मंथन : भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तरफ बढ़ रहा है। यह देश के लिए बड़ा शुभ संकेत है। हो सकता है कि इस मामले में कुछ लोग मुझे जो उप नाम मोदी सरकार की सराहना करने पर गढ़ा गया है ‘भक्त’ से अलंकृत कर दें। लेकिन इसकी कोई चिंता नहीं।
आजादी के बाद से ही भारत रक्षा क्षेत्र में कभी सोवियत संघ, कभी अमेरिका, कभी चीन, जापान, जर्मनी, इस्रायल, फ्रांस समेत अन्य देशों पर निर्भर रहता था लेकिन पूर्व की सरकारों ने कभी इस पर ध्यान नहीं दिया कि भारत स्वयं क्यों नहीं रक्षा उपकरण बनाने की पहल करता। इस कदम से जहां अन्य देशों पर निर्भरता समाप्त होती, वहीं दूसरी तरफ विदेशी मुद्रा भंडार खाली नहीं होता।
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के निर्देशन में भारत अब रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भरता की तरफ बड़ा कदम बढ़ा चुका है। पहले 101 रक्षा उपकरणों के आयात पर रोक लगाकर उसे स्वदेश में ही निर्मित करने के फैसले के बाद ऐसी दूसरी सूची पर भी देश में काम शुरू हो गया है।
सरकार का संकेत है कि आयात पर प्रतिबंध लगाने वाली अगली सूची में ज्यादा एडवांस रक्षा उपकरण शामिल हो सकते हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका संकेत देते हुए इसके राष्ट्रीय और वैश्विक प्रभाव का भी इजहार भी किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यह कथन कि आत्मनिर्भरता वस्तुत: हमारे आत्मविश्वास और शक्ति का परिचायक है देश के लिए बड़ा संदेश है। इसके लिए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में डिफेंस कारीडोर स्थापित किया जा रहा है।
अब जबकि भारत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ा चुका है ऐसे में आने वाले समय में देश का विदेशी मुद्रा भंडार अथाह होगा। इसके साथ ही देश का पैसा देश में रहेगा तथा युवाओं को रक्षा के क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर मिलेंगे।
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