- चेयरमैन- सभासदों की काठमांडू यात्रा का हुआ असर
- 34 में से 26 सभासदों ने लिया संघर्ष समिति के अध्यक्ष पद से मोनू धामा को हटाने का निर्णय
अथाह संवाददाता
मोदीनगर। मोदीनगर के चेयरमैन और सभासदों की काठमांडू यात्रा का असर धीरे धीरे सामने आ रहा है। इस यात्रा का असर यह हुआ कि जिन सभासदों ने एकजुटता के नाम पर सभासद संघर्ष समिति का गठन किया था उसके अध्यक्ष को पद से हटा दिया गया है। इसका कारण तो सभासद ही बता सकते हैं, लेकिन इसमें कहीं न कहीं चेयरमैन पक्ष को मजबूती मिली है।
बता दें कि पिछले दिनों मोदीनगर नगर पालिका के 34 में से 30 सभासद एवं चेयरमैन विनोद जाटव वैशाली काठमांडू की यात्रा पर गये थे। इस यात्रा की गूंज मोदीनगर से लेकर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गलियारों खासकर नगर विकास विभाग में हो रही है। पूरी काठमांडू यात्रा किसके सौजन्य से हुई इसके संबंध में सभासद दावा करते हैं कि उन्होंने अपने खर्च पर यात्रा की, जबकि चर्चा कुछ और ही है। खैर कुछ भी हो बात यदि निकली है दूर तलक जायेगी। इस यात्रा के दौरान एक नयी पटकथा लिखी गई वह यह कि यात्रा के दौरान 26 सभासदों ने बैठक कर सभासद संघर्ष समिति के अध्यक्ष मोहन उर्फ मोनू धामा को पद से हटा दिया।
सूत्रों की मानें तो अधिकांश सभासदों का मानना है कि जब सबकुछ ठीक चल रहा है तो ऐसे में सभासद संघर्ष समिति का कोई औचित्य नहीं है। इसके साथ ही बैठक की तारीख काठमांडू यात्रा के पहले 20 अगस्त की बताई जा रही है, जबकि बैठक की जानकारी अब बाहर निकल कर आई है। इसके ऊपर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर काठमांडू यात्रा के बाद ही ऐसा क्यों हुआ। इस बारे में जानकारों का कहना है कि यात्रा के दौरान इस पूरे मामले को छुपाये रखा गया। इसके साथ ही सभासद संघर्ष समिति का व्हाटसअप ग्रुप भी मंगलवार को समाप्त कर दिया गया।
सभासदों के ग्रुप से से छनकर आ रही जानकारी के अनुसार सभासदों में कई गुट बन चुके हैं। देखना यह होगा कि आने वाले समय में सभासदों की राजनीति क्या गुल खिलाती है। हालांकि इस पूरे मामले की तह में जाने वाले बताते हैं कि चेयरमैन ने सभासदों के एक बड़े गुट को अपने पक्ष में कर लिया है, यहीं कारण है कि सभासद संघर्ष समिति के अध्यक्ष को हटाना आवश्यक हो गया था। इसके साथ ही यह भी माना जा रहा है कि संघर्ष समिति का अस्तित्व अब समाप्त होने की तरफ है। जबकि कुछ सभासद संघर्ष समिति को नये सिरे से जिंदा करने का प्रयास कर रहे हैं।
भारतीय भाई यों को मेरी तरफ से एक सूचना दी जाती है कि हमारे देश में जिसके लिए समर्पित होकर कार्य करना चाहते हैं।वह बिल्कुल संघर्ष के विपरित प्रभाव डालता है। इसलिए उस समय संघर्ष समिति द्वारा न्याय संगत कार्य नहीं होते हैं तो हमारे बीच में कलह सुरू हो जाती है।इस लिए संघर्ष समिति का औचित्य नहीं रह जाता है।
राम राम जी