निर्वासित तिब्बती सांसदों के प्रतिनिधि मंडल ने सपा प्रमुख से की मुलाकात
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता विरोधी दल अखिलेश यादव से गुरुवार को समाजवादी पार्टी के प्रदेश में मुख्यालय में निर्वासित तिब्बती संसद के सांसदों के एक प्रतिनिधिमण्डल ने भेंट कर तिब्बत के मौजूदा हालात और चीन द्वारा उसकी स्वतंत्रता हड़पे जाने के सम्बंध में विस्तृत चर्चा की। तिब्बती सांसदों की समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से यह दूसरी भेंट है। इस अवसर पर सपा के राष्ट्रीय सचिव राजेन्द्र चौधरी भी उपस्थित रहे।
तिब्बत के संसदीय प्रतिनिधिमण्डल में लोपेन थुपटेन ग्यात्सेन, बांगडू डोरजी तथा पेमा चो (सभी सांसद) थे। उन्होंने अखिलेश यादव से हुई अपनी वार्ता को आशानुकूल और सकारात्मक बताया। उन्होंने तिब्बत के सम्बंध में समाजवादी पार्टी के समर्थक रूख के लिए आभार जताया। तिब्बत के सांसदों ने बताया कि 1959 से पहले तिब्बत स्वतंत्र राज्य था। तिब्बती भारत को गुरु मानते हैं। चीन में बौद्ध धर्म का प्रसार गुरू पद्मसंभव ने किया। छठी शताब्दी में तिब्बत बहुत शक्तिशाली था। हजारों वर्ष की संस्कृति, धर्म और सभ्यता पर चीन ने हमला कर उसको नष्ट करने की साजिश की है। चीन के अन्याय और शोषण से लोग त्रस्त है। यहां की स्थिति गंभीर है। अपनी ताकत के बल पर चीनी शासक तिब्बतियों को दुनिया में बदनाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म तथा समृद्ध साहित्य को बचाने का संघर्ष आज भी जारी है।
सांसदों ने बताया कि तिब्बत कुदरत का खजाना है। भारत में वहां से 10 नदियां आती है। इसकी समृद्ध विरासत को नष्ट किया जाने लगा है। शिक्षा और धर्म पर हमला हो रहा है। चीन पड़ोसी राज्यों के लिए भी खतरा बना हुआ है। चीन ने अक्साईचीन भारत से छीन लिया। अरूणाचल प्रदेश पर भी चीन की बुरी नजर है। चीन ने 1949 में अपना राष्ट्रीय दिवस मनाया था। तिब्बत से दोस्ती का नाम लेकर चीनी आए थे बाद में उन्होंने धोखे से कब्जा कर लिया। सांसदों ने कहा कि तिब्बत की स्थिति बद-से-बदतर होती जा रही है। लगभग 60 लाख तिब्बती अपमानजनक जीवन जी रहे हैं। चीनी शासन में 12 लाख से अधिक तिब्बती मारे गए है। छह हजार से अधिक मठ नष्ट किए गए हैं। तिब्बत में 75 लाख चीनी बसा दिए गए हैं। तिब्बत एक बड़े सैनिक अड्डे में तब्दील हो गया है। उन्होंने कहा कि तिब्बत भारत-चीन के बीच बफर स्टेट था जिसके न रहने से भारत-चीन के रिश्तों पर गंभीर असर हुआ है। चीन ने 1962 में भारत पर हमला कर अपना विश्वासघाती रूप दिखाया। चीन ने तिब्बत में अपने पॉच लाख चीनी सैनिक तैनात कर रखे हैं।
अखिलेश यादव ने तिब्बती सांसदों को बताया कि समाजवादी हमेशा तिब्बत की स्वतंत्रता के समर्थक रहे हैं। हमारे नेता डा. राममनोहर लोहिया का कहना था कि तिब्बत के भाषा, व्यापार और संस्कृति के क्षेत्र में सम्बंध चीन की तुलना में भारत के साथ अधिक मजबूत रहे हैं। भाजपा और तिब्बत के बीच सामरिक सम्बंधों की तो बात ही छोड़ दें। श्री जयप्रकाश नारायण का विश्वास था कि तिब्बत नहीं मरेगा क्योंकि मानव आत्मा के लिए कोई मृत्यु नहीं है।