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भगवान राम एकता के प्रतीक, सभी को भारत से प्रेम करना चाहिये: आचार्य गोविंद देव गिरी

  • आज से विधिवत शुरू हुई भगवान श्रीराम का प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम
  • सभी मुस्लिम राम मंदिर के खिलाफ नहीं, इतिहास की भूलों को याद रखना चाहिये: आचार्य गोविंद देव गिरी
  • मैं रहूं या न रहूं, मेरा भारत रहना चाहिये
  • धर्म, जाति, भाषा भारत के आभूषण है: आचार्य गोविंद देव गिरी महाराज

आचार्य गोविंद देव गिरी महाराज श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष है। मैं उन्हें तब से जानता हूं जब वे किशोर जी व्यास के नाम से श्रीमद् भागवत कथा करते थे। कई मौकों पर उनकी कथा सुनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। उन्हें छोटे डोंगरे जी के नाम से भी जाना जाता है। निस्वार्थ भाव से धर्म के काम में लगे आचार गोविंद देव गिरी महाराज का भगवान श्रीराम के कोषाध्यक्ष का काम बहुत सोच समझकर किया गया। जब 22 जनवरी को भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा होगी उस समय मुख्य मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के साथ गर्भ गृह में उपस्थित रहने वाले पांच प्रमुख लोगों में आचार्य गोविंद देव गिरी भी रहेंगे। पिछले दिनों दिल्ली आगमन पर दैनिक अथाह के संपादक अशोक ओझा ने उनसे विस्तार से बात की। उनसे हुई बातचीत को आज खबर के रूप में आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।

यह पूरे राष्ट्र के लिए ऐतिहासिक पल
आचार्य गोविंद देव गिरी ने कहा निश्चित रूप से यह पूरे राष्ट्र के लिए ऐतिहासिक पल है। इतिहास में 500 वर्षों के पश्चात यह दिन आ रहा है। उन्होंने कहा कहा 22 जनवरी को मध्याह्न अभिजात मुहूर्त में श्रीराम लला अपने मंदिर में विराजमान होंगे। 17 जनवरी से 150 से अधिक पंडित अनेक प्रकार के हवन, यज्ञ और पूजा पाठ करेंगे। पूरा कार्यक्रम कांचि काम कोटि पीठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती की देखरेख में संपन्न होंगे। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी से पहले सभी पूजा पाठ पूर्ण हो जायेंगे।

22 को सबसे पहले जटायु की पूजा होगी
22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले जटायु की प्रतिमा की पूजा करेंगे। साढ़े पांच सौ वर्षों में तीन लाख से ज्यादा लोगों ने भगवान श्रीराम के लिए बलिदान दिये हैं। उसी के प्रतीक के रूप में जटायु की पूजा की जायेगी। जटायु अद्भुत व्यक्तित्व है। उन्होंने भगवान श्रीराम के लिए सबसे पहले अपने प्राणों का बलिदान दिया। इसलिए पहला प्रणाम उनको होना चाहिये।

सभी परंपराओं से जुड़े संत रहेंगे प्राण प्रतिष्ठा में
आचार्य गोविंद देव गिरी ने कहा प्राण प्रतिष्ठा में करीब पांच सौ से ज्यादा संतों को निमंत्रण भेजा गया है। इनमें सभी पंरपराओं एवं उपासना पद्धति के संत शामिल है। इसके साथ ही 250 ऐसे लोग रहेंगे जो गणमाण्य है, 250 से 300 ऐसे लोग जिन्होंने स्वयं कार्य किया है, इनमें निर्माण कार्य से जुड़े विभिन्न कंपनियों के लोग भी शामिल है। कुल 7500 विशेष लोग आमंत्रित किये गये हैं।
भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी का दिन ही क्यों चुना गया? इस सवाल के जवाब में श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के कोषाध्यक्ष ने कहा शुभ मुहूर्त देखा गया था। ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से यह दिन सबसे शुभ है। इसके साथ ही माघ मेला प्रारंभ हो गया, बड़ी संख्या में संत माघ मेले में चले जायेंगे। उन्होंने कहा 17 जनवरी से शुरू अनुष्ठान में कुछ पंडित एकांत मंत्र का जप करेंगे, कुछ भूमि पूजन, ग्रहों, देवताओं की आराधना, दोषों का निवारण आदि के कार्य में लगेंगे।

इतिहास को दु: स्वप्न की तरह भूल जाना चाहिये
आचार्य गोविंद देव गिरी महाराज ने कहा पिछले इतिहास को दूस्वप्न की तरह भूल जाना चाहिये। 1526 में मीरबाकि ने सम्राट विक्रमादित्य द्वारा बनाया गया भगवान श्रीराम का मंदिर तोड़ा। एक लाख से ज्यादा नागा साधुओं एवं सिखों ने प्रतिकार करते हुए बलिदान दिया। पांच शताब्दियों में एक लाख से ज्यादा बलिदान हुए, अनेकों बार मंदिर को तोड़ा गया।

समाज के बंटने के कारण विदेशी आक्रांता सफल हुए
उन्होंने कहा इसका कारण यह था कि समाज एकजुट नहीं था। यदि समाज एकजुट होता तो विदेशी लोग ऐसा नहीं कर पाते। समाज संप्रदाय, जाति, भाषा रीति रिवाज में बंटा रहा। उन्होंने कहा आवश्यकता है मेरा विचार बाद में, पहले मेरा भारत, राष्ट्र और धर्म का विचार। मैं रहूं या न रहूं मेरा भारत रहना चाहिये। इतिहास की भूलों को ध्यान में रखना चाहिये। उन्होेंने कहा पूरा भारत वर्ष एक है। धर्म, जाति, भाषा हमारे आभूषण है। हिंदुत्व को एक रहना चाहिये।

प्राण प्रतिष्ठा को हिंदू- मुस्लिम का रंग न दें, भगवान श्रीराम एकता के प्रतीक
राष्टÑ संत गोविंद देव गिरी ने कहा इस संघर्ष को हिंदू- मुस्लिम का रंग न दें। मुस्लिमों ने भी दान दिया है श्रीराम मंदिर के लिए। जो कुछ हुआ उसके लिए पूरा मुस्लिम समाज दोषी नहीं है। श्रीराम एकता के प्रतीक है। सबको भारत से प्रेम करना चाहिये।

राम की सेवा करो, राम के कारण भारत की पहचान है
उन्होंने कहा राम की सेवा करो, भगवान श्रीराम के कारण भारत की पहचान है। सबको मिलकर राष्टÑ की आराधना करनी चाहिये। उन्होंने कहा 22 जनवरी को अयोध्या में जब भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा होगी उस समय पूरे देश में जश्न होना चाहिये, हर मंदिर में पूजा होनी चाहिये तथा पूरा देश जगमगाना चाहिये।



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