Scam: नगर निगम व जल निगम अधिकारियों और ठेकेदार की जुगलबंदी में हुआ सरकारी धन का बंदरबांट।
अथाह संवावदाता, गाजियाबाद। नगर निगम के प्रकाश विभाग में एलईडी लाइट बदलने के नाम पर फर्म द्वारा किए गए करोड़ों के Scam की आंच अभी ठंडी नहीं पड़ी थी कि बृहस्पतिवार को भाजपा पार्षद राजेंद्र त्यागी ने नगर निगम के जलकल विभाग में अधिकारी व ठेकेदार की मिलीभगत से किए गए करोड़ों के खेल का खुलासा करते हुए सीएम को पत्र भेजकर उच्च स्तरीय जांच की मांग उठाई है।
भाजपा पार्षद ने कहा कि एक तरफ केंद्र व प्रदेश सरकार नदियों के जल को स्वच्छ करने के लिए एसटीपी प्लांट का निर्माण कर रही है, पानी को प्रदूषित करने वाली इकाइयों को बंद करा रही है, नदियों की स्वच्छता पर अरबों रुपए खर्च कर रही है वहीं गाजियाबाद में नगर निगम के जलकल विभाग के डूंडाहेड़ा में 70 एमएलडी क्षमता वाले ट्रीटमेंट प्लांट के रिएक्टरों के पुनर्गठन के नाम पर करीब 6 करोड़ 40 लाख की धनराशि को ट्रीटमेंट प्लांट के संचालन और रखरखाव के लिए रखी गई सी एन्ड डीएस फर्म और जल निगम अधिकारियों की जुगलबंदी के चलते बंदरबांट कर दी गई।
मजे की बात यह है कि वर्षों बाद भी एसटीपी प्लांट के रिएक्टर ठीक नहीं हुए और प्लांट के रखरखाव का ठेका दूसरी फर्म को दे दिया गया। भाजपा नेता ने बताया कि वर्ष 2013 में मंडलायुक्त की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में 13वें वित्त आयोग के तहत माननीय सुप्रीम कोर्ट भूरेलाल कमेटी एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश पर डूंडाहेड़ा में यूएएसबी टाइप सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के चार रिएक्टरों के पुनर्गठन जिसमें सभी चारों रिएक्टरों की मरम्मत टेस्टिंग कमिश्निंग गैस होल्डर गैस बर्निंग एवं गैस यूटिलाइजेशन सिस्टम, सीवेज स्लज गैस कनवेयर सम्मिलित थे इस कार्य के लिए छह करोड़ 39 लाख 66 हजार की धनराशि स्वीकृत की गई थी।
सी एण्ड डीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर ने 19 फरवरी 2014 को पत्र लिखकर नगर आयुक्त से ट्रीटमेंट प्लांट के मरम्मत 639.66 लाख की धनराशि अग्रिम भुगतान की मांग की। उन्होंने बताया कि कंपनी द्वारा अग्रिम भुगतान लेने के बाद भी कार्य को पूर्ण नहीं किया। भाजपा नेता ने बताया कि कंपनी द्वारा प्रथम चरण में किए गए हैंडओवर दो रिएक्टर गैस यूटेलाइजेशन सिस्टम,320 व 63 केवीए डबल जनरेटर सीवेज स्लज बेड कूलिंग टावर गैस कन्वेयर सिस्टम का कार्य धनराशि देने के 15 माह बाद भी पूर्ण नही किया गया। बार-बार पत्राचार के बाद भी कंपनी में काम पूरा नहीं किया जिसका नतीजा एसटीपी प्लांट चालू ही नहीं हुआ और करोड़ों की धनराशि खुर्द बुर्द हो गई।
तत्कालीन नगर आयुक्त द्वारा कराई गई जांच में पाया गया कि जल निगम द्वारा मरम्मत के बाद एसटीपी से शोधित होने वाले जल की क्वालिटी में सुधार की बजाय कई गुना गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि नगर आयुक्त के तबादले के बाद एसटीपी की फ़ाइल ही बंद कर दी गई। उसके बाद कुछ समय पहले डूंडाहेड़ा एसटीपी के रख रखाव का ठेका दूसरी फर्म को दे दिया गया उक्त फर्म ने भी मरम्मत के लिए जलकल विभाग को एस्टीमेट बनाकर भेजा है जिसमे कई चीजों को डेमेज बताया है।
कुल मिलाकर सीएण्ड डीएस फर्म को जिस कार्य के लिए 6.40 करोड़ की रकम दी गई वह कार्य पूरा ही नहीं हुआ। जिस सी एन्ड डीएस कंपनी को एसटीपी दिए गए उस कंपनी को उत्तर प्रदेश जलकल विभाग ने 20 अगस्त को ब्लैक लिस्ट कर दिया साथ ही यह आदेश भी दिया कि जिन शहरों के एसटीपी प्लांट फर्म को दिए गए हैं वह उससे वापस ले और आवंटित की गई धनराशि वापस कराने की कार्यवाही करें। भाजपा नेता ने करोड़ों रुपए की हेरा फेरी की मुख्यमंत्री सहित अन्य संबंधित विभागों से जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है।
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