Dainik Athah

2 किमी लंबी टनल बनाने के साथ ही: दिल्ली- गाजियाबाद- मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के भूमिगत भागों के लिए टनलिंग का कार्य पूर्ण

एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक ने रिमोट बटन दबाकर कि टनल ब्रेक थू्र की शुरूआत

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद/ मेरठ।
एनसीआर में तेज गति की रीजनल कनेक्टिविटी प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के तहत, मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने वैशाली रिट्रीविंग शाफ्ट, गाजियाबाद में सुदर्शन 4.4 के टीबीएम ब्रेकथ्रू के साथ ही एक प्रमुख मील का पत्थर हासिल किया। आनंद विहार से साहिबाबाद के बीच इस 2 किमी लंबी टनल या सुरंग के पूरा होने के साथ ही अब सम्पूर्ण दिल्ली- गाजियाबाद- मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर की टनलिंग (सुरंग बनाने) का काम पूरा हो गया है।
एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने एनसीआरटीसी के निदेशकों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में रिमोट बटन दबाकर टनल ब्रेकथ्रू की शुरूआत की। सफल ब्रेकथ्रू के साथ ही टनल बोरिंग मशीन टनल का निर्माण कार्य बाहर निकल आई। सुदर्शन 4.4 को आनंद विहार में निर्मित लॉन्चिंग शाफ्ट पर टनल बनाने के लिए उतारा गया था, जो अब वैशाली रेट्रीविंग शाफ्ट से बाहर निकल रहा है।]

आरआरटीएस कॉरिडॉर की पूरी टनल बनाने के कार्य को 18 महीने से भी कम समय में पूरा किया गया है। देश के पहले आरआरटीएस कॉरिडोर के भूमिगत खंड की कुल 12 किमी की लंबाई में समानांतर सुरंगों को बोर करने के लिए कुल सात (7) अत्याधुनिक सुदर्शन, टनल बोरिंग मशीनों (टीबीएम) का उपयोग किया गया है। कॉरिडॉर का शेष 70 किमी लंबा भाग एलेवतेड़ है, जिसके लिए लगभग 80% वायाडक्ट बनाने का काम पूरा हो चुका है।

आरआरटीएस टनलों के निर्माण के लिए 80 हजार से अधिक प्री-कास्ट सेगमेंट का उपयोग किया गया है। इन उच्च परिशुद्धता वाले प्री-कास्ट टनल सेगमेंट्स को कड़कड़डूमा, नई दिल्ली और शताब्दी नगर, मेरठ में स्थापित अत्याधुनिक कास्टिंग यार्ड में बनाया गया। टनलिंग की प्रक्रिया में, सात सेग्मेंट्स को जोड़कर एक टनल रिंग का निर्माण किया जाता है। इन सेग्मेंट्स और रिंग्स को बोल्ट्स की सहायता से जोड़ा जाता है। रैपिडएक्स टनलों का व्यास 6.5 मीटर है जो 180 किमी प्रति घंटे की समान डिजाइन गति के साथ चौड़े एवं ऊँचे रोलिंग स्टॉक के लिए विश्व में निर्मित अन्य टनलों के वैश्विक बेंचमार्क की तुलना में काफी अनुकूलित है। देश में अन्य रेल-आधारित शहरी सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों की तुलना में, यह पहली बार है जब इतने बड़े आकार की सुरंग का निर्माण किया जा रहा है।
दिल्ली में आनंद विहार भूमिगत रैपिडएक्स स्टेशन से दोनों ओर ट्रेनों के आने-जाने के लिए कुल 4 सुरंगों का निर्माण किया गया है। लगभग तीन किलोमीटर लंबी दो समानांतर सुरंगें आनंद विहार स्टेशन को न्यू अशोक नगर स्टेशन से जोड़ने के लिए हैं जबकि लगभग दो किलोमीटर लंबी समानांतर सुरंगें आनंद विहार स्टेशन को साहिबाबाद स्टेशन से जोड़ने के लिए बनाई गयी हैं।

