाग के प्रमुख अफसर गायब मिल रहे हैं।
इससे समझा जा सकता है कि जिले के विभागों की स्थिति क्या है। आरटीओ, पीडब्ल्यूडी में जिस प्रकार कर्मचारी एवं अधिकारी गायब मिल रहे हैं उससे समझा जा सकता है कि ये अधिकारी आम जनता की समस्याओं को हल करने के लिए कितने सजग है।
आरटीओ कार्यालय में जिस प्रकार एक आरटीओ गायब मिले व दूसरे चुपके से अपनी कुर्सी पर पहुंच गये वह भी यह बताने के लिए काफी है कि जिले के अफसरों में सरकार का डर समाप्त होता जा रहा है। इस विभाग के बाहर से दलालों का जमावड़ा कभी समाप्त होता नजर नहीं आया। चाहे कलेक्टर कितना भी प्रभावी हो एक बार हटाने के एक दो दिन बाद दलाल अपनी पुरानी जगह पहुंच जाते हैं। अभी तो मात्र तीन विभाग ही कलेक्टर साहब ने देखे हैं। वे जहां भी जायेंगे उन्हें ऐसी ही स्थिति देखने को मिलेगी। यदि एक- दो दिन बाद वे उन विभागों का फिर से निरीक्षण करवा लें अथवा कर लें तो फिर ऐसी ही स्थिति देखने को मिलेगी।
इन विभागों के अधिकारी व कर्मचारी यह समझ चुके हैं कि दोबारा तो निरीक्षण होने वाला नहीं, इस कारण वे फिर से लापरवाह हो सकते हैं। अब शेष रह गये विभागों की बारी भी आनी है। यदि औचक निरीक्षणों का यह क्रम लगातार चले तभी विभागों की स्थिति में सुधार हो सकता है। लेकिन इसके लिए कलेक्टर साहब को ही रणनीति बनानी होगी।
ये औचक निरीक्षण भी प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेश पर हो रहे हैं। जबकि औचक निरीक्षण लगातार चलने चाहिये। अब कलेक्टर साहब को इस संबंध में भी कोई न कोई रणनीति बनाकर काम करना होगा तभी स्थिति में सुधार हो सकता है।