- 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर होगा क्षेत्र- जिलों में बदलाव
- सभी जिलों से नाम मांगने के बाद दिया जा चुका है अंतिम रूप
- कमेटियों में बड़ा बदलाव कर विवाद उत्पन्न करने के पक्ष में नहीं नेतृत्व
- क्षेत्र एवं जिलों में पिछड़ा- दलित समीकरण के साथ ही जातीय संतुलन साधने पर रहेगा ध्यान
अशोक ओझा
गाजियाबाद। भारतीय जनता पार्टी का ध्यान अब 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। इसके लिए पैनल करीब करीब तैयार कर लिये गये हैं। इसके लिए जिला व महानगर अध्यक्षों से भी संभावित नाम पहले ही मांग लिये गये थे।
बता देंं कि भाजपा के पास बदलाव के लिए अधिक समय शेष नहीं बचा है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो जायेगी। दैनिक अथाह पहले ही बता चुका है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नजर भी पूरी तरह से उत्तर प्रदेश और खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर है। वे अपने संगठन के समीक्षा अभियान की शुरूआत भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश से ही करने जा रहे हैं। यहीं कारण है कि भाजपा का प्रदेश एवं क्षेत्रीय नेतृत्व चाहता है कि बदलाव जल्द से जल्द हो जाये।
भाजपा सूत्रों के अनुसार क्षेत्रीय कमेटी पर मंथन के बाद कमेटी को करीब करीब अंतिम रूप दिया जा चुका है। इसके साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिला व महानगर अध्यक्षों से जिला कमेटियों में फेरबदल के साथ नाम मांगे जा चुके हैं। इतना ही नहीं मंडल अध्यक्षों तक के नाम पश्चिमी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष के पास पहुंच गये हैं। पिछले दिनों मेरठ में प्रशिक्षण के लिए हुई बैठक में ही सभी से नाम मांग लिए गये थे। इसके बाद अब सूचियों को अंतिम रूप देने का काम अंतिम दौर में चल रहा है। यदि कोई बड़ी बात नहीं हुई तो हो सकता है कि दीपावली से पहले ही पदाधिकारियों की सूची जारी कर दी जाये। यदि नामों पर सहमति नहीं बन पाती है तो दीपावली के तत्काल बाद पदाधिकारियों की घोषणा की जा सकती है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा की नजर पिछड़ों के साथ ही दलित मतदाताओं पर है। इस लिहाज से इन दोनों को साधने की रणनीति पर काम किया जा सकता है। इसके साथ ही पार्टी सवर्ण मतदाताओं को नाराज करने का जोखिम भी नहीं उठाना चाहेगी। सवर्णों को भी महत्व दिया जा सकता है। जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय कमेटी में दो- दो महामंत्री व उपाध्यक्ष बदले जा सकते हैं। इसके साथ ही मंत्रियों को भी बदला जायेगा। यदि जिलों की बात करें तो जिलों में निष्क्रिय पदाधिकारियों का कमेटियों से बाहर होना तय माना जा रहा है। जिन पदाधिकारियों को हटाया जायेगा उनके स्थान पर उनके ही सजातीय कार्यकर्ताओं को आगे लाकर उन्हें पदों से नवाजा जायेगा।
बदलाव की बयार बहने के साथ ही भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह सिसौदिया के यहां पर दावेदारों की भीड़ एक बार फिर बढ़ गई है।
सूत्रों की मानें तो विधायक और सांसद भी अपने अपने खास लोगों को संगठन में समाहित करने का दबाव क्षेत्रीय अध्यक्ष पर बना रहे हैं। इसमें जनप्रतिनिधि कितने सफल होंगे यह समय ही बतायेगा।