दिल्ली सेक्शन टनलिंग
एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस कॉरिडॉर के भूमिगत भाग के लिए टनल बनाने का कार्य फरवरी 2022 से आरंभ किया , जब टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) ‘सुदर्शन 4.1’ को आनंद विहार, नई दिल्ली में लॉन्चिंग शाफ्ट में आनंद विहार स्टेशन से न्यू अशोक नगर स्टेशन की ओर के टनल बनाने के लिए उतारा गया था। इसके तुरंत बाद इसी दिशा मे समानांतर सुरंग बनाने के लिए सुदर्शन 4.2 लॉन्च किया गया। ये समानांतर सुरंगें दिल्ली में किसी भी टनल बोरिंग मशीन द्वारा बनाई गई सबसे लंबी सुरंग हैं जो लगभग तीन किलोमीटर लंबी हैं।

सुदर्शन 4.1 ने अप्रैल 2023 में केवल एक वर्ष से कुछ अधिक समय में दिल्ली के खिचड़ीपुर में निर्मित टनल रीट्रिविंग शाफ्ट तक की टनल को सफलतापूर्वक बना लिया था। सुदर्शन 4.2 ने इस टनल के समानांतर टनल के लिए टनल बनाने का कार्य को जून 2023 में पूरा कर लिया इनके अलावा, दो और सुदर्शन, 4.3 और 4.4 को क्रमश: जून और अक्टूबर 2022 में दिल्ली से गाजियाबाद की ओर 2 किमी लंबी समानांतर टनल को बनाए के लिए आनंद विहार से लॉन्च किया गया था। इनमें से एक, सुदर्शन 4.3 ने मई 2023 में वैशाली मेट्रो स्टेशन के पास निर्मित रीट्रिविंग शाफ्ट से बाहर निकलने में सफलता हासिल की। जबकि चौथे और आखिरी टीबीएम, सुदर्शन 4.4 ने आज ब्रेकथ्रौग कर टनल बनाने में सफलता हासिल की है।

दिल्ली सेक्शन में टनल का निर्माण कार्य एक जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य था। आनंद विहार से साहिबाबाद की ओर जाते हुए, भूमिगत टनल औद्योगिक क्षेत्रो की इमारतों के बहुत करीब से गुजर रही है तथा 4 मीटर से 6 मीटर तक के उथले ओवरबर्डन क्षेत्र के नीचे से और हाइ टेंशन विद्युत केबलों के केवल 0.5 मीटर ऊपर से गुजर रही है। इसी तरह आनंद विहार से न्यू अशोक नगर की ओर की टनल बनाने में इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जब यह मौजूदा मेट्रो वायाडक्ट की पाइलिंग संरचनाओं, क्रॉसक्रॉसिंग एक्सप्रेसवे और यहां तक कि पटपड़गंज और खिचड़ीपुर में गैर-इंजीनियरिंग इमारतों के बेहद करीब से गुजर रही थी। रणनीतिक योजना और नवीन तरीकों को क्रियान्वित करके इन सभी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया गया।

मेरठ सेक्शन टनलिंग
दूसरी ओर, मेरठ में तीन भूमिगत स्टेशन शामिल हैं, अर्थात मेरठ सेंट्रल, भैंसाली और बेगमपुल। इन स्टेशनों को जोड़ने के लिए कुल छह समानांतर सुरंगों का निर्माण किया गया है। अप्रैल 2022 में सुदर्शन 8.1 के लॉन्च के साथ मेरठ में टनल बनाने की गतिविधियाँ शुरू हुईं और सभी सुरंग बनाने की गतिविधियाँ जुलाई 2023 में छठी और आखिरी टनल के निर्माण के साथ पूरी हो गईं।
मेरठ में भी, सुरंग का रास्ता घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों के नीचे से जाता था, जिसमें नालीयों और पुरानी इमारतों की नींव, तीखे मोड़ आदि के नीचे से गुजरना शामिल था, जिसे अटूट परिश्रम और सावधानीपूर्वक देखभाल के साथ सम्पन्न किया गया ।

कॉरिडॉर के भूमिगत भागों की टनल के निर्माण कार्य पूरा होने के बाद अब ट्रैक बिछाने और ओएचई की स्थापना में तेजी आएगी। दिल्ली के आनंद विहार अंडरग्राउंड स्टेशन और मेरठ के बेगमपुल के अंडरग्राउंड स्टेशन से पहले ही इसकी शुरूआत हो चुकी है।
एनसीआरटीसी 2025 तक दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर को परिचालित करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दिन-रात कार्य कर रहा है। इसी कड़ी में गाजियाबाद में साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किमी लंबा प्राथमिकता खंड बनकर तैयार है और जल्द ही इस सेक्शन में रैपिडएक्स सेवाओं का परिचालन आरंभ किया जाएगा।


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