Dainik Athah

सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है महालक्ष्मी व्रत

23  सितंबर से आरंभ होंगे महालक्ष्मी व्रत

23 सितंबर को ही है राधा अष्टमी व्रत

भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से  पितृ पक्ष में आश्विन कृष्ण अष्टमी तक के 16 दिन तक महालक्ष्मी का व्रत किया जाता है।यह महालक्ष्मी का रहस्यमयी व्रत है। 16 दिन तक इस व्रत को करने से महालक्ष्मी की कृपा शुरु हो जाती है घर में धन-धान्य, सुख समृद्धि बढ़ती है। ऐसा शास्त्रीय वचन है। महालक्ष्मी व्रत करने की विधि यद्यपि लक्ष्मी जी का व्रत शुक्रवार को किया जाता है किंतु वर्ष में एक बार महालक्ष्मी की आराधना का पक्ष होता है इसे महालक्ष्मी पक्ष बोलते हैं।भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक महालक्ष्मी को नियमित पूजा करने से लक्ष्मी मां प्रसन्न होती हैं।सर्वप्रथम प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर  अपने घर के मंदिर में ही या उसके आसपास लकड़ी के पटरे या चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर कलश स्थापना करें , कलश को कलावे से बांधे। कच्चा नारियल और आम के पत्तों के स्थान पर 8  पान के पत्ते नारियल के नीचे रखें जो अष्टलक्ष्मी के प्रतीक हैं।और महालक्ष्मी की मूर्ति रखें।लक्ष्मी जी के विशेष मंत्रों से मां का आह्वान करें ।इन दिनों में मां की अष्ट सिद्धियों की पूजा लक्ष्मी के रूप में होती है। घर में पति पत्नी दोनों ही पूजा व व्रत कर सकते हैं।   नियमित रुप से सफेद मिष्ठान्न, किशमिश, मिश्री अथवा पंचमेवा का भोग लगाएं ।आरती करें। 16 दिन तक  व्रत कर सकते हो तो बहुत अच्छा है और यदि व्रत नहीं कर सकते तो अष्टमी, पूर्णिमा और फिर अष्टमी अर्थात 3 दिन  का व्रत करने से ही मां लक्ष्मी के व्रत पूर्ण हो जाते हैं।लेकिन इन दिनों पूरे नियम ,संयम, आचार विचार खान-पान की शुद्धता वह पवित्रता का ध्यान रखना पड़ता है ।मां लक्ष्मी को स्वच्छता प्रिय है। इसलिए घर का वातावरण पवित्र और स्वच्छ हो ऐसा ध्यान रखें।श्री सूक्त का पाठ लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए उत्तम माना गया है ।इसके अलावा अष्ट लक्ष्मी के मंत्र ओम् कामलक्ष्म्यैनमः। ओम् आद्यालक्ष्म्यै नमः। ओम् सत्यलक्ष्म्यै नमः।ओम् योगलक्ष्म्यै नमः ।ओम भोगलक्ष्म्यै नमः ।ओम् विद्यालक्ष्म्यै नमः।ओम् अमृतलक्ष्म्यै नमः।ओम् सौभाग्यलक्ष्म्यै नमः:इन मंत्रों का नियमित जाप करना चाहिए।

महालक्ष्मी पूजन के विशेष मुहूर्त

यद्यपि इस वर्ष 23 सितंबर को प्रातःकाल सूर्योदय से ही  अष्टमी आरंभ होगी ।। और इनका समापन 07 अक्टूबर  को होगा।लक्ष्मी मां की पूजा प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में करें अथवा मध्यान्ह 11:30 से 12:30 तक अभिजीत मुहूर्त में करनी चाहिए ।शाम को भोग, आरती आदि व्यवस्था अवश्य करें।मानसिक जाप भी आवश्यक है ।व्रत की  इसअवधि में किसी का बुरा ना चाहे ।सत्य वचन का पालन करें। किसी की बुराई ना करें और अधिकतर मौन रहे और मन में यह कामना करें कि महालक्ष्मी हाथी पर सवार होकर हमारे घर में पधार चुकी हैं।इस प्रकार व्रत करने से साधक की इच्छाएं निश्चित ही पूर्ण होती हैं।इस 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन आश्विन कृष्ण अष्टमी को होता है। सफेद मिष्ठान्न ,खीर, किशमिश आदि से युक्त भोजन बनाकर किसी सौभाग्यशाली   महिला को भोजन कराएं ।उनको सुंदर वस्त्र ,साड़ी श्रृंगार सामग्री दान करें और महालक्ष्मी की व्रत का समापन करें।महा लक्ष्मी के व्रत के आरंभ करने के साथ-साथ इस दिन राधाष्टमी भी है। इसका विवरण इस प्रकार है।

राधा अष्टमी व्रत का महत्व

23सितंबर को ही है राधा अष्टमी व्रत राधा कृष्ण की अनुपम छवि मन में बस जाएं जो भक्त उनकी आराधना में लीन हो जाते हैं ।उनका जन्म युगो युगो तक ब्रजभूमि में ही होता है।राधा के प्रसन्न होने से भगवान कृष्ण  प्रसन्न हो जाते हैं इसीलिए राधा  की पूजा करने से  श्री भगवान कृष्ण दौड़े दौड़े चले आते हैं।ऐसा कहा जाता है कि राधा का जन्म भाद्रपद शुक्ल अष्टमी को हुआ था।अर्थात राधा जी  श्रीकृष्ण जी से साढे 11 महीने बड़ी है।राधा अष्टमी का व्रत करने से सभी पापों का अंत होता है ।राधे राधे जपने से कृष्ण भक्ति का फल मिलता है।इस वर्ष राधा अष्टमी व्रत  230सितंबर को होगा। प्रात:काल बाल राधा  का श्रृंगार कर उन्हें पालने में बैठाएंगे।मिश्री ,माखन ,पंचमेवा खीर आदि से उनका भोग लगाएं।राधाकृष्ण की आरती करें। बाला राधा के दिव्य श्रृंगार से अपने नेत्रों को तृप्त करें।और कल्पना करें कि मां राधा हमारे मन में बसी हुई है। हमारे घर में सुख संपन्नता कर दे रही है ।हमारे घर के सदस्यों में परस्पर प्रेम बढ रहा है।व्रत  जो भी हो उसमें अपनी इच्छाओं को भगवान को मत बताओ ।ऐसा सोचे कि भगवान/ मां ने मेरी इच्छा पूर्ण कर दी है ।बस ऐसा  सोचने से ही हमारे इच्छाएं साकार हो जाती है। क्योंकि इसमें सकारात्मकता का भाव प्रकट होता है । इस भाव से हम जो भी पूजा करेंगे हैं तो वह  देव  पूजा व्यर्थ नहीं जाती है।*राधा अष्टमी के पूजन का मुहूर्त*प्रातकाल ब्रह्म मुहूर्त मे अथवावृश्चिक लग्न (स्थिर लग्न) प्रातः 10:20 बजे से 12:37 बजे तक देवी राधा का पूजन करने का शुभ मुहूर्त है।

पं.शिवकुमार शर्मा ,आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य।

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