रामोत्सव 2024
श्रीराम वन गमनपथ से होते हुए पहुंचेगी यात्रा, 15 जनवरी को शुरू हुई थी य़ात्रा
भरत कूप स्थित कुंड से कलश में जल संग्रह कर शुरू हुई थी, कई पवित्र नदियों का जल लेकर पहुंचेगी अयोध्या
गुरुवार को सुल्तानपुर में रात्रि विश्राम, अवध के 80 लोक कलाकारों संग शुक्रवार दोपहर पहुंचेगी रामकथा पार्क
श्रीराम पर आधारित चित्र प्रदर्शनी व लोककलाओं का अवलोकन कर सकेंगे पर्यटक
अथाह संवाददाता
अयोध्या: श्रीराम चरण पादुका यात्रा शुक्रवार को रामनगरी के रामकथा पार्क पहुंचेगी। यात्रा मकर संक्रांति (15 जनवरी) को चित्रकूट से प्रारंभ हुई थी। भरतकूप स्थित कुंड से कलश में जल संग्रह और पादुका पूजन के साथ यात्रा प्रारंभ हुई। यह प्रयागराज, श्रृंगवेरपुर, प्रतापगढ़ होते हुए गुरुवार को सुल्तानपुर पहुंची।
यहां रात्रि विश्राम कर शुक्रवार सुबह 10-11 बजे अयोध्या के लिए रवाना होगी। यहां यात्रा के साथ अवध की विभिन्न सांस्कृतिक कलाओं से जुड़े 80 कलाकार भी शामिल होंगे। इस दौरान लोककलाओं से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। अयोध्या में श्रीराम पर आधारित चित्र प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। योगी सरकार के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग इसका आयोजन कर रहा है, जबकि इसमें भारत शक्ति संस्थान का भी सहयोग रहेगा।
रामकथा पार्क पहुंचेगी यात्रासुल्तानपुर से श्रीराम चरण पादुका यात्रा सुबह 10-11 बजे निकलेगी, जो नंदीग्राम पहुंचेगी। वहां से अयोध्या के रामकथा पार्क के लिए रवाना होगी। रास्ते में पड़ने वाले नगर व ग्रामों के बाहर इस यात्रा का स्वागत भी किया जाएगा। साथ आ रहे लोगों की मानें तो यात्रा तीन-चार बजे तक रामकथा पार्क पहुंच जाएगी। यात्रा के साथ अवधी गायन, पेंटिंग व ग्रुप के साथ सांस्कृतिक दल भी चल रहे हैं। सुल्तानपुर में स्थानीय स्तर पर फरुआही, धोबिया नृत्य से जुड़े कलाकार जुड़ेंगे, जो अयोध्या के रामपार्क पहुंचेंगे। संपूर्ण यात्रा के दौरान बाबा सत्यनारायण मौर्य भी अपनी अद्भुत प्रस्तुति से हर किसी का मन मोह रहे हैं। बाबा व उनकी टीम की तरफ से श्रीराम पर आधारित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जा रहे हैं। बतौर चित्रकार बाबा श्रीराम की आकृति भी बनाते हैं।
भरतकूप स्थित कुंड से जल संग्रह कर यात्रा का हुआ था आगाजश्रीराम चरण पादुका यात्रा 15 जनवरी को भरतकूप (चित्रकूट) स्थित कुंड से कलश में जल संग्रह के साथ प्रारंभ हुई थी। यहां से यात्रा चित्रकूट के विभिन्न मंदिरों से होते हुए निकली थी। चित्रकूट में मंदाकिनी, प्रयागराज में संगम का जल कलश में संग्रहित किया गया। श्रृंगवेरपुर में गंगा नदी का जल संग्रह कर पादुका पूजन किया गया था। 18 को यात्रा सुल्तानपुर पहुंची। यहां गोमती नदी का जल संग्रहित कर चरण पादुका पूजन किया गया।
00000000000000000000000000000 |